1. परिचय (Introduction)
भूवैज्ञानिक समय-मान (Geological Time Scale) पृथ्वी के 4.6 अरब वर्षों के इतिहास को कालानुक्रमिक रूप से व्यवस्थित करने की एक प्रणाली है। यह वैज्ञानिकों को चट्टानों, जीवाश्मों और पृथ्वी पर हुई प्रमुख भूवैज्ञानिक तथा जैविक घटनाओं को एक क्रम में रखने में मदद करता है।
2. समय-मान की पदानुक्रम (Hierarchy of the Time Scale)
भूवैज्ञानिक समय को बड़े से छोटे खंडों में विभाजित किया गया है:
- इओन (Eon): सबसे बड़ी समय इकाई (प्रीकैम्ब्रियन, फैनरोजोइक)।
- महाकल्प (Era): इओन का उपखंड (पैलियोजोइक, मेसोजोइक, सेनोजोइक)।
- कल्प (Period): महाकल्प का उपखंड (जुरासिक, क्रिटेशियस)।
- युग (Epoch): कल्प का उपखंड (प्लीस्टोसीन, होलोसीन)।
3. प्रीकैम्ब्रियन इओन (Precambrian Eon)
यह पृथ्वी के इतिहास का सबसे लंबा कालखंड है, जो पृथ्वी के निर्माण से लेकर लगभग 541 मिलियन वर्ष पूर्व तक फैला है।
- इस दौरान पृथ्वी का वायुमंडल, महासागर और महाद्वीप बने।
- जीवन की उत्पत्ति हुई, सबसे पहले एककोशिकीय जीवों (Single-celled organisms) जैसे बैक्टीरिया और शैवाल के रूप में।
- इस अवधि के अंत तक, पहले बहुकोशिकीय जीव विकसित हुए।
4. फैनरोजोइक इओन (Phanerozoic Eon) – ‘दृश्यमान जीवन’
यह इओन लगभग 541 मिलियन वर्ष पूर्व से आज तक फैला है। इसे तीन महाकल्पों में बांटा गया है।
A. पैलियोजोइक महाकल्प (Paleozoic Era) – ‘प्राचीन जीवन’
- कैम्ब्रियन कल्प: इस दौरान “कैम्ब्रियन विस्फोट” (Cambrian Explosion) हुआ, जिसमें अधिकांश प्रमुख प्राणी संघों का अचानक उदय हुआ।
- डिवोनियन कल्प: इसे ‘मछलियों का युग’ (Age of Fishes) कहा जाता है। पहले उभयचर (Amphibians) और भूमि पर पौधे भी इसी कल्प में विकसित हुए।
- कार्बोनिफेरस कल्प: विशाल दलदली जंगलों का निर्माण हुआ, जिनके अवशेषों से आज दुनिया के प्रमुख कोयला भंडार बने हैं।
- पर्मियन कल्प: पहले सरीसृप (Reptiles) विकसित हुए। यह महाकल्प “द ग्रेट डाइंग” (The Great Dying) नामक एक बड़े पैमाने पर विलुप्ति (Mass Extinction) के साथ समाप्त हुआ।
B. मेसोजोइक महाकल्प (Mesozoic Era) – ‘मध्य जीवन’
इसे ‘सरीसृपों का युग’ (Age of Reptiles) भी कहा जाता है।
- ट्राइसिक कल्प: पहले डायनासोर और पहले स्तनधारी (Mammals) प्रकट हुए।
- जुरासिक कल्प: डायनासोर पृथ्वी पर हावी हो गए। पहले पक्षी विकसित हुए।
- क्रिटेशियस कल्प: पहले फूल वाले पौधे (Flowering Plants) दिखाई दिए। यह महाकल्प के-टी विलुप्ति (K-T Extinction) के साथ समाप्त हुआ, जिसमें डायनासोर विलुप्त हो गए।
C. सेनोजोइक महाकल्प (Cenozoic Era) – ‘नवीन जीवन’
इसे ‘स्तनधारियों का युग’ (Age of Mammals) भी कहा जाता है।
- पैलियोजीन और नियोजीन कल्प: डायनासोरों के विलुप्त होने के बाद, स्तनधारी विविधतापूर्ण हुए और प्रमुख स्थलीय जानवर बन गए। हिमालय जैसे प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं का निर्माण हुआ।
- क्वाटरनरी कल्प:
- प्लीस्टोसीन युग (Pleistocene Epoch): इसे ‘हिमयुग’ (Ice Age) के रूप में जाना जाता है, जिसमें बार-बार हिमनद और अंतर-हिमनद काल होते थे। आधुनिक मनुष्यों (Homo sapiens) का विकास हुआ।
- होलोसीन युग (Holocene Epoch): यह पिछले 11,700 वर्षों से चल रहा वर्तमान युग है। यह मानव सभ्यता के विकास की अवधि है।
5. प्रमुख सामूहिक विलुप्तियाँ (Major Mass Extinctions)
पृथ्वी के इतिहास में ऐसे कई दौर आए हैं जब प्रजातियों की एक बड़ी संख्या अपेक्षाकृत कम समय में विलुप्त हो गई। इनमें से पाँच सबसे बड़ी घटनाओं को “द बिग फाइव” (The Big Five) कहा जाता है:
- ऑर्डोविशियन-सिल्यूरियन विलुप्ति: लगभग 443 मिलियन वर्ष पूर्व। इसका मुख्य कारण एक तीव्र हिमयुग और उसके बाद समुद्र के स्तर में भारी गिरावट थी।
- लेट डेवोनियन विलुप्ति: लगभग 372 मिलियन वर्ष पूर्व। यह एक लंबी अवधि की घटना थी, संभवतः वैश्विक शीतलन और समुद्री ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई।
- पर्मियन-ट्राइसिक विलुप्ति (“द ग्रेट डाइंग”): लगभग 252 मिलियन वर्ष पूर्व। यह पृथ्वी के इतिहास की सबसे विनाशकारी विलुप्ति थी, जिसमें 96% समुद्री प्रजातियाँ और 70% स्थलीय कशेरुकी प्रजातियाँ समाप्त हो गईं। इसका कारण बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी गतिविधि माना जाता है।
- ट्राइसिक-जुरासिक विलुप्ति: लगभग 201 मिलियन वर्ष पूर्व। इसने कई बड़े उभयचरों और सरीसृपों को समाप्त कर दिया, जिससे डायनासोरों को पृथ्वी पर हावी होने का अवसर मिला।
- क्रिटेशियस-पैलियोजीन विलुप्ति (के-टी विलुप्ति): लगभग 66 मिलियन वर्ष पूर्व। इस घटना में डायनासोर (पक्षियों को छोड़कर) विलुप्त हो गए। इसका सबसे स्वीकृत कारण मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप में एक विशाल क्षुद्रग्रह का प्रभाव है।