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पौधों में लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction in Flowering Plants)

पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction in Flowering Plants)

पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction in Flowering Plants)

🌱 1. परिचय (Introduction)

पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पौधे अपने जनन तंत्र का उपयोग करके नई पीढ़ियाँ उत्पन्न करते हैं। इस प्रक्रिया में पुष्प (Flowers) का प्रमुख योगदान होता है, जो लैंगिक अंगों को समाहित करता है। लैंगिक प्रजनन से पौधों में आनुवंशिक विविधता आती है, जिससे पौधे विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।

🔄 2. पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन के प्रकार (Types of Sexual Reproduction in Flowering Plants)

पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन के दो मुख्य प्रकार होते हैं:

  • समलिंगी (Monoecious) पौधे
  • विलोमलिंगी (Dioecious) पौधे

2.1. समलिंगी (Monoecious) पौधे

समलिंगी पौधे वे होते हैं जिनमें एक ही पौधे पर दोनों प्रकार के पुष्प (पुरुष और स्त्री) होते हैं। उदाहरण के लिए:

  • मक्का (Maize)
  • कद्दू (Pumpkin)

2.2. विलोमलिंगी (Dioecious) पौधे

विलोमलिंगी पौधे वे होते हैं जिनमें अलग-अलग पौधों पर केवल एक प्रकार के पुष्प होते हैं, यानी एक पौधे पर केवल पुरुष पुष्प होते हैं और दूसरे पर केवल स्त्री पुष्प होते हैं। उदाहरण के लिए:

  • आलूबुखारा (Ginkgo)
  • हिमालया पाइन (Himalayan Pine)

⚖️ 3. लैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया (Process of Sexual Reproduction)

पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया मुख्यतः तीन चरणों में विभाजित होती है:

  1. परागण (Pollination)
  2. निषेचन (Fertilization)
  3. बीज विकास (Seed Development)

3.1. परागण (Pollination)

परागण वह प्रक्रिया है जिसमें पराग कण (Pollen Grains) पुरुष पुष्प से स्त्री पुष्प की गर्भाशय (Stigma) पर पहुँचते हैं। परागण दो प्रकार का हो सकता है:

  • स्वच्छंद परागण (Self-Pollination) – जब एक ही पुष्प के भीतर पराग कण गर्भाशय तक पहुँचते हैं।
  • आनुवंशिक परागण (Cross-Pollination) – जब पराग कण एक पुष्प से दूसरे पुष्प की गर्भाशय तक पहुँचते हैं।

3.2. निषेचन (Fertilization)

निषेचन वह प्रक्रिया है जिसमें पराग कण से पुरुष गामेटा (Male Gametes) स्त्री गामेटा (Female Gametes) के साथ मिलते हैं। इस मिलन से भ्रूण (Embryo) और बीज (Seed) का निर्माण होता है। निषेचन दो प्रकार का हो सकता है:

  • सूक्ष्म निषेचन (Internal Fertilization) – जब निषेचन पौधे के अंदर होता है।
  • बाह्य निषेचन (External Fertilization) – जब निषेचन पौधे के बाहर होता है।

3.3. बीज विकास (Seed Development)

निषेचन के बाद, बीज विकास शुरू होता है। बीज में भ्रूण, पोषण सामग्री (Endosperm), और बीज कवच (Seed Coat) का निर्माण होता है। बीज विकास के चरण निम्नलिखित हैं:

  • बीज मृगन (Seed Germination) – बीज से नया पौधा अंकुरित होता है।
  • बीज की परिपक्वता (Seed Maturation) – बीज का पूर्ण विकास और परिपक्वता होती है।

🔍 4. संरचना में शामिल अंग (Structures Involved)

लैंगिक प्रजनन में पुष्प संरचना का महत्वपूर्ण योगदान होता है। पुष्प में प्रमुखतः दो प्रकार के प्रजनन अंग होते हैं:

  • पुरुष प्रजनन अंग (Male Reproductive Organs)
  • स्त्री प्रजनन अंग (Female Reproductive Organs)

4.1. पुरुष प्रजनन अंग (Male Reproductive Organs)

पुरुष प्रजनन अंग पुष्प के केंद्र में स्थित होते हैं और इनमें मुख्यतः निम्नलिखित होते हैं:

  • पुष्प पत्ती (Stamens) – ये पुष्प के पुरुष अंग होते हैं। प्रत्येक पुष्प में एक या अधिक पुष्प पत्ती हो सकते हैं।
  • एल्बे (Anthers) – ये पुष्प पत्ती का हिस्सा होते हैं जहाँ पराग कण उत्पन्न होते हैं।
  • फिल्मस (Filaments) – ये पतले तने होते हैं जो एल्बे को पुष्प पत्ती से जोड़ते हैं।

4.2. स्त्री प्रजनन अंग (Female Reproductive Organs)

स्त्री प्रजनन अंग पुष्प के मध्य भाग में स्थित होते हैं और इनमें मुख्यतः निम्नलिखित होते हैं:

  • कृत्रिम पतली (Pistils) – ये पुष्प के स्त्री अंग होते हैं। प्रत्येक पुष्प में एक या अधिक कृत्रिम पतली हो सकती हैं।
  • गर्भाशय (Stigma) – कृत्रिम पतली का ऊपरी हिस्सा होता है जहाँ परागण होता है।
  • गर्भकोश (Style) – गर्भाशय को गर्भाशयक (Ovary) से जोड़ने वाला पतला अंग।
  • गर्भाशयक (Ovary) – यह पुष्प का भाग होता है जिसमें बीज पिटिका (Seed Capsule) और बीज मृगन (Seed Germination) होता है।

🌿 5. लैंगिक प्रजनन का महत्व (Importance of Sexual Reproduction)

लैंगिक प्रजनन पौधों के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

  • आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) – लैंगिक प्रजनन से पौधों में आनुवंशिक विविधता आती है, जिससे वे विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता (Disease Resistance) – विविध आनुवंशिकी से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है।
  • पौधों की अनुकूलन क्षमता (Adaptability) – आनुवंशिक विविधता से पौधे विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों के अनुरूप विकसित हो सकते हैं।
  • उत्पादकता (Productivity) – लैंगिक प्रजनन से पौधों की उत्पादकता में वृद्धि होती है, जिससे फसल की मात्रा बढ़ती है।

📊 6. तालिका: पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन के चरण (Table: Stages of Sexual Reproduction in Flowering Plants)

चरण (Stage) विवरण (Description) उदाहरण (Examples)
परागण (Pollination) पराग कण पुरुष पुष्प से स्त्री पुष्प की गर्भाशय पर पहुँचते हैं।
  • स्वच्छंद परागण
  • आनुवंशिक परागण
निषेचन (Fertilization) पराग कण से पुरुष गामेटा स्त्री गामेटा के साथ मिलते हैं, जिससे भ्रूण और बीज का निर्माण होता है।
  • सूक्ष्म निषेचन
  • बाह्य निषेचन
बीज विकास (Seed Development) निषेचन के बाद, बीज में भ्रूण, पोषण सामग्री, और बीज कवच का निर्माण होता है।
  • बीज मृगन
  • बीज की परिपक्वता

📚 7. परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts for Exams)

  • पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन आनुवंशिक विविधता प्रदान करता है, जिससे पौधों की अनुकूलन क्षमता बढ़ती है।
  • परागण वह प्रक्रिया है जिसमें पराग कण पुरुष पुष्प से स्त्री पुष्प की गर्भाशय पर पहुँचते हैं।
  • निषेचन पराग कण से पुरुष गामेटा स्त्री गामेटा के साथ मिलकर भ्रूण और बीज का निर्माण करता है।
  • बीज विकास के बाद, बीज मृगन शुरू होता है, जिससे नया पौधा अंकुरित होता है।
  • समलिंगी (Monoecious) पौधों में एक ही पौधे पर पुरुष और स्त्री दोनों प्रकार के पुष्प होते हैं।
  • विलोमलिंगी (Dioecious) पौधों में अलग-अलग पौधों पर केवल एक प्रकार के पुष्प होते हैं।
  • स्वच्छंद परागण में पराग कण एक ही पुष्प के भीतर गर्भाशय तक पहुँचते हैं।
  • आनुवंशिक परागण में पराग कण एक पुष्प से दूसरे पुष्प की गर्भाशय तक पहुँचते हैं, जिससे आनुवंशिक विविधता बढ़ती है।
  • प्रकाश संश्लेषण के दौरान, पादप सूर्य की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करते हैं और उसे रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
  • सैफ्रोफिटिक पोषण में पादप मृत पदार्थों से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं, जिससे उनका विकास होता है।
  • परजीवी पौधे दूसरे पौधों पर निर्भर होते हैं, जिससे वे उनके पोषक तत्व प्राप्त करते हैं।
  • सहजीवी पोषण में पादप और बैक्टीरिया के बीच सहजीवी संबंध पादपों को नाइट्रोजन प्रदान करता है।
  • पुष्प संरचना लैंगिक प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसमें पुरुष और स्त्री प्रजनन अंग शामिल होते हैं।
  • गर्भाशय (Ovary) में बीज का विकास होता है, जो पादप के जीवन चक्र के लिए आवश्यक है।
  • आनुवंशिक विविधता पौधों में विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने में सहायक होती है।
  • फसल चक्र (Crop Rotation) लैंगिक प्रजनन में रोगों के प्रसार को कम करता है, जिससे फसल की उपज बनी रहती है।
  • परागण के प्रकार स्वच्छंद और आनुवंशिक परागण हैं, जो पौधों की विकास क्षमता को बढ़ाते हैं।
  • लैंगिक प्रजनन से पौधों में नई जननीया उत्पन्न होती हैं, जिससे उनकी विविधता बढ़ती है।
  • पुरुष प्रजनन अंग (Stamens) पराग कण का उत्पादन करते हैं, जो पुष्पधारी पौधों के विकास में महत्वपूर्ण हैं।
  • स्त्री प्रजनन अंग (Pistils) पराग कण को ग्रहण करते हैं और बीज का निर्माण करते हैं।
  • बीज मृगन वह प्रक्रिया है जिसमें बीज अंकुरित होकर नया पौधा बनता है।
  • बीज की परिपक्वता के दौरान, बीज पूर्ण विकसित होता है और वह अगली पीढ़ी के लिए तैयार होता है।
  • पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन से पौधों की उत्पादकता और अनुकूलन क्षमता बढ़ती है।
  • सहजीवी प्रजनन में बैक्टीरिया पादपों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जिससे उनका विकास होता है।
  • लैंगिक प्रजनन से पौधों में आनुवंशिक विविधता आती है, जो उन्हें विभिन्न रोगों और पर्यावरणीय परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम बनाती है।
  • परागण प्रक्रिया पौधों के जीवन चक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पौधों को नई पीढ़ियाँ उत्पन्न करने में मदद करती है।
  • निषेचन के बाद, बीज का विकास होता है, जो अगली पीढ़ी के पौधों के लिए आवश्यक होता है।
  • फसल चक्र लैंगिक प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे फसल की उपज बनी रहती है और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में सुधार होता है।
  • पुष्प संरचना में पुरुष और स्त्री प्रजनन अंगों का सही समन्वय लैंगिक प्रजनन के सफल होने के लिए आवश्यक है।
  • पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन से पौधों की जननीया क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे उनकी वृद्धि और उत्पादन बढ़ता है।
  • आनुवंशिक विविधता पौधों को विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद करती है।
  • निषेचन के दौरान, पराग कण स्त्री पुष्प की गर्भाशय में पहुँचते हैं, जिससे बीज का निर्माण होता है।
  • बीज विकास पौधों की अगली पीढ़ी के लिए आवश्यक पोषक तत्व और संरचना प्रदान करता है।
  • लैंगिक प्रजनन पौधों को स्थायित्व और अनुकूलन क्षमता प्रदान करता है, जिससे वे विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
  • पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन से पौधों में नई गुणावली उत्पन्न होती है, जिससे उनकी विकास क्षमता बढ़ती है।
  • परागण लैंगिक प्रजनन की शुरुआत करता है, जिससे पौधों में नई जननीया उत्पन्न होती हैं।
  • पुरुष और स्त्री प्रजनन अंग का सही समन्वय लैंगिक प्रजनन के सफल होने के लिए आवश्यक है।
  • लैंगिक प्रजनन पौधों को आनुवंशिक विविधता प्रदान करता है, जिससे वे विभिन्न रोगों और पर्यावरणीय परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम होते हैं।
  • बीज मृगन पौधों की अगली पीढ़ी के लिए आवश्यक पौधों को उत्पन्न करता है।
  • पुष्प संरचना में पुरुष और स्त्री प्रजनन अंगों का सही विकास लैंगिक प्रजनन को सुनिश्चित करता है।
  • आनुवंशिक विविधता पौधों की वृद्धि और अनुकूलन क्षमता को बढ़ाती है, जिससे वे विभिन्न पर्यावरणीय स्थितियों का सामना कर सकते हैं।
  • प्रकाश संश्लेषण से पादप अपनी ऊर्जा स्वयं उत्पादन करते हैं, जिससे लैंगिक प्रजनन संभव होता है।
  • फसल चक्र पौधों को स्वस्थ रखने में मदद करता है, जिससे लैंगिक प्रजनन सफलतापूर्वक हो सकता है।
  • सहजीवी पोषण पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे उनका विकास होता है और लैंगिक प्रजनन में सहायक होता है।
  • लैंगिक प्रजनन पौधों को आनुवंशिक विविधता प्रदान करता है, जिससे वे विभिन्न रोगों और पर्यावरणीय परिस्थितियों से लड़ सकते हैं।
  • परागण पौधों में लैंगिक प्रजनन की पहली अवस्था है, जो पौधों को नई जननीया उत्पन्न करने में मदद करता है।
  • निषेचन पौधों में बीज निर्माण की प्रक्रिया को आरंभ करता है, जिससे पौधों की अगली पीढ़ी उत्पन्न होती है।
  • बीज विकास पौधों की अगली पीढ़ी के लिए आवश्यक पोषक तत्व और संरचना प्रदान करता है।
  • पुष्प संरचना लैंगिक प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसमें पुरुष और स्त्री प्रजनन अंग शामिल होते हैं।
  • लैंगिक प्रजनन पौधों को आनुवंशिक विविधता प्रदान करता है, जिससे वे विभिन्न रोगों और पर्यावरणीय परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम होते हैं।
  • फसल चक्र पौधों को स्वस्थ रखने में मदद करता है, जिससे लैंगिक प्रजनन सफलतापूर्वक हो सकता है।
  • प्रकाश संश्लेषण पौधों को ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे वे लैंगिक प्रजनन की प्रक्रियाओं को संचालित कर सकते हैं।
  • सहजीवी पोषण पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे उनका विकास होता है और लैंगिक प्रजनन में सहायक होता है।
  • आनुवंशिक विविधता पौधों को विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम बनाती है।
  • निषेचन के बाद, बीज का विकास होता है, जो पौधों की अगली पीढ़ी के लिए आवश्यक होता है।
  • बीज मृगन पौधों की अगली पीढ़ी के लिए आवश्यक पौधों को उत्पन्न करता है।
  • पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन से पौधों में नई जननीया उत्पन्न होती हैं, जिससे उनकी विविधता बढ़ती है।
  • पुष्प संरचना में पुरुष और स्त्री प्रजनन अंगों का सही समन्वय लैंगिक प्रजनन के सफल होने के लिए आवश्यक है।
  • लैंगिक प्रजनन पौधों को आनुवंशिक विविधता प्रदान करता है, जिससे वे विभिन्न रोगों और पर्यावरणीय परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम होते हैं।
  • बीज विकास पौधों की अगली पीढ़ी के लिए आवश्यक पोषक तत्व और संरचना प्रदान करता है।
पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन पर प्रश्नोत्तरी

पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन पर प्रश्नोत्तरी

1. पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन का मुख्य अंग कौन सा है? (SSC CGL परीक्षा, 2022)
(a) पत्तियाँ
(b) तने
(c) पुष्प
(d) जड़ें
उत्तर: (c) पुष्प
पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन का मुख्य अंग पुष्प (Flowers) होता है, जिसमें पुरुष और स्त्री प्रजनन अंग होते हैं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) पत्तियाँ: यह प्रकाश संश्लेषण में भूमिका निभाती हैं। – (b) तने: यह पौधों का मुख्य ऊतक है। – (d) जड़ें: यह पौधों को स्थिरता प्रदान करती हैं।
2. निषेचन की प्रक्रिया में पुरुष गामेटा का स्त्री गामेटा से मिलना किस प्रकार कहलाता है? (UPSC प्रारंभिक परीक्षा, 2021)
(a) आत्मसंयोजन
(b) बाह्य निषेचन
(c) आंतरिक निषेचन
(d) क्रोमोटिक निषेचन
उत्तर: (c) आंतरिक निषेचन
आंतरिक निषेचन (Internal Fertilization) में पुरुष गामेटा स्त्री गामेटा के साथ पुष्प के अंदर मिलते हैं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) आत्मसंयोजन: यह स्वयं-परागण है। – (b) बाह्य निषेचन: इसमें निषेचन पुष्प के बाहर होता है। – (d) क्रोमोटिक निषेचन: यह एक गलत विकल्प है।
3. पुष्पधारी पौधों में परागण के दो प्रकार कौन से हैं? (Railway परीक्षा, 2020)
(a) आत्मपरागण और परस्पर परागण
(b) स्वच्छंद परागण और आनुवंशिक परागण
(c) आंतरिक परागण और बाह्य परागण
(d) सैफ्रोफिटिक परागण और परजीवी परागण
उत्तर: (b) स्वच्छंद परागण और आनुवंशिक परागण
परागण के दो प्रकार स्वच्छंद परागण (Self-Pollination) और आनुवंशिक परागण (Cross-Pollination) हैं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) आत्मपरागण और परस्पर परागण: यह सामान्य परागण के संदर्भ में सही है, लेकिन विशेष रूप से स्वच्छंद और आनुवंशिक परागण अधिक उपयुक्त हैं। – (c) आंतरिक परागण और बाह्य परागण: यह निषेचन के प्रकार हैं। – (d) सैफ्रोफिटिक परागण और परजीवी परागण: यह गलत विकल्प हैं।
4. निम्नलिखित में से कौन सा पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन का चरण नहीं है? (State PCS Uttar Pradesh, 2019)
(a) परागण
(b) निषेचन
(c) बीज मृगन
(d) जल संश्लेषण
उत्तर: (d) जल संश्लेषण
जल संश्लेषण (Water Synthesis) पुष्पधारी पौधों में लैंगिक प्रजनन का कोई चरण नहीं है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) परागण: यह लैंगिक प्रजनन का पहला चरण है। – (b) निषेचन: यह लैंगिक प्रजनन का दूसरा चरण है। – (c) बीज मृगन: यह लैंगिक प्रजनन का अंतिम चरण है।
5. पुष्पधारी पौधों में स्त्री प्रजनन अंग का ऊपरी हिस्सा क्या कहलाता है? (NEET, 2018)
(a) तने
(b) गर्भाशय
(c) गर्भाशयक
(d) कृत्रिम पतली
उत्तर: (d) कृत्रिम पतली
स्त्री प्रजनन अंग का ऊपरी हिस्सा कृत्रिम पतली (Stigma) कहलाता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) तने: यह पुष्प का हिस्सा नहीं है। – (b) गर्भाशय: यह पुष्प का हिस्सा है, लेकिन ऊपरी हिस्सा नहीं। – (c) गर्भाशयक: यह पुष्प का हिस्सा है, लेकिन ऊपरी हिस्सा नहीं।
6. पुष्पधारी पौधों में बीज विकास के दौरान किस अंग में पोषण सामग्री विकसित होती है? (UPSC प्रारंभिक परीक्षा, 2017)
(a) कृत्रिम पतली
(b) गर्भाशयक
(c) तने
(d) पत्तियाँ
उत्तर: (b) गर्भाशयक
बीज विकास के दौरान पोषण सामग्री गर्भाशयक (Ovary) में विकसित होती है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) कृत्रिम पतली: यह स्त्री प्रजनन अंग का हिस्सा है। – (c) तने: यह पुष्पधारी पौधों का मुख्य ऊतक है। – (d) पत्तियाँ: यह प्रकाश संश्लेषण में भूमिका निभाती हैं।
7. पुष्पधारी पौधों में पुरुष प्रजनन अंग का नाम क्या है? (Bihar PCS, 2016)
(a) कृत्रिम पतली
(b) स्तम्भ
(c) पुष्प पत्ती
(d) गर्भाशय
उत्तर: (c) पुष्प पत्ती
पुष्पधारी पौधों में पुरुष प्रजनन अंग का नाम पुष्प पत्ती (Stamens) है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) कृत्रिम पतली: यह स्त्री प्रजनन अंग का हिस्सा है। – (b) स्तम्भ: यह ‘Filament’ का हिंदी अनुवाद है, जो पुष्प पत्ती का हिस्सा है। – (d) गर्भाशय: यह स्त्री प्रजनन अंग का हिस्सा है।
8. पुष्पधारी पौधों में पुष्प का रंग बदलने का मुख्य कारण क्या होता है? (MP PCS, 2015)
(a) पौधों की वृद्धि
(b) परागण की प्रक्रिया
(c) जल संश्लेषण
(d) रोग प्रतिरोधक क्षमता
उत्तर: (b) परागण की प्रक्रिया
पुष्प का रंग परागण को आकर्षित करने के लिए बदलता है, जिससे परागण की प्रक्रिया में मदद मिलती है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) पौधों की वृद्धि: यह पुष्प के रंग बदलने का कारण नहीं। – (c) जल संश्लेषण: यह प्रकाश संश्लेषण से संबंधित है। – (d) रोग प्रतिरोधक क्षमता: यह पुष्प के रंग बदलने का कारण नहीं।
9. पुष्पधारी पौधों में बीज का गठन किस प्रक्रिया से होता है? (NEET, 2014)
(a) प्रकाश संश्लेषण
(b) निषेचन
(c) परागण
(d) जल संश्लेषण
उत्तर: (b) निषेचन
निषेचन (Fertilization) के बाद ही बीज का गठन होता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) प्रकाश संश्लेषण: यह ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया है। – (c) परागण: यह निषेचन से पहले की प्रक्रिया है। – (d) जल संश्लेषण: यह कोई वास्तविक प्रक्रिया नहीं है।
10. पुष्पधारी पौधों में बीज का विकास किस अंग में होता है? (UPSC प्रारंभिक परीक्षा, 2013)
(a) कृत्रिम पतली
(b) पुष्प पत्ती
(c) गर्भाशय
(d) तने
उत्तर: (c) गर्भाशय
बीज का विकास पुष्पधारी पौधों में गर्भाशय (Ovary) में होता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) कृत्रिम पतली: यह स्त्री प्रजनन अंग का हिस्सा है। – (b) पुष्प पत्ती: यह पुरुष प्रजनन अंग है। – (d) तने: यह पौधों का मुख्य ऊतक है।
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