1. परिचय (Introduction)
पृथ्वी स्थिर नहीं है। यह अंतरिक्ष में लगातार गति कर रही है। पृथ्वी की दो प्रमुख गतियाँ हैं: घूर्णन (Rotation) और परिक्रमण (Revolution)। ये दोनों गतियाँ मिलकर पृथ्वी पर दिन-रात, ऋतु परिवर्तन, और समय जैसी मूलभूत घटनाओं को निर्धारित करती हैं।
2. घूर्णन (Rotation)
पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना घूर्णन कहलाता है।
- धुरी (Axis): यह एक काल्पनिक रेखा है जो उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से जोड़ती है। पृथ्वी की धुरी अपनी कक्षा के तल से 66.5° का कोण बनाती है, या ऊर्ध्वाधर से 23.5° झुकी हुई है। यह झुकाव ऋतु परिवर्तन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- दिशा और गति: पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। यह एक घूर्णन पूरा करने में लगभग 24 घंटे (23 घंटे, 56 मिनट और 4 सेकंड) का समय लेती है।
- प्रदीप्ति वृत्त (Circle of Illumination): यह वह काल्पनिक वृत्त है जो पृथ्वी पर दिन और रात को विभाजित करता है। यह हमेशा सूर्य के सम्मुख रहता है।
घूर्णन के प्रभाव (Effects of Rotation)
- दिन और रात का बनना: घूर्णन के कारण पृथ्वी का आधा भाग सूर्य के प्रकाश में रहता है (दिन) और आधा भाग अंधकार में रहता है (रात)।
- सूर्य, चंद्रमा और तारों की आभासी गति: पृथ्वी के पश्चिम से पूर्व घूमने के कारण, हमें सूर्य, चंद्रमा और तारे पूर्व से पश्चिम की ओर घूमते हुए प्रतीत होते हैं।
- कोरिओलिस प्रभाव (Coriolis Effect): पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न एक आभासी बल, जो उत्तरी गोलार्ध में गतिमान वस्तुओं (जैसे हवा और समुद्री धाराओं) को दाईं ओर और दक्षिणी गोलार्ध में बाईं ओर विक्षेपित करता है। यह चक्रवातों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- ज्वार-भाटा का आना: पृथ्वी के घूर्णन और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के संयुक्त प्रभाव से समुद्र में दिन में दो बार ज्वार-भाटा आता है।
- समय क्षेत्रों का निर्धारण: घूर्णन के कारण ही पृथ्वी पर अलग-अलग समय क्षेत्र होते हैं।
3. परिक्रमण (Revolution)
सूर्य के चारों ओर एक निश्चित पथ या कक्षा में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं।
- कक्षा (Orbit): पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्ताकार (Elliptical) कक्षा में परिक्रमा करती है।
- अवधि: एक परिक्रमण पूरा करने में पृथ्वी को 365 दिन और लगभग 6 घंटे लगते हैं।
- लीप वर्ष (Leap Year): सुविधा के लिए, हम एक वर्ष में 365 दिन गिनते हैं। बचे हुए 6 घंटे हर चार साल में जुड़कर 24 घंटे (एक दिन) बन जाते हैं। इस अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है, जिससे उस वर्ष फरवरी में 29 दिन होते हैं और वर्ष को लीप वर्ष कहा जाता है।
परिक्रमण के प्रभाव (Effects of Revolution)
पृथ्वी का अपनी झुकी हुई धुरी पर परिक्रमण के कारण निम्नलिखित प्रमुख प्रभाव होते हैं:
- ऋतुओं का परिवर्तन: पृथ्वी के झुकाव के कारण, वर्ष के अलग-अलग समय पर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध सूर्य की ओर झुकते हैं। जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर झुकता है, तो उसे सीधी किरणें मिलती हैं और वहाँ ग्रीष्म ऋतु होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में शीत ऋतु होती है।
- दिन और रात की लंबाई में भिन्नता: परिक्रमण और झुकाव के कारण, गर्मियों में दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं, जबकि सर्दियों में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं।
- अयनांत और विषुव की घटना: ये पृथ्वी पर वर्ष की चार महत्वपूर्ण तिथियाँ हैं।
4. अयनांत और विषुव (Solstices and Equinoxes)
A. ग्रीष्म अयनांत (Summer Solstice)
- यह 21 जून को होता है।
- इस दिन, सूर्य की सीधी किरणें कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पर पड़ती हैं।
- यह उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है। दक्षिणी गोलार्ध में स्थिति इसके विपरीत होती है।
B. शीत अयनांत (Winter Solstice)
- यह 22 दिसंबर को होता है।
- इस दिन, सूर्य की सीधी किरणें मकर रेखा (Tropic of Capricorn) पर पड़ती हैं।
- यह उत्तरी गोलार्ध की सबसे लंबी रात और सबसे छोटा दिन होता है। दक्षिणी गोलार्ध में स्थिति इसके विपरीत होती है।
C. विषुव (Equinox)
- यह वर्ष में दो बार होता है, जब सूर्य की सीधी किरणें भूमध्य रेखा (Equator) पर पड़ती हैं।
- इन दो दिनों पर, पूरी पृथ्वी पर दिन और रात बराबर होते हैं।
- वसन्त विषुव (Spring Equinox): 21 मार्च।
- शरद विषुव (Autumnal Equinox): 23 सितंबर।
5. उपसौर और अपसौर (Perihelion and Aphelion)
- उपसौर (Perihelion): अपनी दीर्घवृत्ताकार कक्षा के कारण, पृथ्वी वर्ष में एक बार सूर्य के सबसे निकट होती है। यह स्थिति 3 जनवरी के आसपास होती है।
- अपसौर (Aphelion): पृथ्वी वर्ष में एक बार सूर्य से सबसे दूर होती है। यह स्थिति 4 जुलाई के आसपास होती है।
- यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पृथ्वी की सूर्य से दूरी ऋतुओं का मुख्य कारण नहीं है; ऋतुओं का मुख्य कारण पृथ्वी का अक्षीय झुकाव है।