ज्वालामुखीय खतरें और प्रभाव (Volcanic Hazards and Impacts)
लावा प्रवाह, राख गिरना, लहार, गैस उत्सर्जन (Lava Flows, Ash Fall, Lahars, Gas Emissions)
ज्वालामुखीय गतिविधियां विभिन्न प्रकार के खतरों का कारण बनती हैं, जो स्थानीय और वैश्विक प्रभाव डाल सकती हैं:
- लावा प्रवाह (Lava Flows): लावा प्रवाह सतह पर धीरे-धीरे फैलता है, जिससे संरचनाओं, फसलों, और वनस्पतियों का विनाश होता है।
- उदाहरण: हवाई द्वीप पर मौना लोआ का लावा प्रवाह।
- राख गिरना (Ash Fall): ज्वालामुखीय विस्फोट के बाद वायुमंडल में फैली राख बड़ी दूरी तक गिरती है, जिससे फसलों, वायु गुणवत्ता, और संरचनाओं पर असर पड़ता है।
- उदाहरण: 1991 में माउंट पिनातुबो (फिलीपींस)।
- लहार (Lahars): ज्वालामुखीय राख और पानी के मिश्रण से उत्पन्न तेज बहाव, जो भूस्खलन जैसा प्रभाव डालता है।
- उदाहरण: 1985 में नेवाडो डेल रुइज़ (कोलंबिया)।
- गैस उत्सर्जन (Gas Emissions): ज्वालामुखी से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), और अन्य जहरीली गैसें निकलती हैं, जो स्वास्थ्य और जलवायु पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
- उदाहरण: 1986 में न्योस झील (कैमरून) में CO₂ उत्सर्जन।
मानव और पर्यावरण पर प्रभाव (Impact on Humans and Environment)
ज्वालामुखीय गतिविधियों के मानव और पर्यावरण पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं:
- मानव जीवन: विस्फोटों और लावा प्रवाह के कारण मौतें और विस्थापन।
- अर्थव्यवस्था: फसलों, पशुधन, और बुनियादी ढांचे को क्षति।
- पर्यावरण: वनों और पारिस्थितिक तंत्र का विनाश।
- जलवायु परिवर्तन: राख और गैसें वायुमंडल में पहुंचकर तापमान और वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करती हैं।
- सकारात्मक प्रभाव: ज्वालामुखीय मिट्टी उर्वर होती है, जो कृषि के लिए उपयोगी होती है।
परीक्षापयोगी तथ्य
- लहार “ज्वालामुखीय मडफ्लो” के रूप में जाना जाता है।
- माउंट पिनातुबो का विस्फोट 20वीं सदी के सबसे बड़े ज्वालामुखीय विस्फोटों में से एक है।
- 1986 में न्योस झील में CO₂ गैस उत्सर्जन से 1700 से अधिक लोग मारे गए।
- ज्वालामुखीय राख वायुमंडल में महीनों तक रह सकती है और सूर्य की किरणों को अवरुद्ध कर सकती है।
- ज्वालामुखीय मिट्टी को “एंडिसोल” कहा जाता है, जो अत्यधिक उर्वर होती है।