परिचय: LCR श्रेणी परिपथ
एक LCR श्रेणी परिपथ एक विद्युत परिपथ है जिसमें एक प्रेरक (Inductor, L), एक संधारित्र (Capacitor, C), और एक प्रतिरोधक (Resistor, R) एक प्रत्यावर्ती धारा (AC) स्रोत के साथ श्रेणीक्रम में जुड़े होते हैं। यह परिपथ रेडियो ट्यूनर और फिल्टर जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आधार है।
प्रतिबाधा (Impedance)
एक LCR परिपथ में, धारा के प्रवाह के लिए कुल प्रभावी प्रतिरोध को प्रतिबाधा (Z) कहते हैं। यह प्रतिरोध (R), प्रेरकीय प्रतिघात (Inductive Reactance, Xₗ), और धारितीय प्रतिघात (Capacitive Reactance, Xₙ) का सदिश योग होता है।
प्रतिबाधा का सूत्र
Xₗ = ωL और Xₙ = 1/(ωC)
Z = √[R² + (Xₗ – Xₙ)²]
Z = √[R² + (ωL – 1/ωC)²]
अनुनाद (Resonance)
अनुनाद LCR श्रेणी परिपथ की वह स्थिति है जब प्रेरकीय प्रतिघात (Xₗ) और धारितीय प्रतिघात (Xₙ) बराबर हो जाते हैं।
- अनुनाद की शर्त: Xₗ = Xₙ
- इस स्थिति में, परिपथ की प्रतिबाधा न्यूनतम (Z = R) हो जाती है।
- प्रतिबाधा न्यूनतम होने के कारण, परिपथ में धारा का मान अधिकतम हो जाता है।
अनुनादी आवृत्ति का सूत्र
अनुनाद पर, Xₗ = Xₙ
ωᵣL = 1/(ωᵣC)
ωᵣ² = 1/(LC)
ωᵣ = 1/√(LC)
चूंकि ω = 2πf, तो अनुनादी आवृत्ति (fᵣ):
fᵣ = 1 / (2π√(LC))
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण
प्रश्न: एक LCR श्रेणी परिपथ में R = 30 Ω, L = 20 mH, और C = 50 μF हैं, जो 200 V, 50 Hz के AC स्रोत से जुड़ा है। परिपथ की प्रतिबाधा ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
R = 30 Ω
L = 20 mH = 20 × 10⁻³ H
C = 50 μF = 50 × 10⁻⁶ F
f = 50 Hz
कोणीय आवृत्ति (ω) = 2πf = 2 × 3.14 × 50 = 314 rad/s
प्रेरकीय प्रतिघात (Xₗ) = ωL = 314 × (20 × 10⁻³) = 6.28 Ω
धारितीय प्रतिघात (Xₙ) = 1/(ωC) = 1 / (314 × 50 × 10⁻⁶) = 1 / 0.0157 ≈ 63.7 Ω
प्रतिबाधा (Z) = √[R² + (Xₗ – Xₙ)²]
Z = √[30² + (6.28 – 63.7)²]
Z = √[900 + (-57.42)²]
Z = √[900 + 3297]
Z = √4197 ≈ 64.8 Ω