पाउली का अपवर्जन नियम
पाउली का अपवर्जन नियम (Pauli’s Exclusion Principle)
पाउली का अपवर्जन नियम 1925 में वोल्फगैंग पाउली द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इस नियम के अनुसार, किसी भी परमाणु में दो इलेक्ट्रॉन समान चार क्वांटम संख्याएँ (n, l, ml, ms) नहीं रख सकते।
नियम की मुख्य बातें (Key Points of the Principle)
- प्रत्येक कक्षक (Orbital) में अधिकतम 2 इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं।
- इन दोनों इलेक्ट्रॉनों के चक्रण (Spin) विपरीत दिशा में होते हैं।
- एक कक्षक के अंदर उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के ms मान क्रमशः +1/2 और -1/2 होते हैं।
पाउली के नियम का महत्व (Significance of Pauli’s Principle)
- यह नियम परमाणु में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic Configuration) को समझने में सहायक है।
- यह परमाणु के रासायनिक गुणों को निर्धारित करता है।
- यह परमाणु संरचना में कक्षक भरने के क्रम का आधार है।
- यह रासायनिक बंधन के निर्माण और तत्वों की आवर्त सारणी के गठन को समझने में मदद करता है।
उदाहरण (Example)
हाइड्रोजन (Hydrogen) के एकमात्र इलेक्ट्रॉन का क्वांटम संख्या सेट:
n = 1, l = 0, ml = 0, ms = +1/2
यदि एक और इलेक्ट्रॉन उसी कक्षक में प्रवेश करता है, तो इसका चक्रण ms = -1/2 होगा।