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शैल चक्र (Rock Cycle)

1. परिचय (Introduction)

शैल चक्र (Rock Cycle) एक मौलिक भूवैज्ञानिक अवधारणा है जो बताती है कि कैसे तीन मुख्य प्रकार की चट्टानें – आग्नेय, अवसादी, और कायांतरित – एक दूसरे में परिवर्तित होती हैं। यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें चट्टानें बनती हैं, टूटती हैं, और फिर से बनती हैं, जो पृथ्वी के पदार्थों का पुनर्चक्रण करती है। यह चक्र अरबों वर्षों से चल रहा है।

2. शैल चक्र की प्रमुख प्रक्रियाएँ (Key Processes of the Rock Cycle)

  • पिघलना (Melting): जब चट्टानें पृथ्वी के मैंटल में गहराई तक दब जाती हैं, तो अत्यधिक गर्मी के कारण वे पिघलकर मैग्मा बन जाती हैं।
  • ठंडा होना और क्रिस्टलीकरण (Cooling and Crystallization): जब मैग्मा या लावा ठंडा होता है, तो यह जम जाता है और आग्नेय चट्टानों का निर्माण करता है।
  • अपक्षय और अपरदन (Weathering and Erosion): पृथ्वी की सतह पर मौजूद चट्टानें हवा, पानी, और बर्फ जैसे प्राकृतिक कारकों द्वारा छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। इन टुकड़ों को अवसाद (Sediments) कहा जाता है।
  • निक्षेपण और लिथिफिकेशन (Deposition and Lithification): ये अवसाद हवा या पानी द्वारा बहाकर ले जाए जाते हैं और परतों में जमा हो जाते हैं। समय के साथ, इन परतों पर दबाव बढ़ता है और वे आपस में जुड़कर अवसादी चट्टानों का निर्माण करते हैं।
  • कायांतरण (Metamorphism): जब कोई भी मौजूदा चट्टान (आग्नेय या अवसादी) अत्यधिक गर्मी और दबाव के संपर्क में आती है, तो उसकी संरचना और खनिज संरचना बदल जाती है, जिससे कायांतरित चट्टान बनती है।

3. शैल चक्र के मार्ग (Pathways of the Rock Cycle)

शैल चक्र का कोई निश्चित प्रारंभ या अंत नहीं है, और चट्टानें कई अलग-अलग मार्गों से एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो सकती हैं।

A. मुख्य मार्ग (The Main Pathway)

  1. पिघला हुआ मैग्मा ठंडा होकर आग्नेय चट्टान (जैसे ग्रेनाइट या बेसाल्ट) बनाता है।
  2. समय के साथ, आग्नेय चट्टान का अपक्षय और अपरदन होता है, जिससे रेत या मिट्टी जैसे अवसाद बनते हैं।
  3. ये अवसाद परतों में जमा होते हैं और दबकर अवसादी चट्टान (जैसे बलुआ पत्थर या शेल) बन जाते हैं।
  4. यह अवसादी चट्टान पृथ्वी के नीचे दब जाती है और अत्यधिक गर्मी और दबाव के कारण कायांतरित चट्टान (जैसे क्वार्टजाइट या स्लेट) में बदल जाती है।
  5. यदि कायांतरित चट्टान और भी अधिक गहराई में चली जाती है, तो वह पिघलकर वापस मैग्मा बन जाती है, और चक्र फिर से शुरू हो जाता है।

B. वैकल्पिक मार्ग (Alternative Pathways)

  • आग्नेय चट्टान सीधे कायांतरित चट्टान में बदल सकती है यदि वह पिघलने के बजाय गर्मी और दबाव के संपर्क में आए।
  • कायांतरित चट्टान और अवसादी चट्टान का भी अपक्षय और अपरदन हो सकता है, जिससे वे सीधे अवसादों में बदल सकती हैं।

4. शैल चक्र के संचालक बल (Driving Forces of the Rock Cycle)

  • पृथ्वी का आंतरिक ऊष्मा इंजन: पृथ्वी के कोर से निकलने वाली गर्मी प्लेट टेक्टोनिक्स को संचालित करती है। यह चट्टानों को पिघलाने, ज्वालामुखी गतिविधि और कायांतरण के लिए जिम्मेदार है।
  • पृथ्वी का बाहरी ऊष्मा इंजन (सूर्य): सूर्य जल चक्र (Water Cycle) को संचालित करता है, जो अपक्षय और अपरदन की प्रक्रियाओं के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।

5. महत्व (Significance)

  • पदार्थों का पुनर्चक्रण: शैल चक्र पृथ्वी के खनिजों और तत्वों का लगातार पुनर्चक्रण करता है।
  • मिट्टी का निर्माण: चट्टानों का अपक्षय मिट्टी के निर्माण की प्रक्रिया का पहला चरण है।
  • भू-आकृतियों का निर्माण: यह पहाड़ों, घाटियों और मैदानों जैसी विभिन्न भू-आकृतियों के निर्माण और विनाश में मदद करता है।
  • खनिज भंडारों का निर्माण: शैल चक्र की प्रक्रियाएं विभिन्न खनिजों को एक स्थान पर केंद्रित कर सकती हैं, जिससे आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण खनिज भंडार बनते हैं।
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