परिचय: विभेदन क्षमता (Resolving Power)
किसी प्रकाशिक यंत्र (जैसे सूक्ष्मदर्शी या दूरदर्शी) की विभेदन क्षमता उसकी वह क्षमता है जिससे वह दो बहुत पास-पास स्थित वस्तुओं को अलग-अलग और स्पष्ट रूप से दिखा सकता है।
विभेदन क्षमता, विभेदन सीमा (Limit of Resolution) के व्युत्क्रमानुपाती होती है। विभेदन सीमा दो वस्तुओं के बीच की वह न्यूनतम दूरी है जिस पर उन्हें यंत्र द्वारा ठीक-ठीक अलग देखा जा सकता है।
दूरदर्शी की विभेदन क्षमता
एक दूरदर्शी की विभेदन क्षमता उसके अभिदृश्यक लेंस (objective lens) के व्यास पर निर्भर करती है।
सूत्र
R.P. = D / (1.22λ)
जहाँ:
- D = अभिदृश्यक लेंस का व्यास
- λ = प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
इस सूत्र से स्पष्ट है कि विभेदन क्षमता बढ़ाने के लिए अभिदृश्यक का व्यास (D) बड़ा होना चाहिए और तरंगदैर्ध्य (λ) छोटी होनी चाहिए।
सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता
एक सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य और अभिदृश्यक लेंस के संख्यात्मक द्वारक (Numerical Aperture) पर निर्भर करती है।
सूत्र
R.P. = 1/d = (2n sinθ) / λ
जहाँ:
- d = विभेदन सीमा
- n = वस्तु और अभिदृश्यक के बीच के माध्यम का अपवर्तनांक
- θ = वस्तु से लेंस पर आने वाले प्रकाश शंकु का आधा कोण
- n sinθ को संख्यात्मक द्वारक (Numerical Aperture, NA) कहते हैं।
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण
प्रश्न: एक दूरदर्शी के अभिदृश्यक लेंस का व्यास 10 cm है। यदि 5000 Å तरंगदैर्ध्य का प्रकाश उपयोग किया जा रहा है, तो इसकी विभेदन सीमा (कोणीय) क्या होगी?
हल:
दिया है:
D = 10 cm = 0.1 m
λ = 5000 Å = 5000 × 10⁻¹⁰ m = 5 × 10⁻⁷ m
विभेदन सीमा (Δθ) का सूत्र है:
Δθ = (1.22λ) / D
Δθ = (1.22 × 5 × 10⁻⁷) / 0.1
Δθ = 6.1 × 10⁻⁶ रेडियन
अतः, दूरदर्शी की विभेदन सीमा 6.1 × 10⁻⁶ रेडियन है।