परिचय: कोश, उपकोश और कक्षक
बोर के परमाणु मॉडल ने ऊर्जा स्तरों की अवधारणा दी, लेकिन आधुनिक क्वांटम यांत्रिक मॉडल परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की स्थिति का अधिक विस्तृत और सटीक वर्णन करता है। इस मॉडल के अनुसार, इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर एक त्रि-आयामी क्षेत्र में पाए जाते हैं, जिसे कोश, उपकोश और कक्षकों में विभाजित किया गया है।
कोश, उपकोश और कक्षक की अवधारणा
कोश (Shell)
कोश नाभिक के चारों ओर मुख्य ऊर्जा स्तर होते हैं। इन्हें मुख्य क्वांटम संख्या (n) द्वारा दर्शाया जाता है, जहाँ n = 1, 2, 3, …। इन्हें क्रमशः K, L, M, N… नाम भी दिया गया है। किसी कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 2n² होती है।
उपकोश (Subshell)
प्रत्येक कोश एक या एक से अधिक उपकोशों में विभाजित होता है। इन्हें s, p, d, f अक्षरों द्वारा दर्शाया जाता है।
- n=1 (K कोश) में केवल 1 उपकोश होता है: 1s
- n=2 (L कोश) में 2 उपकोश होते हैं: 2s, 2p
- n=3 (M कोश) में 3 उपकोश होते हैं: 3s, 3p, 3d
- n=4 (N कोश) में 4 उपकोश होते हैं: 4s, 4p, 4d, 4f
कक्षक (Orbital)
कक्षक नाभिक के चारों ओर का वह त्रि-आयामी क्षेत्र है जहाँ एक इलेक्ट्रॉन के पाए जाने की प्रायिकता सबसे अधिक होती है। प्रत्येक उपकोश में एक या एक से अधिक कक्षक होते हैं।
- s उपकोश: 1 गोलाकार कक्षक होता है।
- p उपकोश: 3 डंबल के आकार के कक्षक होते हैं (pₓ, pᵧ, p₂)।
- d उपकोश: 5 जटिल आकार के कक्षक होते हैं।
- f उपकोश: 7 और भी जटिल आकार के कक्षक होते हैं।
पाउली के अपवर्जन नियम के अनुसार, किसी भी कक्षक में विपरीत स्पिन वाले अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन ही रह सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनों को भरने के नियम और ऊर्जा अनुक्रम
आफबाऊ का सिद्धांत (Aufbau Principle)
यह सिद्धांत बताता है कि इलेक्ट्रॉन सबसे पहले सबसे कम ऊर्जा वाले कक्षक में प्रवेश करते हैं और फिर ऊर्जा के बढ़ते क्रम में उच्च ऊर्जा वाले कक्षकों में भरते हैं। कक्षकों का ऊर्जा क्रम इस प्रकार है:
1s < 2s < 2p < 3s < 3p < 4s < 3d < 4p < 5s ...
हुंड का अधिकतम बहुलता का नियम (Hund’s Rule)
इस नियम के अनुसार, एक ही उपकोश के कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन (pairing) तब तक शुरू नहीं होता जब तक कि उस उपकोश के सभी कक्षकों में एक-एक इलेक्ट्रॉन न भर जाए।