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BPSC: 71st Combined Pre Exam - Last Date: 30-06-2025 | SSC: Combined Graduate Level (CGL) - 14582 Posts - Last Date: 04-07-2025
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अलंकार – मेरे नोट्स

अलंकार – व्यापक नोट्स

परिभाषा

अलंकार का शाब्दिक अर्थ है ‘आभूषण’ या ‘गहना’। जिस प्रकार आभूषण शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, उसी प्रकार अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाते हैं। ये काव्य में चमत्कार उत्पन्न करते हैं और उसकी सुंदरता में वृद्धि करते हैं।

अलंकार का महत्व

  • काव्य सौंदर्य में वृद्धि: अलंकार काव्य को अधिक आकर्षक और प्रभावशाली बनाते हैं।
  • अभिव्यक्ति की स्पष्टता: ये भावों और विचारों को अधिक स्पष्टता और गहराई से व्यक्त करने में सहायक होते हैं।
  • चमत्कार और नवीनता: अलंकारों के प्रयोग से काव्य में नवीनता और चमत्कार उत्पन्न होता है।
  • भाषा की समृद्धि: ये भाषा को समृद्ध और सशक्त बनाते हैं।

अलंकार के प्रकार

अलंकार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:

शब्दालंकार (Shabdalamkar)

परिभाषा: जहाँ काव्य में शब्दों के प्रयोग से चमत्कार या सौंदर्य उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकार होता है। यदि उन शब्दों को हटाकर उनके पर्यायवाची शब्द रख दिए जाएँ, तो चमत्कार समाप्त हो जाता है।

प्रमुख शब्दालंकार:

  • अनुप्रास अलंकार:

    जहाँ एक ही वर्ण (अक्षर) की आवृत्ति (दोहराव) दो या दो से अधिक बार होती है।

    उदाहरण: तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। (‘त’ वर्ण की आवृत्ति)

    उदाहरण: चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थीं जल-थल में। (‘च’ वर्ण की आवृत्ति)

    अनुप्रास के भेद:
    • छेकानुप्रास: जहाँ एक वर्ण की आवृत्ति केवल एक बार (कुल दो बार) होती है।

      उदाहरण: कानन कठिन भयंकर भारी। (‘क’ और ‘भ’ की आवृत्ति एक बार)

    • वृत्यानुप्रास: जहाँ एक वर्ण की आवृत्ति अनेक बार होती है।

      उदाहरण: तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। (‘त’ की आवृत्ति अनेक बार)

    • श्रुत्यानुप्रास: जहाँ एक ही वर्ग के वर्णों (उच्चारण स्थान के आधार पर) की आवृत्ति होती है।

      उदाहरण: दिनांत था, थे दिननाथ डूबते, सधेनु आते गृह ग्वाल बाल थे। (द, न, त, थ, ध – दंत्य वर्णों की आवृत्ति)

    • अंत्यानुप्रास: जहाँ चरण के अंत में समान स्वर और व्यंजन की आवृत्ति होती है (तुक)।

      उदाहरण: रघुपति राघव राजा राम। पतित पावन सीताराम॥ (राम, सीताराम में ‘म’ की आवृत्ति)

    • लाटानुप्रास: जहाँ शब्द या वाक्यखंड की आवृत्ति होती है, पर अन्वय करने पर अर्थ बदल जाता है।

      उदाहरण: पूत कपूत तो क्यों धन संचय। पूत सपूत तो क्यों धन संचय॥ (शब्दों की आवृत्ति, पर अर्थ भिन्न)

  • यमक अलंकार:

    जहाँ एक शब्द दो या दो से अधिक बार आए और हर बार उसका अर्थ भिन्न-भिन्न हो।

    उदाहरण: कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय। या खाए बौराए जग, या पाए बौराए॥ (‘कनक’ – एक का अर्थ ‘सोना’, दूसरे का ‘धतूरा’)

    उदाहरण: काली घटा का घमंड घटा। (‘घटा’ – एक का अर्थ ‘बादल’, दूसरे का ‘कम होना’)

  • श्लेष अलंकार:

    जहाँ एक शब्द का प्रयोग एक ही बार हो, पर उसके अर्थ अनेक हों। (शब्द एक, अर्थ अनेक)

    उदाहरण: रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून॥ (‘पानी’ – मोती के लिए ‘चमक’, मानुष के लिए ‘इज्जत’, चून (आटा) के लिए ‘जल’)

    उदाहरण: मंगल को देख पट देत बार-बार है। (‘पट’ – एक का अर्थ ‘वस्त्र’, दूसरे का ‘किवाड़/दरवाजा’)

  • वक्रोक्ति अलंकार:

    जहाँ कहने वाला किसी और अर्थ से कहे, पर सुनने वाला उसका दूसरा अर्थ लगा ले। (कहे कुछ, समझे कुछ और)

    उदाहरण: एक कबूतर देख हाथ में पूछा कहाँ अपर है? बोला कहाँ अपर है, उड़ गया सपर है। (अपर – दूसरा/बिना पर के)

    उदाहरण: ‘को तुम? इत आए कहाँ?’ ‘घनश्याम हौं, तो बरसो कित जाई।’ (घनश्याम – कृष्ण/काले बादल)

  • पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार:

    जहाँ एक शब्द की आवृत्ति होती है, पर अर्थ में कोई अंतर नहीं आता, केवल कथन में सुंदरता या बल आता है।

    उदाहरण: धीरे-धीरे, सुबह-सुबह, बार-बार, मधुर-मधुर।

    उदाहरण: ठौर-ठौर विहार करती, सुंदरियाँ।

  • वीप्सा अलंकार:

    जहाँ हर्ष, शोक, घृणा, आश्चर्य आदि भावों को प्रकट करने के लिए किसी शब्द की पुनरावृत्ति की जाती है। यह पुनरुक्ति प्रकाश का ही एक विशेष रूप है जिसमें भावों की तीव्रता होती है।

    उदाहरण: हा-हा! इन्हें रोकन को, टोक न लगाओ तुम।

    उदाहरण: चीख-चीखकर वह रो रहा था।

अर्थालंकार (Arthalamkar)

परिभाषा: जहाँ काव्य में अर्थ के कारण चमत्कार या सौंदर्य उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है। इसमें शब्द बदलने पर भी अलंकार बना रहता है।

प्रमुख अर्थालंकार:

  • उपमा अलंकार:

    जहाँ दो भिन्न वस्तुओं या व्यक्तियों में समानता या तुलना की जाती है।

    उपमा के अंग:
    • उपमेय: जिसकी तुलना की जाए (प्रस्तुत)।
    • उपमान: जिससे तुलना की जाए (अप्रस्तुत)।
    • साधारण धर्म: वह गुण जो उपमेय और उपमान दोनों में समान हो।
    • वाचक शब्द: तुलना दर्शाने वाले शब्द (सा, सी, से, सम, सरिस, इव, जैसा, ज्यों आदि)।

    उदाहरण: पीपर पात सरिस मन डोला। (मन – उपमेय, पीपर पात – उपमान, डोला – साधारण धर्म, सरिस – वाचक शब्द)

    उदाहरण: मुख चंद्रमा सा सुंदर है। (मुख – उपमेय, चंद्रमा – उपमान, सुंदर – साधारण धर्म, सा – वाचक शब्द)

  • रूपक अलंकार:

    जहाँ उपमेय और उपमान में अभेद (कोई अंतर नहीं) स्थापित किया जाए, अर्थात उपमेय को ही उपमान का रूप दे दिया जाए। (उपमेय = उपमान)

    उदाहरण: चरण कमल बंदौ हरि राई। (चरण को ही कमल मान लिया गया)

    उदाहरण: मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैhौं। (चंद्रमा को ही खिलौना मान लिया गया)

  • उत्प्रेक्षा अलंकार:

    जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए। (मानो, मनु, जानो, जनु, जनुह, मनुह, इव, ज्यों आदि वाचक शब्द)

    उदाहरण: सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात। मनहु नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात॥ (श्रीकृष्ण के श्याम शरीर पर पीतांबर ऐसा लग रहा है, मानो नीलमणि पर्वत पर प्रभात की धूप पड़ रही हो)

    उदाहरण: ले चला साथ मैं तुझे कनक, ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण। (कनक – धतूरा, ऐसा लग रहा है मानो स्वर्ण ले जा रहा हो)

  • अतिशयोक्ति अलंकार:

    जहाँ किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर इतना कहा जाए कि लोक-सीमा का उल्लंघन हो जाए।

    उदाहरण: हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग॥ (आग लगने से पहले ही लंका का जल जाना)

    उदाहरण: आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार॥ (सोचने भर में घोड़े का नदी पार कर जाना)

  • मानवीकरण अलंकार:

    जहाँ निर्जीव वस्तुओं या अमूर्त भावों पर मानवीय क्रियाओं या भावनाओं का आरोप किया जाए।

    उदाहरण: मेघ आए बड़े बन-ठन के, सँवर के। (मेघों का मनुष्य की तरह बन-ठन के आना)

    उदाहरण: फूल हँसे कलियाँ मुसकाईं। (फूलों का हँसना, कलियों का मुसकाना)

  • संदेह अलंकार:

    जहाँ उपमेय में उपमान का संदेह बना रहे और निश्चय न हो पाए। (यह ‘या’, ‘किधौं’, ‘कै’, ‘अथवा’ जैसे शब्दों से प्रकट होता है)

    उदाहरण: सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है। सारी ही कि नारी है कि नारी ही कि सारी है॥ (साड़ी के बीच नारी है या नारी के बीच साड़ी, यह संदेह बना हुआ है)

    उदाहरण: यह मुख है या चंद्रमा? (मुख और चंद्रमा में संदेह)

  • भ्रांतिमान अलंकार:

    जहाँ समानता के कारण एक वस्तु को भूल से दूसरी वस्तु समझ लिया जाए और उसी के अनुसार क्रिया भी कर दी जाए। (संदेह में निश्चय नहीं होता, भ्रांतिमान में गलत निश्चय हो जाता है)

    उदाहरण: नाक का मोती अधर की कांति से, बीज दाड़िम का समझ भ्रांति से। देख उसको हुआ शुक मौन है, सोचता है अन्य शुक यह कौन है॥ (तोते को नायिका की नाक का मोती अनार का दाना समझ में आ गया)

    उदाहरण: ओस बिंदु चुग रही हंसिनी, मोती उसको जान। (हंसिनी का ओस की बूंदों को मोती समझकर चुगना)

  • विरोधाभास अलंकार:

    जहाँ दो विरोधी गुणों या क्रियाओं का एक साथ वर्णन किया जाए, पर वास्तव में कोई विरोध न हो।

    उदाहरण: या अनुरागी चित्त की, गति समुझे नहिं कोय। ज्यों-ज्यों बूड़े स्याम रंग, त्यों-त्यों उज्ज्वल होय॥ (श्याम रंग में डूबने से उज्ज्वल होना – विरोध)

    उदाहरण: शीतल ज्वाला जलती है। (शीतल और ज्वाला – विरोधी)

  • दृष्टांत अलंकार:

    जहाँ पहले एक बात कहकर, फिर उसकी सत्यता को प्रमाणित करने के लिए उससे मिलती-जुलती दूसरी बात उदाहरण के रूप में कही जाए।

    उदाहरण: करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसan॥ (अभ्यास से मूर्ख भी विद्वान बन जाता है, जैसे रस्सी के बार-बार आने-जाने से पत्थर पर निशान पड़ जाते हैं)

    उदाहरण: मन मलिन तन सुंदर कैसे? विष रस भरा कनक घट जैसे॥ (मन के मलिन होने पर शरीर का सुंदर होना व्यर्थ है, जैसे विष से भरा सोने का घड़ा)

  • व्यतिरेक अलंकार:

    जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए। (उपमा का उल्टा)

    उदाहरण: साधु ऊँचे शैल सम, किंतु प्रकृति सुकुमार। (साधु पर्वत के समान ऊँचे हैं, पर उनकी प्रकृति उससे भी अधिक कोमल है)

    उदाहरण: मुख चंद्र सो सुंदर, पर चंद्र में कलंक। (मुख चंद्रमा से भी सुंदर है, क्योंकि चंद्रमा में कलंक है और मुख में नहीं)

  • अनन्वय अलंकार:

    जहाँ उपमेय की तुलना करने के लिए कोई अन्य उपमान न मिले, तो उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। (उपमेय = उपमेय)

    उदाहरण: राम से राम, सिया सी सिया। (राम की तुलना राम से ही, सीता की सीता से ही)

    उदाहरण: भारत सम भारत है। (भारत के समान भारत ही है)

  • प्रतीप अलंकार:

    जहाँ उपमान को उपमेय से हीन बताया जाए या उपमान का तिरस्कार किया जाए। (उपमा का उल्टा)

    उदाहरण: सीय मुख समता किमि करै चंद बापुरो रंक। (सीता के मुख की समानता बेचारा गरीब चंद्रमा कैसे कर सकता है? – चंद्रमा को हीन बताया)

    उदाहरण: उतरि नहाए जमुन जल, जो शरीर सम स्याम। (यमुना का जल शरीर के समान श्याम है – यमुना के जल को हीन बताया)

  • विशेषोक्ति अलंकार:

    जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य न हो।

    उदाहरण: पानी बिच मीन प्यासी, मोहि सुनि सुनि आवै हाँसी। (मछली पानी में होते हुए भी प्यासी है – कारण (पानी) है, पर कार्य (प्यास बुझना) नहीं हो रहा)

    उदाहरण: नैनों से नीर झरता है, फिर भी प्यास नहीं बुझती। (आँखों से पानी गिर रहा है, फिर भी प्यास नहीं बुझ रही)

  • विभावना अलंकार:

    जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य हो।

    उदाहरण: बिनु पद चलै सुनै बिनu काना। कर बिनu कर्म करै विधि नाना॥ (बिना पैर के चलना, बिना कान के सुनना, बिना हाथ के अनेक कार्य करना – कारण नहीं, फिर भी कार्य हो रहा)

    उदाहरण: नाच अचानक ही उठे, बिनु पावस बन मोर। (बिना वर्षा के ही मोर का नाचना)

  • अन्यक्ति अलंकार:

    जहाँ अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाए। (किसी और बात के बहाने अपनी बात कहना)

    उदाहरण: माली आवत देखि के, कलियाँ करैं पुकार। फूले-फूले चुन लिए, काल्हि हमारी बार॥ (माली – मृत्यु, कलियाँ – युवा, फूले – वृद्ध; मृत्यु के माध्यम से जीवन की नश्वरता का वर्णन)

    उदाहरण: नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल। अली कली ही सो बँध्यो, आगे कौन हवाल॥ (भौंरे और कली के माध्यम से राजा जयसिंह को सचेत करना)

  • असंगति अलंकार:

    जहाँ कारण कहीं और हो और कार्य कहीं और हो। (कारण और कार्य में संगति न हो)

    उदाहरण: हृदय घाव मेरे पीर रघुबीरै। (घाव लक्ष्मण के हृदय में है, पर पीड़ा राम को हो रही है)

    उदाहरण: आँखों में नींद भरी है, पर दिल में बेचैनी है। (नींद आँखों में है, पर बेचैनी दिल में)

परीक्षा में भ्रमित करने वाले बिंदु

अलंकार से संबंधित कुछ ऐसे बिंदु हैं जो परीक्षा में अक्सर भ्रम पैदा करते हैं:

  • यमक और श्लेष में अंतर:
    यमक: एक शब्द बार-बार आए, हर बार अर्थ भिन्न। (कनक कनक ते सौ गुनी)
    श्लेष: एक शब्द एक ही बार आए, पर उसके अर्थ अनेक हों। (रहिमन पानी राखिए)
  • उपमा, रूपक और उत्प्रेक्षा में अंतर:
    उपमा: तुलना (सा, सी, से)। (मुख चंद्रमा सा सुंदर)
    रूपक: अभेद आरोप (उपमेय = उपमान)। (चरण कमल)
    उत्प्रेक्षा: संभावना/कल्पना (मानो, जनु)। (मनहु नीलमनि सैल पर)
  • संदेह और भ्रांतिमान में अंतर:
    संदेह: निश्चय न हो पाए, संदेह बना रहे। (सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है)
    भ्रांतिमान: गलत निश्चय हो जाए और उसी के अनुसार क्रिया हो जाए। (नाक का मोती अधर की कांति से, बीज दाड़िम का समझ भ्रांति से)
  • विशेषोक्ति और विभावना में अंतर:
    विशेषोक्ति: कारण है, पर कार्य नहीं। (पानी बिच मीन प्यासी)
    विभावना: कारण नहीं है, पर कार्य हो रहा है। (binu पद चलै सुनै bin u काना)
  • अनुप्रास के भेद:
    छेकानुप्रास (एक बार आवृत्ति), वृत्यानुप्रास (अनेक बार आवृत्ति), लाटानुप्रास (शब्द/वाक्यखंड की आवृत्ति, अन्वय से अर्थ भिन्न)।

निष्कर्ष

अलंकार काव्य को सौंदर्य और चमत्कार प्रदान करने वाले महत्वपूर्ण तत्व हैं। शब्दालंकार शब्दों के कारण और अर्थालंकार अर्थ के कारण काव्य की शोभा बढ़ाते हैं। विभिन्न अलंकारों की परिभाषाओं, उदाहरणों और उनके बीच के सूक्ष्म अंतरों को समझना परीक्षा में सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। नियमित अभ्यास और उदाहरणों पर ध्यान केंद्रित करने से इस विषय पर आपकी पकड़ मजबूत होगी।

अलंकार – क्विज़

अलंकार – क्विज़

अपनी तैयारी परखें

अलंकार से संबंधित इन प्रश्नों के उत्तर देकर अपनी समझ को मजबूत करें। प्रत्येक प्रश्न के बाद सही उत्तर दिया गया है।

  1. अलंकार का शाब्दिक अर्थ क्या है?

    1. A) ध्वनि
    2. B) शब्द
    3. C) आभूषण
    4. D) भावना

    उत्तर: C) आभूषण

  2. जहाँ काव्य में शब्दों के प्रयोग से चमत्कार या सौंदर्य उत्पन्न होता है, वहाँ कौन सा अलंकार होता है?

    1. A) अर्थालंकार
    2. B) शब्दालंकार
    3. C) उभयालंकार
    4. D) इनमें से कोई नहीं

    उत्तर: B) शब्दालंकार

  3. ‘तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) यमक
    2. B) श्लेष
    3. C) अनुप्रास
    4. D) वक्रोक्ति

    उत्तर: C) अनुप्रास

  4. ‘कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय। या खाए बौराए जग, या पाए बौराए॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) श्लेष
    2. B) यमक
    3. C) अनुप्रास
    4. D) वक्रोक्ति

    उत्तर: B) यमक

  5. ‘रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) यमक
    2. B) अनुप्रास
    3. C) श्लेष
    4. D) पुनरुक्ति प्रकाश

    उत्तर: C) श्लेष

  6. जहाँ एक ही वर्ण की आवृत्ति अनेक बार होती है, वहाँ कौन सा अनुप्रास अलंकार होता है?

    1. A) छेकानुप्रास
    2. B) वृत्यानुप्रास
    3. C) श्रुत्यानुप्रास
    4. D) लाटानुप्रास

    उत्तर: B) वृत्यानुप्रास

  7. ‘पूत कपूत तो क्यों धन संचय। पूत सपूत तो क्यों धन संचय॥’ इस पंक्ति में कौन सा अनुप्रास अलंकार है?

    1. A) छेकानुप्रास
    2. B) वृत्यानुप्रास
    3. C) श्रुत्यानुप्रास
    4. D) लाटानुप्रास

    उत्तर: D) लाटानुप्रास

  8. जहाँ कहने वाला किसी और अर्थ से कहे, पर सुनने वाला उसका दूसरा अर्थ लगा ले, वहाँ कौन सा अलंकार होता है?

    1. A) यमक
    2. B) श्लेष
    3. C) वक्रोक्ति
    4. D) पुनruक्ति प्रकाश

    उत्तर: C) वक्रोक्ति

  9. ‘धीरे-धीरे, सुबह-सुबह, बार-बार’ – ये शब्द किस अलंकार के उदाहरण हैं?

    1. A) यमक
    2. B) श्लेष
    3. C) पुनरुक्ति प्रकाश
    4. D) वीप्सा

    उत्तर: C) पुनरुक्ति प्रकाश

  10. ‘हा-हा! इन्हें रोकन को, टोक न लगाओ तुम।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) पुनruक्ति प्रकाश
    2. B) वीप्सा
    3. C) यमक
    4. D) वक्रोक्ति

    उत्तर: B) वीप्सा

  11. जहाँ काव्य में अर्थ के कारण चमत्कार या सौंदर्य उत्पन्न होता है, वहाँ कौन सा अलंकार होता है?

    1. A) शब्दालंकार
    2. B) अर्थालंकार
    3. C) उभयालंकार
    4. D) इनमें से कोई नहीं

    उत्तर: B) अर्थालंकार

  12. ‘पीपर पात सरिस मन डोला।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) रूपक
    2. B) उत्प्रेक्षा
    3. C) उपमा
    4. D) अतिशयोक्ति

    उत्तर: C) उपमा

  13. ‘चरण कमल बंदौ हरि राई।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) उपमा
    2. B) उत्प्रेक्षा
    3. C) रूपक
    4. D) मानवीकरण

    उत्तर: C) रूपक

  14. ‘सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात। मनhu नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) उपमा
    2. B) रूपक
    3. C) उत्प्रेक्षा
    4. D) अतिशयोक्ति

    उत्तर: C) उत्प्रेक्षा

  15. ‘हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) मानवीकरण
    2. B) संदेह
    3. C) अतिशयोक्ति
    4. D) विरोधाभास

    उत्तर: C) अतिशयोक्ति

  16. ‘मेघ आए बड़े बन-ठन के, सँवर के।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) अतिशयोक्ति
    2. B) संदेह
    3. C) मानवीकरण
    4. D) विरोधाभास

    उत्तर: C) मानवीकरण

  17. ‘सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है। सारी ही कि नारी है कि नारी ही कि सारी है॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) भ्रांतिमान
    2. B) संदेह
    3. C) विरोधाभास
    4. D) दृष्टांत

    उत्तर: B) संदेह

  18. ‘नाक का मोती अधर की कांति से, बीज दाड़िम का समझ भ्रांति से।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) संदेह
    2. B) भ्रांतिमान
    3. C) विरोधाभास
    4. D) व्यतिरेक

    उत्तर: B) भ्रांतिमान

  19. ‘या अनुरागी चित्त की, गति समुझे नहिं कोय। ज्यों-ज्यों बूड़े स्याम रंग, त्यों-त्यों उज्ज्वल होय॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) दृष्टांत
    2. B) व्यतिरेक
    3. C) विरोधाभास
    4. D) अनन्वय

    उत्तर: C) विरोधाभास

  20. ‘करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) व्यतिरेक
    2. B) अनन्वय
    3. C) प्रतीप
    4. D) दृष्टांत

    उत्तर: D) दृष्टांत

  21. जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए, वहाँ कौन सा अलंकार होता है?

    1. A) उपमा
    2. B) रूपक
    3. C) व्यतिरेक
    4. D) प्रतीप

    उत्तर: C) व्यतिरेक

  22. 22. ‘राम से राम, सिया सी सिया।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) व्यतिरेक
    2. B) अनन्वय
    3. C) प्रतीप
    4. D) विशेषोक्ति

    उत्तर: B) अनन्वय

  23. 23. जहाँ उपमान को उपमेय से हीन बताया जाए या उपमान का तिरस्कार किया जाए, वहाँ कौन सा अलंकार होता है?

    1. A) व्यतिरेक
    2. B) अनन्वय
    3. C) प्रतीप
    4. D) विभावना

    उत्तर: C) प्रतीप

  24. 24. ‘पानी बिच मीन प्यासी, मोहि सुनि सुनि आवै हाँसी।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) विभावना
    2. B) विशेषोक्ति
    3. C) अन्यक्ति
    4. D) असंगति

    उत्तर: B) विशेषोक्ति

  25. 25. ‘binu पद चलै सुनै binu काना। कर बिनु कर्म करै विधि नाना॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) विशेषोक्ति
    2. B) विभावना
    3. C) अन्यक्ति
    4. D) असंगति

    उत्तर: B) विभावना

  26. 26. ‘माली आवत देखि के, कलियाँ करैं पुकार। फूले-फूले चुन लिए, काल्हि हमारी बार॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) विशेषोक्ति
    2. B) विभावना
    3. C) अन्यक्ति
    4. D) असंगति

    उत्तर: C) अन्यक्ति

  27. 27. ‘हृदय घाव मेरे पीर रघुबीरै।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) अन्यक्ति
    2. B) असंगति
    3. C) विशेषोक्ति
    4. D) विभावना

    उत्तर: B) असंगति

  28. 28. यमक अलंकार में शब्द कितनी बार आता है और उसका अर्थ क्या होता है?

    1. A) एक बार, अर्थ अनेक
    2. B) बार-बार, हर बार अर्थ भिन्न
    3. C) एक बार, अर्थ समान
    4. D) बार-बार, अर्थ समान

    उत्तर: B) बार-बार, हर बार अर्थ भिन्न

  29. 29. श्लेष अलंकार में शब्द कितनी बार आता है और उसके अर्थ क्या होते हैं?

    1. A) एक बार, अर्थ अनेक
    2. B) बार-बार, हर बार अर्थ भिन्न
    3. C) एक बार, अर्थ समान
    4. D) बार-बार, अर्थ समान

    उत्तर: A) एक बार, अर्थ अनेक

  30. 30. उपमा अलंकार में उपमेय और उपमान के बीच क्या संबंध होता है?

    1. A) अभेद
    2. B) संभावना
    3. C) तुलना
    4. D) विरोध

    उत्तर: C) तुलना

  31. 31. रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान के बीच क्या संबंध होता है?

    1. A) तुलना
    2. B) संभावना
    3. C) अभेद
    4. D) विरोध

    उत्तर: C) अभेद

  32. 32. उत्प्रेक्षा अलंकार में उपमेय और उपमान के बीच क्या संबंध होता है?

    1. A) तुलना
    2. B) अभेद
    3. C) संभावना या कल्पना
    4. D) विरोध

    उत्तर: C) संभावना या कल्पना

  33. 33. संदेह अलंकार और भ्रांतिमान अलंकार में मुख्य अंतर क्या है?

    1. A) संदेह में निश्चय होता है, भ्रांतिमान में नहीं।
    2. B) संदेह में निश्चय नहीं होता, भ्रांतिमान में गलत निश्चय होता है।
    3. C) दोनों में कोई अंतर नहीं।
    4. D) संदेह शब्दालंकार है, भ्रांतिमान अर्थालंकार।

    उत्तर: B) संदेह में निश्चय नहीं होता, भ्रांतिमान में गलत निश्चय होता है।

  34. 34. विशेषोक्ति अलंकार और विभावना अलंकार में मुख्य अंतर क्या है?

    1. A) विशेषोक्ति में कारण नहीं, कार्य होता है; विभावना में कारण है, कार्य नहीं।
    2. B) विशेषोक्ति में कारण है, कार्य नहीं; विभावना में कारण नहीं, कार्य होता है।
    3. C) दोनों में कारण और कार्य दोनों होते हैं।
    4. D) दोनों में कारण और कार्य दोनों नहीं होते।

    उत्तर: B) विशेषोक्ति में कारण है, कार्य नहीं; विभावना में कारण नहीं, कार्य होता है।

  35. 35. ‘मुख चंद्रमा सा सुंदर है।’ इस उदाहरण में ‘चंद्रमा’ क्या है?

    1. A) उपमेय
    2. B) उपमान
    3. C) साधारण धर्म
    4. D) वाचक शब्द

    उत्तर: B) उपमान

  36. 36. ‘मुख चंद्रमा सा सुंदर है.’ इस उदाहरण में ‘सा’ क्या है?

    1. A) उपमेय
    2. B) उपमान
    3. C) साधारण धर्म
    4. D) वाचक शब्द

    उत्तर: D) वाचक शब्द

  37. 37. ‘काली घटा का घमंड घटा।’ इस उदाहरण में ‘घटा’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है, और दोनों बार अर्थ भिन्न है। यह किस अलंकार का उदाहरण है?

    1. A) श्लेष
    2. B) यमक
    3. C) अनुप्रास
    4. D) वक्रोक्ति

    उत्तर: B) यमक

  38. 38. ‘मंगल को देख पट देत बार-बार है।’ इस उदाहरण में ‘पट’ शब्द का एक ही बार प्रयोग हुआ है, पर उसके दो अर्थ हैं। यह किस अलंकार का उदाहरण है?

    1. A) यमक
    2. B) श्लेष
    3. C) अनुप्रास
    4. D) पुनरुक्ति प्रकाश

    उत्तर: B) श्लेष

  39. 39. ‘ले चला साथ मैं तुझे कनक, ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।’ इस उदाहरण में ‘ज्यों’ वाचक शब्द किस अलंकार की पहचान है?

    1. A) उपमा
    2. B) रूपक
    3. C) उत्प्रेक्षा
    4. D) अतिशयोक्ति

    उत्तर: C) उत्प्रेक्षा

  40. 40. ‘आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार॥’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

    1. A) मानवीकरण
    2. B) संदेह
    3. C) अतिशयोक्ति
    4. D) विरोधाभास

    उत्तर: C) अतिशयोक्ति

  41. 41. ‘फूल हँसे कलियाँ मुसकाईं।’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) अतिशयोक्ति
    2. B) संदेह
    3. C) मानवीकरण
    4. D) विरोधाभास

    उत्तर: C) मानवीकरण

  42. 42. ‘यह मुख है या चंद्रमा?’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) भ्रांतिमान
    2. B) संदेह
    3. C) विरोधाभास
    4. D) दृष्टांत

    उत्तर: B) संदेह

  43. 43. ‘ओस बिंदु चुग रही हंसिनी, मोती उसको जान।’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) संदेह
    2. B) भ्रांतिमान
    3. C) विरोधाभास
    4. D) व्यतिरेक

    उत्तर: B) भ्रांतिमान

  44. 44. ‘शीतल ज्वाला जलती है।’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) दृष्टांत
    2. B) व्यतिरेक
    3. C) विरोधाभास
    4. D) अनन्वय

    उत्तर: C) विरोधाभास

  45. 45. ‘मन मलिन तन सुंदर कैसे? विष रस भरा कनक घट जैसे॥’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) व्यतिरेक
    2. B) अनन्वय
    3. C) प्रतीप
    4. D) दृष्टांत

    उत्तर: D) दृष्टांत

  46. 46. ‘मुख चंद्र सो सुंदर, पर चंद्र में कलंक।’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) उपमा
    2. B) रूपक
    3. C) व्यतिरेक
    4. D) प्रतीप

    उत्तर: C) व्यतिरेक

  47. 47. ‘भारत सम भारत है.’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) व्यतिरेक
    2. B) अनन्वय
    3. C) प्रतीप
    4. D) विशेषोक्ति

    उत्तर: B) अनन्वय

  48. 48. ‘सीय मुख समता किमि करै चंद बापुरो रंक।’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) व्यतिरेक
    2. B) अनन्वय
    3. C) प्रतीप
    4. D) विभावना

    उत्तर: C) प्रतीप

  49. 49. ‘नैनों से नीर झरता है, फिर भी प्यास नहीं बुझती।’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) विभावना
    2. B) विशेषोक्ति
    3. C) अन्यक्ति
    4. D) असंगति

    उत्तर: B) विशेषोक्ति

  50. 50. ‘नाच अचानक ही उठे, बिनu पावस बन मोर।’ इस उदाहरण में कौन सा अलंकार है?

    1. A) विशेषोक्ति
    2. B) विभावना
    3. C) अन्यक्ति
    4. D) असंगति

    उत्तर: B) विभावना

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