परिचय: प्रकाश विद्युत प्रभाव (Photoelectric Effect)
प्रकाश विद्युत प्रभाव वह घटना है जिसमें किसी धातु की सतह पर उपयुक्त आवृत्ति का प्रकाश आपतित होने पर, सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। इन उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों को फोटोइलेक्ट्रॉन (photoelectrons) कहा जाता है।
यह घटना प्रकाश की कण प्रकृति को दर्शाती है, जहाँ प्रकाश को ऊर्जा के पैकेटों, जिन्हें फोटॉन कहते हैं, से बना हुआ माना जाता है।
महत्वपूर्ण पद
- कार्य फलन (Work Function, Φ₀): किसी धातु की सतह से एक इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा।
- देहली आवृत्ति (Threshold Frequency, f₀): आपतित प्रकाश की वह न्यूनतम आवृत्ति जो किसी धातु से फोटोइलेक्ट्रॉन उत्सर्जित कर सके। यदि आवृत्ति इससे कम है, तो कोई उत्सर्जन नहीं होगा।
आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण
आइंस्टीन ने 1905 में इस प्रभाव की व्याख्या की, जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने बताया कि जब एक फोटॉन (ऊर्जा E = hf) धातु पर गिरता है, तो उसकी ऊर्जा दो भागों में खर्च होती है:
- एक भाग इलेक्ट्रॉन को सतह से बाहर निकालने में (कार्य फलन, Φ₀) खर्च होता है।
- शेष भाग उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को अधिकतम गतिज ऊर्जा (KEₘₐₓ) प्रदान करता है।
सूत्र
आपतित फोटॉन की ऊर्जा = कार्य फलन + इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा
hf = Φ₀ + KEₘₐₓ
या, KEₘₐₓ = hf – Φ₀
चूंकि Φ₀ = hf₀, तो
KEₘₐₓ = h(f – f₀)
प्रकाश विद्युत प्रभाव के नियम (Laws of Photoelectric Effect)
- तात्क्षणिक प्रक्रिया: धातु की सतह पर प्रकाश के आपतित होने और फोटोइलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन के बीच कोई समय अंतराल नहीं होता है।
- देहली आवृत्ति का अस्तित्व: प्रत्येक धातु के लिए एक निश्चित न्यूनतम आवृत्ति (देहली आवृत्ति) होती है, जिससे कम आवृत्ति का प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं कर सकता, चाहे प्रकाश की तीव्रता कितनी भी हो।
- तीव्रता पर निर्भरता: उत्सर्जित फोटोइलेक्ट्रॉनों की संख्या (या प्रकाश विद्युत धारा) आपतित प्रकाश की तीव्रता के समानुपाती होती है, बशर्ते आवृत्ति देहली आवृत्ति से अधिक हो।
- ऊर्जा की निर्भरता: उत्सर्जित फोटोइलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की आवृत्ति पर निर्भर करती है, न कि उसकी तीव्रता पर।
अनुप्रयोग (Applications)
- फोटोइलेक्ट्रिक सेल (सौर सेल): ये प्रकाश ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
- स्वचालित स्ट्रीट लाइट: ये प्रकाश संवेदक के रूप में कार्य करते हैं, जो अंधेरा होने पर स्वचालित रूप से रोशनी चालू कर देते हैं।
- कैमरे में लाइट मीटर: फोटोग्राफी में सही एक्सपोजर के लिए प्रकाश की तीव्रता को मापने के लिए।
- burglar अलार्म: अदृश्य (पराबैंगनी) प्रकाश की किरण के बाधित होने पर अलार्म बजता है।
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण
प्रश्न: किसी धातु का कार्य फलन 2.14 eV है। जब 6 × 10¹⁴ Hz आवृत्ति का प्रकाश धातु पर आपतित होता है, तो उत्सर्जित फोटोइलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। (h = 6.63 × 10⁻³⁴ J·s, 1 eV = 1.6 × 10⁻¹⁹ J)
हल:
दिया है:
Φ₀ = 2.14 eV = 2.14 × 1.6 × 10⁻¹⁹ = 3.424 × 10⁻¹⁹ J
f = 6 × 10¹⁴ Hz
1. आपतित फोटॉन की ऊर्जा (E) की गणना:
E = hf = (6.63 × 10⁻³⁴) × (6 × 10¹⁴)
E = 39.78 × 10⁻²⁰ J = 3.978 × 10⁻¹⁹ J
2. अधिकतम गतिज ऊर्जा (KEₘₐₓ) की गणना:
KEₘₐₓ = E – Φ₀
KEₘₐₓ = (3.978 × 10⁻¹⁹) – (3.424 × 10⁻¹⁹)
KEₘₐₓ = 0.554 × 10⁻¹⁹ J