1. परिचय (Introduction)
चट्टान (Rock) एक या एक से अधिक खनिजों का प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला ठोस पिंड है। पृथ्वी की सबसे बाहरी परत, भूपर्पटी (Crस्ट), विभिन्न प्रकार की चट्टानों से बनी है। चट्टानों के वैज्ञानिक अध्ययन को पेट्रोलॉजी (Petrology) कहा जाता है। निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर, चट्टानों को तीन मुख्य समूहों में वर्गीकृत किया जाता है: आग्नेय, अवसादी और कायांतरित।
2. आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks)
‘इग्नियस’ लैटिन शब्द ‘इग्निस’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘आग’। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के आंतरिक भाग से मैग्मा (Magma) और लावा (Lava) के ठंडा होने और जमने से बनती हैं। चूंकि ये पृथ्वी पर बनने वाली पहली चट्टानें थीं, इसलिए इन्हें प्राथमिक चट्टानें (Primary Rocks) भी कहा जाता है।
विशेषताएँ
- ये रवेदार (Crystalline) होती हैं।
- इनमें परतें नहीं पाई जाती हैं।
- इनमें जीवाश्म (Fossils) नहीं होते हैं।
- अधिकांश आग्नेय चट्टानें कठोर और पानी के लिए अभेद्य होती हैं।
वर्गीकरण
- अंतर्भेदी (Intrusive) या प्लूटोनिक चट्टानें: जब मैग्मा पृथ्वी की सतह के नीचे धीरे-धीरे ठंडा होता है, तो अंतर्भेदी चट्टानें बनती हैं। धीमी गति से ठंडा होने के कारण इनमें बड़े आकार के रवे (Large crystals) होते हैं। उदाहरण: ग्रेनाइट, गैब्रो, डायोराइट।
- बहिर्भेदी (Extrusive) या ज्वालामुखी चट्टानें: जब लावा पृथ्वी की सतह पर तेजी से ठंडा होता है, तो बहिर्भेदी चट्टानें बनती हैं। तेजी से ठंडा होने के कारण इनमें बहुत छोटे और महीन रवे (Fine crystals) होते हैं। उदाहरण: बेसाल्ट, रायोलाइट, एंडेसाइट। दक्कन का पठार बेसाल्ट चट्टानों से बना है।
3. अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks)
‘सेडिमेंटरी’ लैटिन शब्द ‘सेडिमेंटम’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘व्यवस्थित होना’। अवसादी चट्टानें मौजूदा चट्टानों (आग्नेय, कायांतरित, या अन्य अवसादी) के टुकड़ों, जिन्हें अवसाद (Sediments) कहा जाता है, के संचय, संघनन और सीमेंटीकरण से बनती हैं। इस प्रक्रिया को लिथिफिकेशन (Lithification) कहा जाता है।
विशेषताएँ
- ये परतों (Layers or Strata) में पाई जाती हैं।
- इनमें अक्सर जीवाश्म (Fossils) पाए जाते हैं।
- ये आग्नेय चट्टानों की तुलना में नरम होती हैं।
- पृथ्वी की सतह का 75% हिस्सा अवसादी चट्टानों से ढका है।
वर्गीकरण
- यांत्रिक रूप से निर्मित (Mechanically Formed): ये चट्टानों के भौतिक रूप से टूटे हुए टुकड़ों से बनती हैं। उदाहरण: बलुआ पत्थर (Sandstone), शेल (Shale), कांग्लोमरेट (Conglomerate)।
- रासायनिक रूप से निर्मित (Chemically Formed): ये पानी में घुले खनिजों के अवक्षेपण (precipitation) से बनती हैं। उदाहरण: चूना पत्थर (Limestone), सेंधा नमक (Rock Salt), जिप्सम।
- जैविक रूप से निर्मित (Organically Formed): ये पौधों और जानवरों के अवशेषों के संचय से बनती हैं। उदाहरण: कोयला, कुछ प्रकार के चूना पत्थर (चाक, कोरल रीफ)।
4. कायांतरित चट्टानें (Metamorphic Rocks)
‘मेटामॉर्फिक’ का अर्थ है ‘रूप में परिवर्तन’। जब मौजूदा आग्नेय या अवसादी चट्टानें अत्यधिक गर्मी, दाब, या रासायनिक क्रियाओं के कारण अपने मूल रूप और संरचना को बदल देती हैं, तो कायांतरित चट्टानें बनती हैं। इस प्रक्रिया को कायांतरण (Metamorphism) कहते हैं।
विशेषताएँ
- ये आमतौर पर बहुत कठोर और घनी होती हैं।
- इनमें अक्सर पत्रण (Foliation) या बैंडिंग (खनिजों का परतों में व्यवस्थित होना) दिखाई देता है।
- मूल चट्टान में मौजूद कोई भी जीवाश्म कायांतरण की प्रक्रिया में नष्ट हो जाता है।
प्रमुख उदाहरण
- ग्रेनाइट (आग्नेय) → नीस (Gneiss)
- बलुआ पत्थर (अवसादी) → क्वार्टजाइट (Quartzite)
- चूना पत्थर (अवसादी) → संगमरमर (Marble)
- शेल (अवसादी) → स्लेट (Slate)
- कोयला (अवसादी) → एन्थ्रेसाइट, ग्रेफाइट, हीरा
5. शैल चक्र (The Rock Cycle)
शैल चक्र एक सतत प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पुरानी चट्टानें नई चट्टानों में परिवर्तित हो जाती हैं। यह दर्शाता है कि कैसे तीनों प्रकार की चट्टानें एक-दूसरे से संबंधित हैं और एक प्रकार की चट्टान दूसरे प्रकार में बदल सकती है।
- मैग्मा ठंडा होकर आग्नेय चट्टान बनाता है।
- आग्नेय चट्टानों का अपक्षय और अपरदन होकर अवसाद बनते हैं।
- अवसादों के जमने से अवसादी चट्टान बनती है।
- जब आग्नेय और अवसादी चट्टानों पर अत्यधिक गर्मी और दबाव पड़ता है, तो वे कायांतरित चट्टान में बदल जाती हैं।
- अत्यधिक गर्मी के कारण चट्टानें पिघलकर फिर से मैग्मा बन सकती हैं, और चक्र फिर से शुरू हो जाता है।