जलमंडल और जलवायु (Hydrosphere and Climate)
जलवायु प्रणाली में महासागरों की भूमिका (Role of Oceans in Climate System)
महासागर पृथ्वी के जलवायु तंत्र (Climate System) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे गर्मी को संग्रहित और स्थानांतरित करते हैं, जो मौसम के पैटर्न और जलवायु में परिवर्तन को प्रभावित करता है।
- महासागरों की ऊर्जा संग्रहण क्षमता:
- सौर ऊर्जा का 90% महासागर द्वारा अवशोषित होता है।
- गर्मी का पुनर्वितरण (Redistribution) धाराओं और पवन प्रणालियों के माध्यम से किया जाता है।
- कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण:
- महासागर पृथ्वी के वायुमंडल से हर साल लगभग 2.5 गीगाटन CO2 अवशोषित करते हैं।
- यह जलवायु परिवर्तन को धीमा करने में मदद करता है।
महत्त्वपूर्ण आँकड़ा:
महासागर पृथ्वी की सतह के लगभग 71% को कवर करते हैं और जलवायु नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
महासागर | भूमिका |
---|---|
प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) | उष्ण कटिबंधीय धाराओं और अल नीनो-ला नीना घटनाओं को संचालित करता है। |
अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) | ग्लोबल हीट पंप (Global Heat Pump) के रूप में कार्य करता है। |
आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean) | जलवायु ठंडा करने वाले कारकों में योगदान करता है। |
एल नीनो और ला नीना घटनाएँ (El Niño and La Niña Phenomena)
एल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर में होने वाली जलवायु घटनाएँ हैं। ये वैश्विक तापमान, वर्षा और तूफानी गतिविधियों को प्रभावित करती हैं।
- एल नीनो (El Niño):
- समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है।
- इसके परिणामस्वरूप भारत और ऑस्ट्रेलिया में सूखा, जबकि अमेरिका के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है।
- ला नीना (La Niña):
- समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से ठंडा हो जाता है।
- इसके परिणामस्वरूप ऑस्ट्रेलिया और भारत में भारी वर्षा और अमेरिका में सूखा होता है।
महत्त्वपूर्ण आँकड़ा:
एल नीनो घटनाएँ औसतन 2-7 वर्षों के बीच होती हैं, जबकि ला नीना आमतौर पर इसके बाद होती है।
घटना | विशेषताएँ | वैश्विक प्रभाव |
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एल नीनो (El Niño) | प्रशांत महासागर में उच्च तापमान | सूखा (भारत, ऑस्ट्रेलिया), भारी वर्षा (अमेरिका) |
ला नीना (La Niña) | प्रशांत महासागर में निम्न तापमान | भारी वर्षा (भारत, ऑस्ट्रेलिया), सूखा (अमेरिका) |