परिचय: पादप रोग (Plant Disease)
पादप रोग पौधे की सामान्य शारीरिक क्रियाओं में किसी भी प्रकार की बाधा या असामान्यता है, जो निरंतर जलन के कारण होती है। यह रोगजनक सूक्ष्मजीवों (जैसे कवक, जीवाणु, विषाणु) या पर्यावरणीय कारकों (जैसे पोषक तत्वों की कमी) के कारण हो सकता है। पादप रोग कृषि उपज में भारी कमी ला सकते हैं, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।
पादप रोगों के कारक
पादप रोगों को मुख्य रूप से दो कारकों में वर्गीकृत किया जाता है:
1. जैविक कारक (Biotic Factors) – संक्रामक रोग
ये रोग जीवित सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं और एक पौधे से दूसरे पौधे में फैल सकते हैं।
- कवक (Fungi): यह पादप रोगों का सबसे बड़ा समूह है। कवक पौधों से पोषण प्राप्त करते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। उदाहरण: गेहूं का रस्ट (Rust of Wheat), मूंगफली का टिक्का रोग (Tikka disease of Groundnut)।
- जीवाणु (Bacteria): ये सूक्ष्मजीव पौधे की कोशिकाओं में प्रवेश कर तेजी से बढ़ते हैं और ऊतकों को नष्ट कर देते हैं। उदाहरण: नींबू का कैंकर (Citrus Canker), आलू का शैथिल रोग (Bacterial wilt of Potato)।
- विषाणु (Virus): ये बहुत छोटे कण होते हैं जो पौधे की कोशिकाओं के अंदर रहकर अपनी संख्या बढ़ाते हैं और पौधे की सामान्य वृद्धि को रोकते हैं। उदाहरण: तम्बाकू का मोजेक रोग (Tobacco Mosaic Virus), भिंडी का पीत शिरा मोजेक रोग (Yellow Vein Mosaic of Okra)।
2. अजैविक कारक (Abiotic Factors) – असंक्रामक रोग
ये रोग पर्यावरणीय परिस्थितियों या पोषक तत्वों के असंतुलन के कारण होते हैं और संक्रामक नहीं होते।
- पोषक तत्वों की कमी: पौधों को अपनी वृद्धि के लिए विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इनकी कमी से विशिष्ट रोग होते हैं। उदाहरण: धान का खैरा रोग (Khaira disease of Rice) – जस्ता (Zn) की कमी से, फूलगोभी का व्हिपटेल (Whiptail of Cauliflower) – मोलिब्डेनम (Mo) की कमी से।
- अन्य कारक: प्रतिकूल तापमान, नमी की कमी या अधिकता, प्रकाश की कमी, और मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी भी रोगों का कारण बन सकती है। उदाहरण: आलू का ब्लैक हार्ट (Black heart of Potato) – भंडारण में ऑक्सीजन (O₂) की कमी से।
प्रमुख पादप रोग और उनके कारक
| रोग का नाम | कारक | प्रभावित पौधा |
|---|---|---|
| गेहूं का रस्ट (Rust of Wheat) | कवक (Puccinia) | गेहूं |
| धान का खैरा रोग (Khaira disease of Rice) | जस्ता (Zn) की कमी | धान |
| नींबू का कैंकर (Citrus Canker) | जीवाणु (Xanthomonas citri) | नींबू |
| गन्ने का लाल सड़न रोग (Red Rot of Sugarcane) | कवक (Colletotrichum falcatum) | गन्ना |
| मूंगफली का टिक्का रोग (Tikka Disease of Groundnut) | कवक (Cercospora) | मूंगफली |
| आलू का पछेती अंगमारी (Late Blight of Potato) | कवक (Phytophthora infestans) | आलू |
| तम्बाकू का मोजेक रोग (Tobacco Mosaic Virus) | विषाणु (TMV) | तम्बाकू, टमाटर |
| आम का लिटिल लीफ (Little Leaf of Mango) | जस्ता (Zn) की कमी | आम |
रोग नियंत्रण और प्रबंधन
- प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग: ऐसी फसलों को उगाना जो विशेष रोगों के प्रति प्रतिरोधी हों।
- फसल चक्र (Crop Rotation): एक ही खेत में लगातार एक ही फसल न उगाना, ताकि रोगजनकों का जीवन चक्र टूट जाए।
- रासायनिक नियंत्रण: कवकनाशी (Fungicides), जीवाणुनाशी (Bactericides) और कीटनाशकों का उपयोग करना।
- जैविक नियंत्रण (Biological Control): हानिकारक जीवों को नियंत्रित करने के लिए उनके प्राकृतिक शत्रुओं का उपयोग करना।
- स्वच्छता: खेत से रोगग्रस्त पौधों और खरपतवार को हटाना।
परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य
- पादप रोगों के अध्ययन को पादप रोग विज्ञान (Plant Pathology) कहते हैं।
- बोर्डो मिश्रण (Bordeaux Mixture) (कॉपर सल्फेट और चूने का मिश्रण) एक प्रसिद्ध कवकनाशी है।
- विषाणु जनित रोग अक्सर कीड़ों (जैसे एफिड्स) द्वारा फैलते हैं, जिन्हें ‘वेक्टर’ कहा जाता है।
- ‘खैरा रोग’ जस्ता (Zinc) की कमी से होता है, यह अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है।
- ‘रेड रॉट’ गन्ने का एक प्रमुख रोग है, जिससे गन्ने के अंदर लाल धारियाँ बन जाती हैं।