महाद्वीपों की उत्पत्ति और विकास (Origin and Evolution of Continents)
पैंजिया और गोंडवाना का सिद्धांत (Theory of Pangaea and Gondwana)
पैंजिया और गोंडवाना सिद्धांतों ने महाद्वीपों की उत्पत्ति और उनके क्रमिक विकास को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
- पैंजिया (Pangaea):
- 1912 में अल्फ्रेड वेगेनर द्वारा प्रस्तावित महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के अनुसार, लगभग 300 मिलियन वर्ष पहले सभी महाद्वीप एक साथ जुड़े हुए थे, जिसे पैंजिया कहा गया।
- यह विशाल सुपरकॉन्टिनेंट धीरे-धीरे अलग होकर वर्तमान महाद्वीपों में विभाजित हो गया।
- गोंडवाना (Gondwana):
- गोंडवाना पैंजिया का दक्षिणी भाग था, जिसमें दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, और भारतीय उपमहाद्वीप शामिल थे।
- यह विभाजन जुरासिक काल (लगभग 180 मिलियन वर्ष पहले) के दौरान शुरू हुआ।
- महत्व: गोंडवाना सिद्धांत भूगर्भीय इतिहास और जीवाश्मों के वितरण को समझने में सहायक है।
महाद्वीपीय प्रवाह और प्लेट टेक्टोनिक्स (Continental Drift and Plate Tectonics)
महाद्वीपीय प्रवाह और प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत महाद्वीपों की गति और उनके विकास को स्पष्ट करते हैं:
- महाद्वीपीय प्रवाह (Continental Drift):
- इस सिद्धांत के अनुसार, महाद्वीप टेक्टोनिक प्लेटों पर तैरते हैं और समय के साथ अपनी स्थिति बदलते हैं।
- यह सिद्धांत जीवाश्म वितरण, चट्टानों के मिलान, और जलवायु साक्ष्यों द्वारा समर्थित है।
- उदाहरण: अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के तटों की समानता।
- प्लेट टेक्टोनिक्स (Plate Tectonics):
- यह सिद्धांत टेक्टोनिक प्लेटों की गति को समझाने के लिए विकसित किया गया।
- पृथ्वी की पर्पटी टेक्टोनिक प्लेटों में विभाजित है, जो संगमनी, अपसरण, और परिवर्तन सीमाओं पर परस्पर क्रिया करती हैं।
- महत्व: यह सिद्धांत भूकंप, ज्वालामुखी, और पर्वत निर्माण की व्याख्या करता है।
परीक्षापयोगी तथ्य
- पैंजिया शब्द का अर्थ “संपूर्ण भूमि” (Entire Land) है।
- पैंजिया का विभाजन दो मुख्य भागों में हुआ: गोंडवाना और लॉरेशिया।
- अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत पेश किया।
- गोंडवाना का नाम मध्य भारत के गोंड जनजाति से प्रेरित है।
- प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत ने 1960 के दशक में भूगर्भीय प्रक्रियाओं को स्पष्ट करने में क्रांति ला दी।