मानव नेत्र की संरचना
मानव नेत्र एक अत्यंत मूल्यवान और संवेदनशील ज्ञानेंद्रिय है। यह एक कैमरे की तरह कार्य करता है, जो हमें अपने आसपास की रंगीन दुनिया को देखने में सक्षम बनाता है। इसके मुख्य भाग निम्नलिखित हैं:
- कॉर्निया (स्वच्छ मंडल): यह नेत्र के अग्र भाग पर एक पारदर्शी झिल्ली है। प्रकाश इसी से होकर नेत्र में प्रवेश करता है।
- आइरिस (परितारिका): कॉर्निया के पीछे एक गहरा पेशीय डायफ्राम होता है जो पुतली के आकार को नियंत्रित करता है।
- पुतली (Pupil): आइरिस के बीच का छोटा छिद्र, जो नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है।
- नेत्र लेंस (Eye Lens): यह एक उत्तल लेंस होता है जो प्रकाश को रेटिना पर फोकसित करता है।
- पक्ष्माभी पेशियाँ (Ciliary Muscles): ये पेशियाँ नेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करती हैं।
- रेटिना (दृष्टिपटल): यह एक प्रकाश-सुग्राही पर्दा होता है जिस पर प्रतिबिंब बनता है। इसमें प्रकाश-संवेदी कोशिकाएं (रॉड्स और कोन्स) होती हैं।
- दृक् तंत्रिका (Optic Nerve): यह रेटिना पर बने प्रतिबिंब की सूचना को विद्युत संकेतों के रूप में मस्तिष्क तक पहुँचाती है।
दृष्टि दोष और उनका निवारण
दृष्टि दोष | लक्षण | कारण | निवारण के लिए लेंस |
---|---|---|---|
निकट-दृष्टि दोष (Myopia) | दूर की वस्तुएं धुंधली दिखती हैं, पास की वस्तुएं साफ दिखती हैं। | नेत्र गोलक का लंबा हो जाना या नेत्र लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना। प्रतिबिंब रेटिना के सामने बनता है। | अवतल लेंस (Concave Lens) |
दूर-दृष्टि दोष (Hypermetropia) | पास की वस्तुएं धुंधली दिखती हैं, दूर की वस्तुएं साफ दिखती हैं। | नेत्र गोलक का छोटा हो जाना या नेत्र लेंस की फोकस दूरी का बढ़ जाना। प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है। | उत्तल लेंस (Convex Lens) |
जरा-दूरदृष्टिता (Presbyopia) | पास की वस्तुएं धुंधली दिखती हैं (आयु बढ़ने के कारण)। | पक्ष्माभी पेशियों का कमजोर होना और नेत्र लेंस के लचीलेपन में कमी। | द्विफोकसी लेंस (Bifocal Lens) |
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण 1 (निकट-दृष्टि दोष)
प्रश्न: एक निकट-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति और क्षमता क्या होगी?
हल:
व्यक्ति का दूर बिंदु 1.2 m है। उसे अनंत पर रखी वस्तुओं को देखना है।
वस्तु की दूरी (u) = -∞
प्रतिबिंब की दूरी (v) = -1.2 m (अवतल लेंस वस्तु का आभासी प्रतिबिंब व्यक्ति के दूर बिंदु पर बनाएगा)।
लेंस सूत्र से, 1/f = 1/v – 1/u
1/f = 1/(-1.2) – 1/(-∞) = -1/1.2 + 0
f = -1.2 m
चूंकि फोकस दूरी ऋणात्मक है, लेंस अवतल होगा।
क्षमता (P) = 1/f = 1/(-1.2) ≈ -0.83 D
उदाहरण 2 (दूर-दृष्टि दोष)
प्रश्न: एक दूर-दृष्टि दोष वाले व्यक्ति का निकट बिंदु 1 m है। वह 25 cm की दूरी पर रखी पुस्तक को पढ़ना चाहता है। आवश्यक लेंस की प्रकृति और क्षमता क्या होगी?
हल:
व्यक्ति 25 cm पर रखी वस्तु को पढ़ना चाहता है।
वस्तु की दूरी (u) = -25 cm = -0.25 m
प्रतिबिंब की दूरी (v) = -1 m (उत्तल लेंस वस्तु का आभासी प्रतिबिंब व्यक्ति के निकट बिंदु पर बनाएगा)।
लेंस सूत्र से, 1/f = 1/v – 1/u
1/f = 1/(-1) – 1/(-0.25) = -1 + 4 = 3
f = 1/3 m ≈ +0.33 m
चूंकि फोकस दूरी धनात्मक है, लेंस उत्तल होगा।
क्षमता (P) = 1/f = +3.0 D
उदाहरण 3
प्रश्न: एक डॉक्टर -2.0 D क्षमता का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की फोकस दूरी क्या है और यह किस प्रकार का लेंस है?
हल:
क्षमता (P) = -2.0 D
चूंकि क्षमता ऋणात्मक है, यह एक अवतल लेंस है, जो निकट-दृष्टि दोष को ठीक करता है।
फोकस दूरी (f) = 1/P = 1/(-2) = -0.5 m या -50 cm।
उदाहरण 4
प्रश्न: एक व्यक्ति का दूर बिंदु 80 cm है। उसे दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देखने के लिए किस क्षमता के लेंस की आवश्यकता होगी?
हल:
यह निकट-दृष्टि दोष का मामला है।
वस्तु की दूरी (u) = -∞
प्रतिबिंब की दूरी (v) = -80 cm = -0.8 m
फोकस दूरी (f) = v = -0.8 m
क्षमता (P) = 1/f = 1/(-0.8) = -1.25 D