जल संसाधन प्रबंधन (Water Resource Management)
जल संरक्षण और स्थायी उपयोग (Water Conservation and Sustainable Use)
जल संरक्षण (Water Conservation) और इसके स्थायी उपयोग (Sustainable Use) से जल की उपलब्धता को दीर्घकाल तक सुनिश्चित किया जा सकता है। बढ़ती जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन के कारण जल प्रबंधन की आवश्यकता और अधिक बढ़ गई है।
- जल संरक्षण के उपाय:
- पुन: उपयोग (Reuse): घरेलू और औद्योगिक जल का पुन: चक्रण।
- संरक्षण खेती: सूक्ष्म सिंचाई जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम का उपयोग।
- पारंपरिक तकनीक: बावड़ी, कुंड, और तालाब का निर्माण।
- स्थायी उपयोग के सिद्धांत:
- पानी का कुशल उपयोग।
- जल के स्रोतों की सुरक्षा और पुनर्भरण।
- समुदाय की सक्रिय भागीदारी।
महत्त्वपूर्ण आँकड़ा:
विश्व में हर साल 4000 किमी³ जल उपयोग किया जाता है, जिसमें से 70% कृषि में खपत होता है।
उपाय | लाभ |
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पुन: उपयोग | जल की बचत और लागत में कमी। |
ड्रिप सिंचाई | फसलों को जल की आपूर्ति में कुशलता। |
पारंपरिक तकनीक | स्थानीय जल संसाधनों का संरक्षण। |
एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (Integrated Water Resources Management)
एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM) जल संसाधनों के समन्वित और टिकाऊ उपयोग की प्रक्रिया है। यह सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- मुख्य तत्व:
- जल प्रबंधन के लिए नीति और कानून।
- स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर योजनाएँ।
- सभी हितधारकों की भागीदारी।
- लाभ:
- जल संकट का समाधान।
- जल गुणवत्ता में सुधार।
- जैव विविधता का संरक्षण।
महत्त्वपूर्ण आँकड़ा:
दुनिया में लगभग 2 अरब लोग सुरक्षित जल की कमी से जूझ रहे हैं।
तत्व | विवरण |
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नीति और कानून | जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण को बढ़ावा। |
भागीदारी | सामुदायिक और संस्थागत सहयोग। |
जैव विविधता | पारिस्थितिक संतुलन का संरक्षण। |