1. परिचय (Introduction)
एक ज्वालामुखी साधारण पहाड़ की तरह लग सकता है, लेकिन यह एक जटिल भूवैज्ञानिक संरचना है जो पृथ्वी की सतह के नीचे गहराई तक फैली हुई है। इसकी संरचना को दो भागों में समझा जा सकता है: आंतरिक संरचना (जो सतह के नीचे है) और बाहरी संरचना (जो सतह पर दिखाई देती है)। ये सभी घटक एक ज्वालामुखी विस्फोट की प्रकृति और तीव्रता को निर्धारित करने के लिए मिलकर काम करते हैं।
2. ज्वालामुखी की आंतरिक संरचना (Internal Structure of a Volcano)
- मैग्मा कक्ष (Magma Chamber): यह पृथ्वी की भूपर्पटी के नीचे पिघली हुई चट्टान (मैग्मा), गैसों और क्रिस्टल का एक विशाल भंडार है। यह ज्वालामुखी के लिए ईंधन स्रोत के रूप में कार्य करता है।
- ज्वालामुखी नली (Conduit or Pipe): यह एक ऊर्ध्वाधर मार्ग है जो मैग्मा कक्ष को पृथ्वी की सतह पर स्थित वेंट से जोड़ता है। मैग्मा इसी नली के माध्यम से ऊपर की ओर बढ़ता है।
- सिल (Sill): यह मैग्मा का एक क्षैतिज (Horizontal) जमाव है जो चट्टानों की मौजूदा परतों के समानांतर घुसपैठ करता है।
- डाइक (Dyke): यह मैग्मा का एक लंबवत (Vertical) जमाव है जो चट्टानों की परतों को काटकर ऊपर की ओर बढ़ता है।
3. ज्वालामुखी की बाहरी संरचना (External Structure of a Volcano)
- ज्वालामुखी शंकु (Volcanic Cone): यह ज्वालामुखी के चारों ओर लावा, राख और अन्य ज्वालामुखीय मलबे के जमाव से बनी पहाड़ जैसी संरचना है। इसका आकार और ढलान विस्फोटित लावा के प्रकार पर निर्भर करता है।
- निकास या वेंट (Vent): यह ज्वालामुखी शंकु के शीर्ष पर मुख्य छिद्र है जहाँ से लावा, राख और गैसें बाहर निकलती हैं।
- क्रेटर (Crater): यह वेंट के चारों ओर एक कीप के आकार का या कटोरे के आकार का गड्ढा होता है, जो आमतौर पर विस्फोट के दौरान बनता है।
- काल्डेरा (Caldera): यह एक बहुत बड़ा, धँसा हुआ गड्ढा होता है जो तब बनता है जब एक विशाल विस्फोट के बाद मैग्मा कक्ष खाली हो जाता है और ऊपर की संरचना ढह जाती है। क्रेटर की तुलना में काल्डेरा बहुत बड़ा होता है।
- परजीवी शंकु (Parasitic Cone): ये मुख्य शंकु की ढलानों पर बने छोटे, द्वितीयक ज्वालामुखी शंकु होते हैं। ये तब बनते हैं जब मैग्मा मुख्य नली के बजाय किनारों की दरारों से बाहर निकलता है।
4. विस्फोट के दौरान निकलने वाले पदार्थ (Materials Erupted During an Eruption)
- लावा प्रवाह (Lava Flow): सतह पर बहने वाली पिघली हुई चट्टान। इसका चिपचिपापन (Viscosity) इसकी संरचना पर निर्भर करता है (क्षारीय लावा पतला और अम्लीय लावा गाढ़ा होता है)।
- पाइरोक्लास्टिक पदार्थ (Pyroclastic Materials) या टेफ्रा (Tephra): ये विस्फोटक विस्फोटों के दौरान हवा में फेंके गए चट्टान के टुकड़े होते हैं।
- ज्वालामुखी राख (Ash): बहुत महीन कण।
- लैपिली (Lapilli): मटर के आकार के टुकड़े।
- ज्वालामुखी बम (Volcanic Bombs): बड़े, पिघले हुए चट्टान के टुकड़े जो हवा में ठंडे होते हैं।
- ज्वालामुखीय गैसें (Volcanic Gases): इनमें मुख्य रूप से जलवाष्प (H₂O), कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) शामिल हैं।