किर्चॉफ़ का नियम (Kirchhoff’s Law)
1. किर्चॉफ़ का प्रथम नियम (Kirchhoff’s First Law)
किर्चॉफ़ का प्रथम नियम या वितरण नियम किसी भी जंक्शन पर आने वाली विद्युत धारा और वहां से निकलने वाली विद्युत धारा का योग शून्य होना चाहिए। इसे निम्नलिखित रूप में लिखा जा सकता है:
∑ Iin = ∑ Iout
इस नियम का अर्थ है कि किसी नोड (जंक्शन) पर विद्युत आवेश संरक्षित होता है और वहां पर आने वाली और वहां से बाहर जाने वाली धाराओं का कुल योग समान होता है।
2. किर्चॉफ़ का द्वितीय नियम (Kirchhoff’s Second Law)
किर्चॉफ़ का द्वितीय नियम या लूप नियम कहता है कि किसी बंद विद्युत परिपथ में, सभी विभव अंतरों का कुल योग शून्य होता है। इसे निम्नलिखित रूप में लिखा जा सकता है:
∑ V = 0
इस नियम का अर्थ है कि परिपथ में किसी भी बिंदु से किसी अन्य बिंदु तक जाने पर सभी विभव अंतरों का कुल योग शून्य होता है। यह ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत है।
3. किर्चॉफ़ के नियमों के अनुप्रयोग (Applications of Kirchhoff’s Laws)
- विद्युत परिपथ विश्लेषण: जटिल विद्युत परिपथों में धाराओं और विभव अंतरों की गणना करने के लिए।
- नोड और लूप विश्लेषण: जंक्शनों और लूपों में विद्युत गुणों का विश्लेषण करने के लिए।
- विद्युत नेटवर्क: विभिन्न शाखाओं में धारा वितरण की गणना में सहायक।
4. उदाहरण (Example)
मान लें कि एक परिपथ में तीन शाखाएँ हैं, जिनमें धारा I1 = 2 A, I2 = 3 A, और I3 = 5 A हैं। यदि I1 और I2 जंक्शन में प्रवेश करती हैं और I3 वहां से निकलती है, तो किर्चॉफ़ के प्रथम नियम के अनुसार:
I1 + I2 = I3
2 + 3 = 5 A
अतः, किर्चॉफ़ का प्रथम नियम संतुष्ट होता है।