जल संकट और संघर्ष (Water Scarcity and Conflicts)
जल की कमी के कारण और प्रभाव (Causes and Effects of Water Scarcity)
जल संकट (Water Scarcity) मानव अस्तित्व और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर खतरा है। यह समस्या बढ़ती जनसंख्या, जलवायु परिवर्तन, और अपर्याप्त प्रबंधन के कारण उत्पन्न होती है।
- जल संकट के प्रमुख कारण:
- अत्यधिक दोहन: भूमिगत जल और सतही जल स्रोतों का अत्यधिक उपयोग।
- जलवायु परिवर्तन: अनियमित वर्षा और तापमान में वृद्धि।
- प्रदूषण: जल स्रोतों में औद्योगिक और घरेलू कचरे का निर्वहन।
- अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: जल संग्रहण और वितरण में कमी।
- प्रमुख प्रभाव:
- कृषि उत्पादन में गिरावट।
- पेयजल की कमी।
- बीमारियों का प्रसार।
- आर्थिक और सामाजिक संघर्ष।
महत्त्वपूर्ण आँकड़ा:
दुनिया के 25% से अधिक लोग जल संकट का सामना कर रहे हैं।
कारण | प्रभाव |
---|---|
अत्यधिक दोहन | जल स्तर में गिरावट और जल संकट। |
जलवायु परिवर्तन | अनियमित वर्षा और सूखा। |
प्रदूषण | पीने योग्य जल की कमी। |
अंतरराष्ट्रीय जल विवाद और समाधान (International Water Disputes and Resolutions)
जल विवाद (Water Disputes) तब उत्पन्न होते हैं जब विभिन्न देशों के बीच जल संसाधनों के उपयोग और बंटवारे को लेकर मतभेद होते हैं। इनका समाधान अंतरराष्ट्रीय समझौतों और सहयोग से किया जा सकता है।
- प्रमुख जल विवाद:
- नील नदी विवाद: इथियोपिया और मिस्र के बीच।
- टिगरिस-युफ्रेटिस विवाद: तुर्की, सीरिया, और इराक के बीच।
- इंडस वाटर ट्रीटी: भारत और पाकिस्तान के बीच।
- समाधान के उपाय:
- अंतरराष्ट्रीय जल संधियाँ।
- जलविज्ञान और जलवायु डेटा का साझाकरण।
- स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर सहमति।
महत्त्वपूर्ण आँकड़ा:
नील नदी के जल उपयोग पर अफ्रीकी देशों के बीच हर साल 25% विवाद होते हैं।
विवाद | पक्ष | समाधान |
---|---|---|
नील नदी | इथियोपिया और मिस्र | 2015 का सहयोग समझौता |
टिगरिस-युफ्रेटिस | तुर्की, सीरिया, इराक | जल प्रवाह साझाकरण समझौते |
इंडस वाटर ट्रीटी | भारत और पाकिस्तान | 1960 का वर्ल्ड बैंक समझौता |