साबुन का परिचय
साबुन (Soap) लंबी-श्रृंखला वाले वसीय अम्लों (fatty acids) के सोडियम या पोटैशियम लवण होते हैं। ये सफाई करने वाले एजेंट हैं जो पानी और तेल दोनों के साथ परस्पर क्रिया कर सकते हैं, जिससे वे गंदगी और ग्रीस को हटाने में सक्षम होते हैं।
- कठोर साबुन (Hard Soap): ये वसीय अम्लों के सोडियम लवण होते हैं और आमतौर पर कपड़े धोने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- मुलायम साबुन (Soft Soap): ये वसीय अम्लों के पोटैशियम लवण होते हैं और आमतौर पर नहाने के साबुन और शेविंग क्रीम में उपयोग किए जाते हैं।
साबुनीकरण (Saponification)
साबुन बनाने की प्रक्रिया को साबुनीकरण कहा जाता है। यह एक ऐसी रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें वनस्पति तेल या पशु वसा (जो ट्राइग्लिसराइड एस्टर होते हैं) को एक क्षार (alkali), जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH), के साथ गर्म किया जाता है।
वसा/तेल + क्षार → साबुन + ग्लिसरॉल
- इस अभिक्रिया में, ग्लिसरॉल (Glycerol) एक महत्वपूर्ण सह-उत्पाद (by-product) के रूप में प्राप्त होता है, जिसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों और दवाओं में किया जाता है।
साबुन की सफाई प्रक्रिया (Cleaning Action of Soap)
साबुन की सफाई क्रिया उसके अणुओं की अनूठी संरचना पर आधारित है। साबुन के अणु के दो सिरे होते हैं:
- जलरागी (Hydrophilic) सिरा: यह आयनिक सिरा होता है जो जल की ओर आकर्षित होता है।
- जलविरागी (Hydrophobic) सिरा: यह लंबी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला होती है जो जल से प्रतिकर्षित होती है लेकिन तेल और ग्रीस की ओर आकर्षित होती है।
जब साबुन को पानी में घोला जाता है, तो उसके अणु मिसेल (micelles) नामक गोलाकार संरचनाएं बनाते हैं। इन संरचनाओं में, जलविरागी पूंछें अंदर की ओर होती हैं और तैलीय गंदगी को फंसा लेती हैं, जबकि जलरागी सिर बाहर की ओर पानी के संपर्क में रहते हैं। जब पानी से धोया जाता है, तो ये मिसेल गंदगी को अपने साथ बहा ले जाते हैं।
साबुन और अपमार्जक में अंतर
साबुन कठोर जल (Hard Water) में प्रभावी ढंग से काम नहीं करते हैं। कठोर जल में मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम आयन साबुन के साथ अभिक्रिया करके एक अघुलनशील, चिपचिपा पदार्थ बनाते हैं जिसे स्कम (scum) कहते हैं, जो सफाई में बाधा डालता है। इसके विपरीत, अपमार्जक (detergents) कठोर जल में भी प्रभावी रहते हैं।