हिंदी साहित्य का इतिहास: भक्तिकाल
1. भक्तिकाल का समयकाल
समय अवधि: 14वीं से 17वीं शताब्दी (लगभग संवत् 1375 से 1700)।
प्रमुख आंदोलन: भक्ति आंदोलन, जिसका उद्देश्य धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सुधार था।
प्रमुख साहित्यिक धारा: भक्ति पर आधारित काव्य रचनाएँ, जो समाज में समानता और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश देती थीं।
2. भक्तिकाल की शाखाएँ
भक्तिकाल को मुख्य रूप से दो प्रमुख धाराओं में विभाजित किया जाता है:
निर्गुण भक्ति
निर्गुण भक्ति: ईश्वर को निराकार, अगम और अव्यक्त मानने वाली धारा। इसे आगे दो उप-शाखाओं में बांटा गया है:
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ज्ञानाश्रयी शाखा (संत काव्य): ज्ञान और अनुभव पर आधारित।
- कबीर: ‘बीजक’ (साखी, सबद, रमैनी) नामक ग्रंथ के रचनाकार। जातिवाद और बाह्य आडंबरों का विरोध किया।
- गुरु नानक: सिख धर्म के संस्थापक, जिनकी शिक्षाएँ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में संकलित हैं।
- दादू दयाल: जिन्होंने समाज में समता और भाईचारे का संदेश दिया।
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प्रेमाश्रयी शाखा (सूफी काव्य): प्रेम के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति पर बल।
- मलिक मोहम्मद जायसी: ‘पद्मावत’, ‘अखरावट’, ‘आखिरी कलाम’ जैसी प्रसिद्ध रचनाओं के लिए जाने जाते हैं, जिनमें प्रेम और अध्यात्म का सुंदर चित्रण है।
- कुतुबन: ‘मृगावती’
- मंझन: ‘मधुमालती’
सगुण भक्ति
सगुण भक्ति: ईश्वर को साकार रूप में, अवतारों के माध्यम से पूजने वाली धारा। इसे भी दो उप-शाखाओं में बांटा गया है:
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रामाश्रयी शाखा: भगवान राम की भक्ति पर आधारित।
- तुलसीदास: ‘रामचरितमानस’, ‘विनय पत्रिका’, ‘कवितावली’ जैसी महान रचनाओं के लिए प्रसिद्ध, राम भक्ति के प्रमुख कवि। समाज सुधार और मर्यादा का संदेश दिया।
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कृष्णाश्रयी शाखा: भगवान कृष्ण की भक्ति पर आधारित।
- सूरदास: ‘सूरसागर’, ‘सूरसारावली’, ‘साहित्य लहरी’ के रचनाकार, कृष्ण की बाल लीलाओं और वात्सल्य भाव के श्रेष्ठ कवि।
- मीराबाई: कृष्ण भक्ति पर आधारित भजनों और पदों की रचयिता, जिन्होंने अपने भजनों में कृष्ण प्रेम और समर्पण का वर्णन किया।
- रसखान: ‘प्रेमवाटिका’, ‘सुजान रसखान’
- नंददास: ‘रासपंचाध्यायी’
3. भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएँ
- सामाजिक सुधार: जातिवाद, छुआछूत और भेदभाव का तीव्र विरोध किया गया।
- भाषा की सरलता: आम जनता की भाषा का प्रयोग—मुख्यतः ब्रजभाषा और अवधी, साथ ही खड़ी बोली का भी प्रयोग मिलता है, ताकि रचनाएँ सरल और प्रभावी हों।
- काव्य का स्वरूप: पद, साखी, दोहे, भजन, चौपाई, कवित्त आदि विभिन्न छंदों और शैलियों का प्रयोग।
- गुरु का महत्व: ईश्वर प्राप्ति के लिए गुरु को अनिवार्य माना गया।
- लोक कल्याण की भावना: कवियों ने व्यक्तिगत मुक्ति से अधिक समाज के कल्याण पर जोर दिया।
- समन्वयवादी दृष्टिकोण: विभिन्न धार्मिक और सामाजिक मतभेदों के बीच समन्वय स्थापित करने का प्रयास।
4. प्रमुख कवि और उनके योगदान
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कबीर:
- प्रमुख रचना: ‘बीजक’ (साखी, सबद, रमैनी)
- विशेषता: निर्भीक वाणी, जातिवाद, मूर्तिपूजा और बाह्य आडंबरों का तीव्र विरोध, एकेश्वरवाद का संदेश।
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तुलसीदास:
- प्रमुख रचना: ‘रामचरितमानस’, ‘विनय पत्रिका’, ‘कवितावली’, ‘दोहावली’
- विशेषता: राम की भक्ति पर आधारित, लोक मंगल और मर्यादा का संदेश, समन्वयवादी कवि।
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सूरदास:
- प्रमुख रचना: ‘सूरसागर’, ‘सूरसारावली’, ‘साहित्य लहरी’
- विशेषता: कृष्ण की बाल लीलाओं, रूप-माधुरी और वात्सल्य भाव का अद्वितीय चित्रण।
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मीराबाई:
- प्रमुख रचनाएँ: भजन और पद
- विशेषता: कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और समर्पण, विरह वेदना का मार्मिक चित्रण, राजस्थानी और ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग।
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मलिक मोहम्मद जायसी:
- प्रमुख रचना: ‘पद्मावत’
- विशेषता: प्रेम की पीर का चित्रण, लौकिक प्रेम के माध्यम से अलौकिक प्रेम की अभिव्यक्ति (सूफी दर्शन)।
5. भक्तिकाल के धार्मिक और सामाजिक प्रभाव
- धार्मिक सहिष्णुता: सभी धर्मों को एक समान मानकर भक्ति का प्रचार किया गया, जिससे सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ा।
- सामाजिक सुधार: जाति, धर्म, और ऊंच-नीच के भेदभाव का मुखर विरोध किया गया, जिससे समाज में समानता की भावना विकसित हुई।
- महत्वपूर्ण आंदोलन: निर्गुण और सगुण संतों के माध्यम से समाज में धार्मिक एकता और समर्पण का संदेश फैलाया गया।
- लोक भाषाओं का विकास: ब्रज और अवधी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं को साहित्यिक गरिमा मिली।
6. भक्तिकाल के प्रमुख तथ्य (MCQ में पूछे जा सकने वाले)
- कबीर को ‘निर्गुण भक्ति’ की ज्ञानाश्रयी शाखा का प्रमुख कवि माना जाता है।
- ‘बीजक’ कबीर की प्रसिद्ध रचना है, जिसमें उनके उपदेश संकलित हैं।
- तुलसीदास की रचना ‘रामचरितमानस’ राम की भक्ति पर आधारित है और मुख्य रूप से अवधी भाषा में लिखी गई है।
- सूरदास ने मुख्य रूप से कृष्ण लीला का वर्णन किया है; उनकी प्रसिद्ध रचना ‘सूरसागर’ है।
- मीराबाई ने कृष्ण के प्रति अपना अनन्य प्रेम व्यक्त किया है; उनके भजन भारतीय संगीत और भक्ति साहित्य में प्रसिद्ध हैं।
- भक्तिकाल के कवियों ने ब्रजभाषा और अवधी का प्रयोग किया ताकि आम जनता उन्हें आसानी से समझ सके।
- गुरु नानक और उनके बाद के गुरुओं ने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में निर्गुण भक्ति की शिक्षाएँ संकलित कीं।
- मलिक मोहम्मद जायसी प्रेमाश्रयी शाखा (सूफी काव्य) के प्रमुख कवि थे।
7. भक्तिकाल का महत्व
- इस काल ने हिंदी साहित्य को अत्यधिक समृद्ध किया और भाषा को जनता के करीब लाया।
- समाज में समानता, प्रेम, और सहिष्णुता की भावना का संचार किया।
- भक्ति आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने का कार्य किया।
- इसने भारतीय संस्कृति और दर्शन पर गहरा और स्थायी प्रभाव डाला।
8. भक्तिकाल की शाखाएँ (संक्षिप्त विवरण)
भक्तिकाल हिंदी साहित्य और भारतीय समाज के लिए एक क्रांतिकारी युग था। इस युग के कवियों और संतों ने भक्ति, प्रेम, और समर्पण के माध्यम से समाज सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए। जातिवाद और धार्मिक भेदभाव का विरोध करते हुए, उन्होंने एकता और समानता का संदेश दिया। भक्तिकाल की रचनाएँ आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं और भारतीय साहित्य का अभिन्न हिस्सा हैं।
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निर्गुण भक्ति:
- प्रमुख कवि: कबीर, गुरु नानक, दादू दयाल, मलिक मोहम्मद जायसी, कुतुबन, मंझन।
- ध्यान: ईश्वर की निराकार भक्ति, ज्ञान और प्रेम के माध्यम से मोक्ष।
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सगुण भक्ति:
- प्रमुख कवि: तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई, रसखान, नंददास।
- ध्यान: भगवान राम और कृष्ण के साकार रूपों और लीलाओं पर आधारित भक्ति।
हिंदी साहित्य का इतिहास: भक्तिकाल – क्विज़
अपनी तैयारी परखें
भक्तिकाल से संबंधित इन प्रश्नों के उत्तर देकर अपनी समझ को मजबूत करें। प्रत्येक प्रश्न के बाद सही उत्तर दिया गया है।
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भक्तिकाल का समयकाल क्या है?
उत्तर: C) 14वीं से 17वीं शताब्दी
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कबीर किस धारा के कवि थे?
उत्तर: B) निर्गुण भक्ति
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रामचरितमानस के रचयिता कौन थे?
उत्तर: B) तुलसीदास
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‘सूरसागर’ की रचना किसने की?
उत्तर: A) सूरदास
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किस भक्त कवि ने ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ भजन लिखा?
उत्तर: C) नरसी मेहता
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चैतन्य महाप्रभु किस भक्ति धारा से जुड़े थे?
उत्तर: B) कृष्ण भक्ति
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वल्लभाचार्य किस संप्रदाय के प्रवर्तक थे?
उत्तर: B) पुष्टिमार्ग
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किसे ‘बेगमपुरा’ का रचयिता माना जाता है?
उत्तर: B) रैदास
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गुरु नानक किस भक्ति धारा के संत थे?
उत्तर: B) निर्गुण भक्ति
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कबीर की मृत्यु के बाद उनकी गद्दी किसे सौंपी गई?
उत्तर: A) धर्मदास
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संत रैदास का जन्म किस वर्ष हुआ था?
उत्तर: A) 1377 ई.
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पुष्टिमार्ग का मुख्य सिद्धांत क्या है?
उत्तर: B) शुद्धाद्वैतवाद
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कृष्ण की वात्सल्य भक्ति का वर्णन किस कवि ने किया?
उत्तर: C) सूरदास
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‘बीजक’ किसकी रचना है?
उत्तर: A) कबीर
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रामानंद ने किस संप्रदाय की स्थापना की?
उत्तर: A) रामानंदी संप्रदाय
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किस भक्त कवि ने ‘सुनता है गुरु गोरख जगाये, जाग सुनाऊँ हँसता रे’ लिखा है?
उत्तर: A) कबीर
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भक्तिकाल का साहित्य मुख्यतः किस रूप में उपलब्ध है?
उत्तर: B) ब्रजभाषा पद
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‘रास पंचाध्यायी’ किसकी रचना है?
उत्तर: A) नंददास
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मीराबाई ने किस भगवान की भक्ति की?
उत्तर: C) कृष्ण
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विद्यापति का स्थान किस काल में है?
उत्तर: A) आदिकाल
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दादूदयाल के शिष्य कौन थे?
उत्तर: B) सुंदरदास
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‘ज्ञान समुद्र’ के रचनाकार कौन हैं?
उत्तर: C) सुंदरदास
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‘निर्गुण ब्रह्मा को कियो समाधु’ किस कवि की पंक्तियाँ हैं?
उत्तर: B) कबीर
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गुरु नानक ने किस ग्रंथ में अपने उपदेश संकलित किए हैं?
उत्तर: A) गुरु ग्रंथ साहिब
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किस कवि ने ‘तुलसी’ नाम का उपनाम अपनाया था?
उत्तर: B) तुलसीदास
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चैतन्य महाप्रभु किस राज्य में जन्मे थे?
उत्तर: B) बंगाल
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‘रामचरितमानस’ किस भाषा में लिखी गई है?
उत्तर: C) अवधी
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निर्गुण और सगुण शाखाओं में प्रमुख अंतर क्या है?
उत्तर: A) निर्गुण में निराकार और सगुण में साकार ईश्वर की भक्ति
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कबीर का जन्म स्थान कौन सा है?
उत्तर: A) काशी
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मीरा का विवाह किस राजा से हुआ था?
उत्तर: B) भोजराज
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भक्तिकाल की कविताओं में प्रमुख रूप से किस रस का प्रयोग हुआ है?
उत्तर: B) भक्ति रस
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कबीर का गुरु कौन था?
उत्तर: A) रामानंद
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वल्लभाचार्य का जन्म स्थान कौन सा है?
उत्तर: B) चम्पारण
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भक्तिकाल के साहित्य में प्रमुख रूप से किस भाषा का उपयोग किया गया है?
उत्तर: B) ब्रज भाषा
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रामानंद किस शाखा के कवि थे?
उत्तर: A) सगुण
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किस संत को ‘गौरांग महाप्रभु’ भी कहा जाता है?
उत्तर: A) चैतन्य महाप्रभु
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‘भक्ति’ शब्द का संस्कृत में क्या अर्थ है?
उत्तर: B) प्रेम
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किस भक्त कवि ने कृष्ण के प्रेम में अपना जीवन समर्पित किया?
उत्तर: B) मीराबाई
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रैदास ने किस संप्रदाय की स्थापना की?
उत्तर: B) रविदासिया संप्रदाय
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कृष्ण भक्ति पर आधारित ‘रास पंचाध्यायी’ के रचनाकार कौन हैं?
उत्तर: B) नंददास
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मीरा के भजनों में प्रमुख रूप से किस रस का प्रयोग किया गया है?
उत्तर: B) भक्तिरस
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कबीर ने किस प्रकार की काव्य रचना की?
उत्तर: B) खड़ी बोली साखी
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‘तू कहां ढूंढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास में’—यह पंक्ति किसकी है?
उत्तर: A) कबीर
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दादू की मृत्यु के पश्चात उनकी गद्दी किसे मिली?
उत्तर: A) रज्जब
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सूरदास किसके शिष्य माने जाते हैं?
उत्तर: B) वल्लभाचार्य
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भक्तिकाल में किस संत ने ‘हरि नाम’ के प्रचार का विशेष योगदान दिया?
उत्तर: A) चैतन्य महाप्रभु
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कबीर का साहित्य मुख्यतः किस ग्रंथ में संकलित है?
उत्तर: A) बीजक
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गुरु नानक ने किस धर्म की स्थापना की?
उत्तर: A) सिख धर्म
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किसे ‘बावरा’ के नाम से भी जाना जाता है?
उत्तर: A) मीराबाई
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‘मनुष्य जीवन को सफल बनाना ही सच्ची भक्ति है’—यह विचार किस संत के हैं?
उत्तर: A) रैदास