भूस्खलन (Landslides)
भूवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारक (Geological and Environmental Factors)
भूस्खलन का कारण प्राकृतिक और मानवजनित दोनों कारकों से हो सकता है। यह मुख्य रूप से ढलान की अस्थिरता और मिट्टी के कमजोर होने के कारण होता है।
- भूवैज्ञानिक कारक:
- चट्टानों की कमजोर संरचना।
- मिट्टी का क्षरण और अपरदन।
- भूकंप और ज्वालामुखीय गतिविधियाँ।
- पर्यावरणीय कारक:
- भारी वर्षा और जल का जमाव।
- वनस्पति की कमी और वनों की कटाई।
- मानव गतिविधियाँ जैसे खनन और सड़क निर्माण।
जोखिम मूल्यांकन (Risk Assessment)
भूस्खलन के जोखिम का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न भूवैज्ञानिक और तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाता है:
- भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS): जोखिम क्षेत्र का मानचित्रण।
- सैटेलाइट इमेजरी: ढलानों और मिट्टी की अस्थिरता का अवलोकन।
- भूगर्भीय सर्वेक्षण: चट्टानों और मिट्टी की गुणवत्ता का विश्लेषण।
भूस्खलन रोकथाम (Prevention)
भूस्खलन को रोकने के लिए संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपाय अपनाए जाते हैं:
- ढलान स्थिरीकरण: दीवारों और बाँधों का निर्माण।
- वनरोपण: वनस्पति को पुनः स्थापित करना।
- जल प्रबंधन: ढलानों से पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना।
- जन जागरूकता: स्थानीय समुदायों को भूस्खलन के जोखिम और उपायों के बारे में शिक्षित करना।