1. परिचय (Introduction)
ज्वालामुखी विस्फोट पृथ्वी पर सबसे विनाशकारी प्राकृतिक घटनाओं में से हो सकते हैं। उनके प्रभाव स्थानीय और वैश्विक दोनों हो सकते हैं। इन खतरों को प्राथमिक (विस्फोट के प्रत्यक्ष परिणाम) और द्वितीयक (विस्फोट के अप्रत्यक्ष परिणाम) खतरों में वर्गीकृत किया जा सकता है। हालांकि, ज्वालामुखियों के कुछ सकारात्मक प्रभाव भी होते हैं जो पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।
2. प्राथमिक खतरे (Primary Hazards)
A. लावा प्रवाह (Lava Flows)
- यह सतह पर बहने वाली पिघली हुई चट्टान है।
- क्षारीय लावा (बेसाल्टिक) पतला होता है और दूर तक बह सकता है, जबकि अम्लीय लावा (रयोलाइटिक) गाढ़ा होता है और ज्यादा दूर नहीं जाता।
- लावा प्रवाह आमतौर पर धीमा होता है, इसलिए यह मानव जीवन के लिए कम खतरा पैदा करता है, लेकिन यह अपने रास्ते में आने वाली हर चीज, जैसे इमारतों, सड़कों और खेतों को नष्ट कर देता है।
B. पाइरोक्लास्टिक प्रवाह (Pyroclastic Flows)
- यह ज्वालामुखी का सबसे घातक खतरा है।
- यह गर्म गैस, राख और चट्टान के टुकड़ों का एक अत्यंत गर्म (1000°C तक) और तेजी से (700 किमी/घंटा तक) बहने वाला बादल है जो ज्वालामुखी की ढलान से नीचे उतरता है।
- इनसे बचना लगभग असंभव है। 79 ईस्वी में पोम्पेई और हरकुलेनियम शहर माउंट विसुवियस के पाइरोक्लास्टिक प्रवाह से ही नष्ट हुए थे।
C. टेफ्रा और ज्वालामुखी राख (Tephra and Ash Fall)
- टेफ्रा एक विस्फोटक विस्फोट के दौरान हवा में फेंके गए किसी भी आकार के चट्टानी टुकड़े को कहते हैं।
- ज्वालामुखी राख (2 मिमी से कम के कण) सबसे व्यापक खतरा है। यह इमारतों की छतों को गिरा सकती है, फसलों को नष्ट कर सकती है, जल स्रोतों को दूषित कर सकती है, और विमान के इंजनों को बंद कर सकती है, जिससे हवाई यातायात बाधित हो जाता है।
D. ज्वालामुखीय गैसें (Volcanic Gases)
- ज्वालामुखी सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), और हाइड्रोजन सल्फाइड (H₂S) जैसी जहरीली गैसें छोड़ते हैं।
- ये गैसें मनुष्यों और पशुओं के लिए घातक हो सकती हैं और अम्ल वर्षा (Acid Rain) का कारण बन सकती हैं।
3. द्वितीयक खतरे (Secondary Hazards)
A. लहार (Lahars)
- यह एक ज्वालामुखीय कीचड़ का प्रवाह (Volcanic Mudflow) है।
- यह तब बनता है जब गर्म ज्वालामुखीय पदार्थ (जैसे राख) बर्फ या ग्लेशियर को पिघला देता है या नदी के पानी के साथ मिल जाता है।
- यह कीचड़ नदी घाटियों में बहुत तेजी से बहता है और अपने रास्ते में आने वाले पुलों, सड़कों और कस्बों को दफन कर सकता है। 1985 में कोलंबिया के आर्मेरो शहर का विनाश एक लहार के कारण ही हुआ था।
B. ज्वालामुखी-प्रेरित सुनामी (Volcano-induced Tsunamis)
- समुद्र के नीचे या तटीय क्षेत्रों में होने वाले बड़े ज्वालामुखी विस्फोट या भूस्खलन सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं। 1883 में क्राकाटोआ (Krakatoa) के विस्फोट से उत्पन्न सुनामी एक प्रसिद्ध उदाहरण है।
C. जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
- बड़े विस्फोटक विस्फोट समताप मंडल में भारी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और राख छोड़ते हैं।
- ये कण सूर्य के प्रकाश को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित करते हैं, जिससे पृथ्वी पर एक अस्थायी शीतलन प्रभाव (Temporary Cooling Effect) पड़ सकता है। 1815 में माउंट तंबोरा के विस्फोट के बाद, 1816 को “बिना गर्मी का वर्ष” (Year Without a Summer) कहा गया।
4. सकारात्मक प्रभाव (Positive Impacts)
- उपजाऊ मिट्टी का निर्माण (Creation of Fertile Soils): ज्वालामुखी राख में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। अपक्षय के बाद, यह अत्यधिक उपजाऊ मिट्टी बनाती है, जो कृषि के लिए बहुत अच्छी होती है (जैसे दक्कन के पठार की काली मिट्टी)।
- भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy): ज्वालामुखी क्षेत्रों में, पृथ्वी की आंतरिक गर्मी का उपयोग भाप बनाने और स्वच्छ बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है (जैसे आइसलैंड, न्यूजीलैंड)।
- खनिज भंडारों का निर्माण (Formation of Mineral Deposits): ज्वालामुखीय प्रक्रियाएं हीरे, तांबे, सोने और चांदी जैसे मूल्यवान खनिजों को सतह के पास केंद्रित करती हैं।
- नई भूमि का निर्माण (Creation of New Land): ज्वालामुखी विस्फोट से नए द्वीप और भू-आकृतियाँ बनती हैं, जैसे हवाई द्वीप।
- पर्यटन (Tourism): ज्वालामुखी, गीजर और गर्म झरने दुनिया भर में पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण हैं।