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पौधों में लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction in Flowering Plants)

परिचय: पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन

लैंगिक जनन वह प्रक्रिया है जिसमें दो जनक (नर और मादा) भाग लेते हैं और युग्मकों (gametes) के संलयन से एक नई संतान उत्पन्न होती है। पुष्पी पादपों (Angiosperms) में, पुष्प (Flower) मुख्य जनन अंग है। यह नर और मादा दोनों युग्मकों का उत्पादन करता है और निषेचन के लिए एक मंच प्रदान करता है।

एक पूर्ण पुष्प की संरचना

एक पूर्ण पुष्प में चार मुख्य चक्र होते हैं:

  • बाह्यदलपुंज (Calyx): सबसे बाहरी चक्र, जो हरे रंग के बाह्यदलों (sepals) से बना होता है। यह कली की अवस्था में पुष्प की रक्षा करता है।
  • दलपुंज (Corolla): यह रंगीन पंखुड़ियों (petals) का चक्र है, जो परागण के लिए कीटों को आकर्षित करता है।
  • पुमंग (Androecium): यह पुष्प का नर जनन अंग है। इसकी इकाई पुंकेसर (Stamen) है, जिसमें परागकोश (Anther) और तंतु (Filament) होते हैं। परागकोश में परागकण (Pollen Grains) बनते हैं।
  • जायांग (Gynoecium): यह पुष्प का मादा जनन अंग है। इसकी इकाई स्त्रीकेसर (Pistil/Carpel) है, जिसमें वर्तिकाग्र (Stigma), वर्तिका (Style) और अंडाशय (Ovary) होते हैं। अंडाशय के अंदर बीजांड (Ovule) होता है।

परागण (Pollination)

परागकोश से परागकणों का स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण परागण कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है:

1. स्व-परागण (Self-Pollination)

जब एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प या उसी पौधे के किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं।

2. पर-परागण (Cross-Pollination)

जब एक पुष्प के परागकण उसी प्रजाति के किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं। इसके लिए बाहरी साधनों (agents) की आवश्यकता होती है, जैसे वायु, जल, कीट, पक्षी आदि।

निषेचन और दोहरा निषेचन (Fertilization and Double Fertilization)

निषेचन (Fertilization)

परागण के बाद, परागकण वर्तिकाग्र पर अंकुरित होता है और एक पराग नलिका (Pollen Tube) बनाता है, जो वर्तिका से होते हुए बीजांड तक पहुँचती है। पराग नलिका में दो नर युग्मक होते हैं।

दोहरा निषेचन (Double Fertilization)

यह एंजियोस्पर्म की एक अद्वितीय विशेषता है।

  • युग्मक संलयन (Syngamy): एक नर युग्मक, मादा युग्मक (अंड कोशिका) के साथ संलयन करके युग्मनज (Zygote) बनाता है, जो बाद में भ्रूण (Embryo) में विकसित होता है।
  • त्रिसंलयन (Triple Fusion): दूसरा नर युग्मक, दो ध्रुवीय नाभिकों (polar nuclei) के साथ संलयन करके प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक (Primary Endosperm Nucleus) बनाता है। यह भ्रूणपोष (Endosperm) में विकसित होता है, जो भ्रूण के लिए भोजन संग्रहीत करता है।

निषेचन के बाद के परिवर्तन

निषेचन के बाद, पुष्प में कई परिवर्तन होते हैं:

  • अंडाशय (Ovary) → फल (Fruit) में विकसित होता है।
  • बीजांड (Ovule) → बीज (Seed) में विकसित होता है।
  • युग्मनज (Zygote) → भ्रूण (Embryo) में विकसित होता है।
  • बाह्यदल, दल, पुंकेसर, वर्तिका और वर्तिकाग्र सूखकर झड़ जाते हैं।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (GK for Exams)

  • पौधे का जनन अंग: पुष्प (Flower)।
  • नर जनन अंग: पुमंग (Androecium), जिसकी इकाई पुंकेसर है।
  • मादा जनन अंग: जायांग (Gynoecium), जिसकी इकाई स्त्रीकेसर है।
  • दोहरा निषेचन (Double Fertilization) एंजियोस्पर्म (आवृतबीजी) का विशिष्ट लक्षण है।
  • निषेचन के बाद, अंडाशय से फल और बीजांड से बीज बनता है।
  • वायु द्वारा परागण को एनिमोफिली (Anemophily) कहते हैं।
  • कीटों द्वारा परागण को एंटोमोफिली (Entomophily) कहते हैं।
  • पक्षियों द्वारा परागण को ओर्निथोफिली (Ornithophily) कहते हैं।
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