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गतिज और स्थितिज ऊर्जा

परिचय: ऊर्जा (Energy)

भौतिकी में, ऊर्जा कार्य करने की क्षमता है। यह विभिन्न रूपों में मौजूद हो सकती है, जैसे ऊष्मा, प्रकाश, ध्वनि, विद्युत और यांत्रिक ऊर्जा। ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इसका SI मात्रक जूल (Joule) है।

गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)

किसी वस्तु में उसकी गति के कारण जो ऊर्जा होती है, उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं।

  • यह वस्तु के द्रव्यमान (m) और वेग (v) पर निर्भर करती है।
  • उदाहरण: बहता हुआ पानी, चलती हुई कार, फेंका गया पत्थर।

सूत्र की व्युत्पत्ति: KE = ½mv²

कार्य-ऊर्जा प्रमेय के अनुसार, किसी वस्तु पर किया गया कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है।
W = ΔKE
मान लीजिए m द्रव्यमान की एक वस्तु विरामावस्था (u=0) से चलना प्रारंभ करती है और F बल लगाने पर s दूरी तय करके v वेग प्राप्त कर लेती है।
किया गया कार्य, W = F × s
W = (ma) × s (चूंकि F = ma)
गति के तीसरे समीकरण से, v² = u² + 2as. चूँकि u=0, तो v² = 2as, या as = v²/2.
मान रखने पर, W = m(v²/2)
अतः, KE = ½mv²

स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)

किसी वस्तु में उसकी स्थिति (position) या विन्यास (configuration) के कारण संग्रहीत ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। इसके मुख्य दो प्रकार हैं:

1. गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा (Gravitational Potential Energy)

किसी वस्तु को पृथ्वी की सतह से ऊपर उठाने में गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध किए गए कार्य के कारण उसमें संग्रहीत ऊर्जा।

सूत्र की व्युत्पत्ति: PE = mgh

मान लीजिए m द्रव्यमान की एक वस्तु को पृथ्वी की सतह से h ऊँचाई तक उठाया जाता है।
आवश्यक न्यूनतम बल, F = वस्तु का भार = mg
किया गया कार्य, W = बल × विस्थापन = F × h
W = mgh
यह कार्य वस्तु में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संग्रहीत हो जाता है।
अतः, PE = mgh

2. प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा (Elastic Potential Energy)

किसी वस्तु (जैसे स्प्रिंग या रबर बैंड) को खींचने या दबाने पर उसके आकार में परिवर्तन के कारण उसमें संग्रहीत ऊर्जा।

ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy)

इस नियम के अनुसार, “एक विलगित निकाय की कुल ऊर्जा हमेशा नियत रहती है।” ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो सकती है।

  • यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण के अनुसार, यदि केवल संरक्षी बल (जैसे गुरुत्वाकर्षण बल) कार्य कर रहे हों, तो किसी निकाय की कुल यांत्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा) संरक्षित रहती है।
  • KE + PE = नियत (Constant)

संख्यात्मक उदाहरण

उदाहरण

प्रश्न: 10 kg द्रव्यमान का एक पिंड 20 m की ऊँचाई से मुक्त रूप से गिराया जाता है। जब वह जमीन से टकराता है तो उसकी गतिज ऊर्जा और वेग ज्ञात कीजिए। (g = 10 m/s² मानें)

हल:
ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
प्रारंभिक कुल ऊर्जा = अंतिम कुल ऊर्जा
(KE + PE)_प्रारंभिक = (KE + PE)_अंतिम

प्रारंभ में (20 m ऊँचाई पर):
KE = 0 (चूंकि u=0), PE = mgh = 10 × 10 × 20 = 2000 J
कुल ऊर्जा = 2000 J

अंत में (जमीन पर):
PE = 0 (चूंकि h=0), KE = ?
कुल ऊर्जा = KE

अतः, जमीन पर गतिज ऊर्जा (KE) = 2000 J

अब वेग (v) ज्ञात करने के लिए:
KE = ½mv²
2000 = ½ × 10 × v²
2000 = 5v²
v² = 400
v = 20 m/s

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