सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम (Universal Law of Gravitation)
1. सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम क्या है? (What is the Universal Law of Gravitation?)
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम यह बताता है कि ब्रह्मांड में प्रत्येक दो पिंडों के बीच एक आकर्षण बल होता है, जो उनके द्रव्यमान के गुणनफल के अनुपात में होता है और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
F = G × (m₁ × m₂) / r²
जहाँ:
- F = दो पिंडों के बीच का गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)
- G = गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक (Gravitational Constant, 6.674 × 10⁻¹¹ N m²/kg²)
- m₁ और m₂ = दो पिंडों के द्रव्यमान
- r = दो पिंडों के बीच की दूरी
2. गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक (Gravitational Constant, G)
गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक G का मान 6.674 × 10⁻¹¹ N m²/kg² होता है। यह एक सार्वत्रिक स्थिरांक है और यह दर्शाता है कि गुरुत्वाकर्षण बल कितना प्रभावशाली है।
3. गुरुत्वाकर्षण के अनुप्रयोग (Applications of Gravitation)
- ग्रहों की गति: गुरुत्वाकर्षण बल ग्रहों और उनके उपग्रहों की कक्षाओं को बनाए रखने में सहायक है।
- ज्वार-भाटा: पृथ्वी पर समुद्री ज्वार-भाटा चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होते हैं।
- वस्तुओं का वजन: पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वस्तुओं का वजन होता है, जो उन्हें पृथ्वी की ओर आकर्षित करता है।
- ब्रह्मांडीय संरचना: गुरुत्वाकर्षण बल आकाशगंगाओं, तारों और ग्रहों को एक साथ बनाए रखने में सहायक होता है।
4. उदाहरण (Example)
मान लें कि दो पिंड, जिनका द्रव्यमान क्रमशः m₁ = 5 kg और m₂ = 10 kg है, उनके बीच की दूरी r = 2 m है। गुरुत्वाकर्षण बल होगा:
F = (6.674 × 10⁻¹¹) × (5 × 10) / (2)² = 8.34 × 10⁻¹¹ N
5. गुरुत्वाकर्षण का महत्व (Importance of Gravitation)
गुरुत्वाकर्षण का नियम ब्रह्मांड में स्थिरता और संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बिना, आकाशगंगाएँ, ग्रह, तारे, और अन्य खगोलीय पिंड स्थिर नहीं रह सकते थे।