1. परिचय (Introduction)
पृथ्वी की आंतरिक संरचना प्याज की तरह संकेंद्रित परतों से बनी है। चूंकि पृथ्वी के केंद्र तक सीधे पहुंचना असंभव है, इसलिए भूवैज्ञानिकों ने अप्रत्यक्ष स्रोतों (Indirect Sources) पर भरोसा किया है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण स्रोत भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) का अध्ययन है, जो हमें पृथ्वी के आंतरिक भाग का एक विस्तृत चित्र प्रदान करता है। इन अध्ययनों के आधार पर, पृथ्वी को तीन मुख्य परतों में विभाजित किया गया है: क्रस्ट (भूपर्पटी), मैंटल (प्रावार), और कोर (क्रोड)।
2. क्रस्ट (The Crust / भूपर्पटी)
- यह पृथ्वी की सबसे बाहरी और सबसे पतली ठोस परत है।
- यह पृथ्वी के कुल आयतन का केवल 1% हिस्सा है।
- क्रस्ट में सबसे प्रचुर तत्व ऑक्सीजन (Oxygen), उसके बाद सिलिकॉन (Silicon) और एल्यूमीनियम (Aluminium) हैं।
- यह भंगुर (brittle) है और भूकंप तथा ज्वालामुखी जैसी अधिकांश भूवैज्ञानिक गतिविधियाँ यहीं होती हैं।
- क्रस्ट को दो भागों में बांटा गया है:
A. महाद्वीपीय क्रस्ट (Continental Crust)
- यह मोटी (औसत 35-40 किमी, पहाड़ों के नीचे 70 किमी तक) लेकिन कम घनी होती है।
- यह मुख्य रूप से ग्रेनाइट (Granite) जैसी चट्टानों से बनी है।
- इसकी संरचना में सिलिका (Si) और एल्यूमिना (Al) की प्रचुरता के कारण इसे सियाल (Sial) भी कहा जाता है।
B. महासागरीय क्रस्ट (Oceanic Crust)
- यह पतली (औसत 5-7 किमी) लेकिन महाद्वीपीय क्रस्ट से अधिक घनी होती है।
- यह मुख्य रूप से बेसाल्ट (Basalt) जैसी चट्टानों से बनी है।
- इसकी संरचना में सिलिका (Si) और मैग्नीशियम (Mg) की प्रचुरता के कारण इसे सिमा (Sima) भी कहा जाता है।
3. मैंटल (The Mantle / प्रावार)
- यह क्रस्ट के नीचे स्थित है और पृथ्वी के आयतन का सबसे बड़ा हिस्सा (लगभग 84%) और द्रव्यमान का 67% हिस्सा है।
- यह 2900 किमी की गहराई तक फैला हुआ है।
- यह सिलिकेट चट्टानों से बना है जो लोहे और मैग्नीशियम से भरपूर हैं।
- मैंटल को दो भागों में बांटा गया है:
A. ऊपरी मैंटल (Upper Mantle)
- ऊपरी मैंटल का ऊपरी, कठोर हिस्सा और पूरा क्रस्ट मिलकर स्थलमंडल (Lithosphere) बनाते हैं। यह पृथ्वी की कठोर बाहरी परत है जो टेक्टोनिक प्लेटों में टूटी हुई है।
- स्थलमंडल के ठीक नीचे (लगभग 100-400 किमी की गहराई पर) एक अत्यधिक चिपचिपी, आंशिक रूप से पिघली हुई परत है जिसे एस्थेनोस्फीयर (Asthenosphere) या दुर्बलतामंडल कहते हैं। टेक्टोनिक प्लेटें इसी परत के ऊपर तैरती हैं, और यह मैग्मा का मुख्य स्रोत है जो ज्वालामुखियों से फूटता है।
B. निचला मैंटल (Lower Mantle)
- यह एस्थेनोस्फीयर के नीचे से कोर तक फैला हुआ है। बढ़ते दबाव के कारण यह ठोस और अधिक सघन है।
4. कोर (The Core / क्रोड)
- यह पृथ्वी का सबसे भीतरी और सबसे घना हिस्सा है।
- यह मुख्य रूप से भारी धातुओं, निकेल (Ni) और लोहा (Fe) से बना है, इसलिए इसे निफे (Nife) भी कहा जाता है।
- कोर को दो भागों में बांटा गया है:
A. बाहरी कोर (Outer Core)
- यह 2900 किमी से 5150 किमी की गहराई पर है।
- यह तरल अवस्था (Liquid State) में है। हमें यह इसलिए पता है क्योंकि भूकंपीय S-तरंगें (जो तरल से नहीं गुजर सकतीं) इससे होकर नहीं गुजरती हैं।
- इस तरल परत में पिघले हुए लोहे की संवहन धाराएं ही पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र (Earth’s Magnetic Field) को उत्पन्न करती हैं, जो हमें हानिकारक सौर विकिरण से बचाती है।
B. आंतरिक कोर (Inner Core)
- यह 5150 किमी से 6371 किमी (पृथ्वी के केंद्र) तक फैला है।
- अत्यधिक दाब के कारण यह ठोस अवस्था (Solid State) में है, भले ही इसका तापमान बाहरी कोर से अधिक हो।
- यह पृथ्वी का सबसे गर्म हिस्सा है, जिसका तापमान सूर्य की सतह (~6000°C) के बराबर माना जाता है।
5. पृथ्वी की असंबद्धताएँ (Earth’s Discontinuities)
ये वे सीमाएँ हैं जहाँ भूकंपीय तरंगों की गति में अचानक परिवर्तन होता है, जो पृथ्वी की परतों के बीच संरचना या अवस्था में बदलाव का संकेत देता है।
- कोनराड असंबद्धता: ऊपरी (सियाल) और निचली (सिमा) क्रस्ट के बीच।
- मोहोरोविकिक असंबद्धता (मोहो): क्रस्ट और ऊपरी मैंटल के बीच।
- रेपिटी असंबद्धता: ऊपरी मैंटल और निचले मैंटल के बीच।
- गुटेनबर्ग असंबद्धता: मैंटल और बाहरी कोर के बीच।
- लेहमन असंबद्धता: बाहरी कोर और आंतरिक कोर के बीच।