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प्लेट टेक्टोनिक्स और शैल (Plate Tectonics and Rocks)

1. परिचय (Introduction)

प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) का सिद्धांत केवल महाद्वीपों और महासागरों की गति की व्याख्या नहीं करता है, बल्कि यह शैल चक्र (Rock Cycle) को संचालित करने वाला मुख्य इंजन भी है। पृथ्वी की सतह पर और उसके नीचे चट्टानों का निर्माण, विनाश और परिवर्तन सीधे प्लेट सीमाओं पर होने वाली प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है।

2. अपसारी प्लेट सीमाएँ और चट्टानें (Divergent Boundaries and Rocks)

अपसारी सीमाओं पर, दो टेक्टोनिक प्लेटें एक दूसरे से दूर जाती हैं।

  • प्रक्रिया: जैसे ही प्लेटें अलग होती हैं, नीचे से गर्म एस्थेनोस्फीयर का मैग्मा ऊपर उठता है और दरार को भर देता है।
  • चट्टान निर्माण: यह मैग्मा समुद्र तल पर लावा के रूप में ठंडा होता है और तेजी से जम जाता है, जिससे नई महासागरीय भूपर्पटी का निर्माण होता है।
  • प्रमुख चट्टान प्रकार:
    • बेसाल्ट (Basalt): यह एक बहिर्भेदी आग्नेय चट्टान है जो मध्य-महासागरीय कटकों (Mid-Oceanic Ridges) पर बनती है।
    • गैब्रो (Gabbro): यह एक अंतर्भेदी आग्नेय चट्टान है जो भूपर्पटी के नीचे धीरे-धीरे ठंडी होती है।

3. अभिसारी प्लेट सीमाएँ और चट्टानें (Convergent Boundaries and Rocks)

अभिसारी सीमाओं पर, दो प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं। यह क्षेत्र अत्यधिक गर्मी और दबाव के कारण भूवैज्ञानिक रूप से सबसे अधिक सक्रिय होता है, जहाँ सभी तीन प्रकार की चट्टानें बनती और परिवर्तित होती हैं।

A. प्रविष्ठन क्षेत्र (Subduction Zones) – (महासागरीय-महाद्वीपीय और महासागरीय-महासागरीय)

  • प्रक्रिया: एक सघन महासागरीय प्लेट कम सघन प्लेट के नीचे खिसक जाती है और मैंटल में डूब जाती है। जैसे ही प्लेट नीचे जाती है, गर्मी और दबाव के कारण यह पिघलने लगती है, जिससे मैग्मा बनता है।
  • आग्नेय चट्टानें: यह मैग्मा ऊपर उठता है और ज्वालामुखी द्वीपों (जापान) या महाद्वीपीय ज्वालामुखी चापों (एंडीज पर्वत) का निर्माण करता है। इससे एंडेसाइट (Andesite) और ग्रेनाइट (Granite) जैसी आग्नेय चट्टानें बनती हैं।
  • कायांतरित चट्टानें: प्रविष्ठन के दौरान उत्पन्न अत्यधिक दबाव और गर्मी मौजूदा चट्टानों को कायांतरित कर देती है। इससे स्लेट, शिस्ट और नीस (Gneiss) जैसी कायांतरित चट्टानें बनती हैं।

B. टकराव क्षेत्र (Collision Zones) – (महाद्वीपीय-महाद्वीपीय)

  • प्रक्रिया: जब दो महाद्वीपीय प्लेटें टकराती हैं, तो वे एक-दूसरे के नीचे नहीं खिसकतीं क्योंकि उनका घनत्व कम होता है। इसके बजाय, वे मुड़कर विशाल पर्वत श्रृंखलाएं बनाती हैं, जैसे हिमालय।
  • कायांतरित चट्टानें: इस प्रक्रिया में शामिल तीव्र दबाव और गर्मी के कारण बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय कायांतरण (Regional Metamorphism) होता है, जिससे संगमरमर, क्वार्टजाइट, और नीस जैसी चट्टानें बनती हैं।
  • अवसादी चट्टानें: इन उभरती हुई पर्वत श्रृंखलाओं का तेजी से अपरदन होता है, जिससे बड़ी मात्रा में अवसाद उत्पन्न होते हैं जो पास की घाटियों और मैदानों में जमा होकर अवसादी चट्टानें बनाते हैं।

4. संरक्षी प्लेट सीमाएँ और चट्टानें (Transform Boundaries and Rocks)

  • प्रक्रिया: इन सीमाओं पर, प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं।
  • चट्टान निर्माण: यहाँ मैग्मा का निर्माण नगण्य होता है, इसलिए नई आग्नेय चट्टानें नहीं बनती हैं। हालांकि, प्लेटों के खिसकने से उत्पन्न घर्षण और दबाव के कारण चट्टानों में यांत्रिक टूट-फूट और कुछ स्थानीय कायांतरण (Local Metamorphism) हो सकता है।

5. प्लेट विवर्तनिकी और शैल चक्र का एकीकरण (Integration of Plate Tectonics and the Rock Cycle)

  • नई चट्टान का निर्माण: अपसारी सीमाओं पर नई आग्नेय भूपर्पटी लगातार बन रही है।
  • चट्टानों का विनाश और पुनर्चक्रण: अभिसारी सीमाओं पर, प्रविष्ठन के माध्यम से पुरानी महासागरीय भूपर्पटी वापस मैंटल में पुनर्चक्रित हो जाती है, जहाँ यह पिघलकर मैग्मा बन जाती है, जो फिर से नई आग्नेय चट्टान बनाती है।
  • चट्टानों का परिवर्तन: अभिसारी सीमाओं पर उत्पन्न गर्मी और दबाव मौजूदा चट्टानों को कायांतरित चट्टानों में बदल देते हैं।
  • पर्वत निर्माण और अपरदन: टकराव से पहाड़ों का उत्थान होता है, जो फिर अपक्षय और अपरदन के माध्यम से अवसाद प्रदान करते हैं, जिनसे अवसादी चट्टानें बनती हैं।

इस प्रकार, प्लेट विवर्तनिकी वह मूलभूत तंत्र है जो शैल चक्र को निरंतर गति प्रदान करता है, जिससे पृथ्वी की सतह पर चट्टानों का निर्माण, परिवर्तन और विनाश होता रहता है।

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