कोयला (Coal)
⛏️ 1. परिचय (Introduction)
कोयला भारत का प्रमुख ऊर्जा स्रोत है और बिजली उत्पादन का मुख्य आधार है। यह ऊर्जा संसाधनों में सबसे अधिक योगदान देता है और उद्योगों में ईंधन के रूप में उपयोग होता है।
🌐 2. प्रमुख खनन क्षेत्र (Major Mining Areas)
- झारखंड: झरिया, बोकारो, गिरिडीह
- छत्तीसगढ़: कोरबा, रायगढ़
- ओडिशा: तालचेर, इब वैली
- मध्य प्रदेश: सिंगरौली
- पश्चिम बंगाल: रानीगंज, आसनसोल
- महाराष्ट्र: चंद्रपुर, वर्धा घाटी
📊 3. उत्पादन सांख्यिकी (Production Statistics)
- कुल कोयला उत्पादन (2019-2020): लगभग 730 मिलियन टन
- विश्व में स्थान: कोयला उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है
- प्रमुख उत्पादक राज्य: झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा
- बिजली उत्पादन में योगदान: कुल बिजली उत्पादन का लगभग 55%
🏭 4. उपयोग (Uses)
- बिजली उत्पादन (थर्मल पावर प्लांट)
- इस्पात उत्पादन में कोकिंग कोल
- सीमेंट उद्योग
- उर्वरक और रसायन उद्योग
- घरेलू ईंधन (ग्रामीण क्षेत्रों में)
📚 5. परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts for Exams)
- कोल इंडिया लिमिटेड विश्व की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है
- झरिया (झारखंड) भारत का सबसे बड़ा कोकिंग कोल भंडार है
- भारत कोकिंग कोल का आयात करता है
- कोयला ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है
- गोंडवाना कोयला भारत में सबसे अधिक पाया जाता है
💡 6. अन्य महत्वपूर्ण तथ्य (Other Important Facts)
- कोयला खनन में भूमिगत और ओपन-कास्ट दोनों विधियाँ उपयोग होती हैं
- कोयला गैसीकरण और कोयला तरलीकरण तकनीकें उभर रही हैं
- पर्यावरणीय प्रभावों के कारण कोयले पर निर्भरता घटाने के प्रयास
- कोयला मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नियंत्रित
🌍 7. पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impact)
- खनन से भूमि क्षरण और वनों की कटाई
- वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन
- जल स्रोतों पर प्रभाव
- स्थानीय समुदायों पर सामाजिक प्रभाव
🏛️ 8. सरकारी पहल (Government Initiatives)
- कोयला खनन में निजी निवेश को प्रोत्साहन
- पर्यावरण संरक्षण के लिए नियमों का क्रियान्वयन
- कोयला खनन में आधुनिक तकनीकों का उपयोग
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा
- कोयला गैसीकरण और कोयला तरलीकरण को प्रोत्साहन
🔍 9. निष्कर्ष (Conclusion)
कोयला भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, सतत विकास के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास आवश्यक है।
कोयला पर प्रश्नोत्तरी
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) लिग्नाइट: यह निम्न ग्रेड का कोयला है।
– (b) बिटुमिनस: यह मध्यम ग्रेड का कोयला है।
– (c) पीट: यह कोयले का सबसे निचला रूप है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) ओडिशा: यहाँ भी कोयले का उत्पादन होता है, लेकिन झारखंड से कम।
– (c) छत्तीसगढ़: कोयले का महत्वपूर्ण उत्पादक है, लेकिन शीर्ष पर नहीं।
– (d) पश्चिम बंगाल: यहाँ भी कोयले की खदानें हैं, लेकिन उत्पादन कम है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) उर्वरक उत्पादन: इसमें कोयले का उपयोग सीमित है।
– (b) स्टील उत्पादन: कोक का उपयोग स्टील उत्पादन में किया जाता है।
– (d) निर्माण सामग्री: इसमें कोयले का बहुत कम उपयोग होता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (b) कोक: कोयले से निर्मित होता है।
– (c) कोयला गैस: यह एक उत्पाद है जो कोयले के प्रसंस्करण से प्राप्त होता है।
– (d) कोलतार: कोयले के प्रसंस्करण से निकला एक अन्य उत्पाद है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) बिटुमिनस: इसमें कार्बन की मात्रा कम होती है।
– (b) लिग्नाइट: कार्बन की मात्रा सबसे कम होती है।
– (d) पीट: यह भी निम्न ग्रेड का कोयला है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) लिग्नाइट: निम्न ऊर्जा घनत्व होता है।
– (b) बिटुमिनस: मध्यम ऊर्जा घनत्व होता है।
– (c) पीट: सबसे निम्न ऊर्जा घनत्व होता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) पीट: यह निम्न गुणवत्ता का कोयला है और थर्मल उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है।
– (b) लिग्नाइट: इसका उपयोग सीमित है क्योंकि इसकी ऊर्जा कम है।
– (d) एंथ्रासाइट: ऊर्जा अधिक होती है, लेकिन इसकी उपलब्धता कम है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (b) मीथेन और प्रोपेन: ये कोयला गैसीकरण में नहीं बनते।
– (c) ऑक्सीजन और नाइट्रोजन: ये प्राकृतिक गैसों का हिस्सा नहीं होते।
– (d) कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड: ये प्रदूषक गैसें हैं, गैसीकरण का परिणाम नहीं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) थर्मल पावर उत्पादन: इसमें थर्मल कोल का उपयोग होता है।
– (c) रासायनिक उत्पादन: इसमें इसका उपयोग नहीं होता।
– (d) घरेलू ईंधन: कोकिंग कोल घरेलू ईंधन के लिए उपयोगी नहीं है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) ओपन-पिट माइनिंग: यह सतही खदानों के लिए उपयुक्त है।
– (c) स्ट्रिप माइनिंग: यह सतही कोयला खनन के लिए है।
– (d) माउंटेन-टॉप माइनिंग: यह पहाड़ी सतहों के लिए उपयोग किया जाता है।