रस – व्यापक नोट्स
परिभाषा
रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनंद’। काव्य को पढ़ने, सुनने या नाटक को देखने से पाठक या श्रोता को जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे रस कहते हैं। रस को काव्य की आत्मा माना गया है।
रस के अंग
रस के चार प्रमुख अंग होते हैं:
स्थायी भाव (Sthayi Bhava)
वे मूल भाव जो मनुष्य के हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं और अनुकूल परिस्थितियों में जागृत हो जाते हैं। प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव होता है।
- रति (प्रेम) – शृंगार रस
- हास (हँसी) – हास्य रस
- शोक (दुःख) – करुण रस
- क्रोध – रौद्र रस
- उत्साह – वीर रस
- भय – भयानक रस
- जुगुप्सा (घृणा) – बीभत्स रस
- विस्मय (आश्चर्य) – अद्भुत रस
- निर्वेद (वैराग्य) – शांत रस
- वत्सल (संतान प्रेम) – वात्सल्य रस
- देव विषयक रति (ईश्वर प्रेम) – भक्ति रस
विभाव (Vibhava)
वे कारण, वस्तुएँ या परिस्थितियाँ जिनके कारण स्थायी भाव जागृत होते हैं।
- आलंबन विभाव: जिसके प्रति स्थायी भाव जागृत हो (जैसे नायक-नायिका)।
- उद्दीपन विभाव: वे परिस्थितियाँ जो स्थायी भाव को और अधिक उद्दीप्त (तेज) करें (जैसे चाँदनी रात, सुंदर वातावरण)।
अनुभाव (Anubhava)
स्थायी भाव के जागृत होने पर आश्रय (जिसके हृदय में भाव जागृत हुआ) की शारीरिक चेष्टाएँ या क्रियाएँ।
- जैसे: मुस्कुराना, रोना, काँपना, पसीना आना, आँखों से आँसू गिरना।
संचारी भाव / व्यभिचारी भाव (Sanchari Bhava / Vyabhichari Bhava)
वे भाव जो स्थायी भाव के साथ-साथ आते-जाते रहते हैं, पानी के बुलबुलों की तरह उठते और विलीन होते रहते हैं। ये स्थायी भाव को पुष्ट करते हैं। इनकी संख्या 33 मानी गई है।
- जैसे: चिंता, हर्ष, लज्जा, गर्व, मोह, मरण, ग्लानि, शंका, आदि।
रस के प्रकार
भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र में 8 रस माने हैं, किंतु बाद में शांत रस को भी मान्यता मिली, जिससे इनकी संख्या 9 हो गई (नवरस)। आधुनिक आचार्यों ने वात्सल्य और भक्ति रस को भी शामिल किया है।
शृंगार रस (Sringara Rasa)
स्थायी भाव: रति (प्रेम)। नायक-नायिका के प्रेम, सौंदर्य और मिलन/विरह का वर्णन।
भेद:
- संयोग शृंगार: नायक-नायिका के मिलन का वर्णन।
उदाहरण: कहत नटत रीझत खिझत, मिलत खिलत लजियात। भरे भौन में करत हैं, नैनन ही सों बात॥
- वियोग शृंगार (विप्रलंभ शृंगार): नायक-नायिका के विरह का वर्णन।
उदाहरण: निसि दिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पै, जब ते स्याम सिधारे॥
हास्य रस (Hasya Rasa)
स्थायी भाव: हास (हँसी)। किसी की विचित्र वेशभूषा, चेष्टा, वाणी या आकृति को देखकर उत्पन्न होने वाली हँसी।
उदाहरण: विंध्य के वासी उदासी तपोव्रत धारी महा बिनु नारि दुखारे। गौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनिवृंद सुखारे॥
करुण रस (Karuna Rasa)
स्थायी भाव: शोक (दुःख)। प्रिय व्यक्ति या वस्तु के नाश, अनिष्ट या वियोग से उत्पन्न दुःख का भाव।
उदाहरण: ऐ मेरे दोस्त! लौट के आजा, बिन तेरे जिंदगी अधूरी है।
उदाहरण: अभी तो मुकुट बँधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ। खुले भी न थे लाज के बोल, खिले भी न थे चुम्बन शून्य कपोल॥ हा! रुक गया यहीं संसार, बना सिंदूर अंगार।
रौद्र रस (Raudra Rasa)
स्थायी भाव: क्रोध। विरोधी के अपमान, अपकार या गुरुजनों की निंदा से उत्पन्न क्रोध का भाव।
उदाहरण: श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे। सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे॥
वीर रस (Veera Rasa)
स्थायी भाव: उत्साह। युद्ध, धर्म, दान या दया जैसे कार्यों में पराक्रम दिखाने का भाव।
उदाहरण: बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
भयानक रस (Bhayanaka Rasa)
स्थायी भाव: भय। किसी भयंकर वस्तु, घटना या स्थिति को देखकर उत्पन्न होने वाला डर का भाव।
उदाहरण: एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय। विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाय॥
बीभत्स रस (Bibhatsa Rasa)
स्थायी भाव: जुगुप्सा (घृणा)। किसी घृणित, अरुचिकर या वीभत्स वस्तु को देखकर उत्पन्न होने वाली घृणा।
उदाहरण: सिर पर बैठ्यो काग, आँखि दोउ खात निकारत। खींचत जीभहिं स्यार, अतिहि आनंद उर धारत॥
अद्भुत रस (Adbhuta Rasa)
स्थायी भाव: विस्मय (आश्चर्य)। किसी अलौकिक, विचित्र या असाधारण वस्तु/घटना को देखकर उत्पन्न होने वाला आश्चर्य।
उदाहरण: अखिल भुवन चर अचर सब, हरि मुख में लखि मातु। चकित भई गदगद वचन, विकसित दृग पुलकातु॥
शांत रस (Shanta Rasa)
स्थायी भाव: निर्वेद (वैराग्य)। संसार की नश्वरता, ईश्वर के तत्वज्ञान या शांतिपूर्ण वातावरण से उत्पन्न वैराग्य का भाव।
उदाहरण: मन रे तन कागद का पुतला। लागै बूँद बिनसि जाय छिन में, गरब करै क्या इतना॥
वात्सल्य रस (Vatsalya Rasa)
स्थायी भाव: वत्सल (संतान प्रेम)। माता-पिता का संतान के प्रति, गुरु का शिष्य के प्रति या बड़ों का छोटों के प्रति प्रेम।
उदाहरण: मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी? कितिक बार मोहि दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी॥
भक्ति रस (Bhakti Rasa)
स्थायी भाव: देव विषयक रति (ईश्वर प्रेम)। ईश्वर, गुरु या धर्म के प्रति अनन्य प्रेम और श्रद्धा का भाव।
उदाहरण: पायो जी मैंने राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायो॥
परीक्षा में भ्रमित करने वाले बिंदु
रस से संबंधित कुछ ऐसे बिंदु हैं जो परीक्षा में अक्सर भ्रम पैदा करते हैं:
-
शृंगार और भक्ति/वात्सल्य में अंतर:
शृंगार: नायक-नायिका का प्रेम (मानवीय)।
भक्ति: ईश्वर के प्रति प्रेम।
वात्सल्य: संतान के प्रति प्रेम। -
करुण और वियोग शृंगार में अंतर:
करुण: प्रिय के अनिष्ट या मृत्यु से उत्पन्न दुःख (पुनर्मिलन की संभावना नहीं)।
वियोग शृंगार: प्रिय के बिछड़ने से उत्पन्न दुःख (पुनर्मिलन की संभावना होती है)। -
स्थायी भाव और संचारी भाव:
स्थायी भाव: मूल और स्थायी होते हैं।
संचारी भाव: अस्थायी होते हैं, आते-जाते रहते हैं। -
उदाहरणों को पहचानना:
किसी भी पंक्ति को पढ़कर उसमें निहित भाव को पहचानना सबसे महत्वपूर्ण है। इसके लिए स्थायी भावों को समझना आवश्यक है।
निष्कर्ष
रस काव्य का वह अनिवार्य तत्व है जो पाठक या श्रोता को आनंद की अनुभूति कराता है। रस के अंगों (स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भाव) और उसके विभिन्न प्रकारों को समझना काव्य सौंदर्य को गहराई से जानने के लिए आवश्यक है। प्रत्येक रस का अपना विशिष्ट स्थायी भाव होता है, जिसे पहचानकर हम काव्य में निहित भाव को समझ सकते हैं। नियमित अभ्यास और उदाहरणों पर ध्यान केंद्रित करने से इस विषय पर आपकी पकड़ मजबूत होगी।
रस – क्विज़
अपनी तैयारी परखें
रस से संबंधित इन प्रश्नों के उत्तर देकर अपनी समझ को मजबूत करें। प्रत्येक प्रश्न के बाद सही उत्तर दिया गया है।
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काव्य को पढ़ने, सुनने या नाटक को देखने से जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर: C) रस
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रस की आत्मा किसे माना गया है?
उत्तर: C) भाव
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स्थायी भाव क्या होते हैं?
उत्तर: B) मूल भाव जो हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं
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शृंगार रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: B) रति
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हास्य रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: B) हास
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करुण रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: A) शोक
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रौद्र रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: C) क्रोध
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वीर रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: A) उत्साह
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भयानक रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: C) भय
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बीभत्स रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: B) जुगुप्सा
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अद्भुत रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: C) विस्मय
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शांत रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: B) निर्वेद
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वात्सल्य रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: B) वत्सल
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भक्ति रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: B) देव विषयक रति
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जिसके प्रति स्थायी भाव जागृत हो, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर: B) आलंबन विभाव
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स्थायी भाव को और अधिक उद्दीप्त करने वाली परिस्थितियाँ क्या कहलाती हैं?
उत्तर: B) उद्दीपन विभाव
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स्थायी भाव के जागृत होने पर आश्रय की शारीरिक चेष्टाएँ क्या कहलाती हैं?
उत्तर: C) अनुभाव
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वे भाव जो स्थायी भाव के साथ-साथ आते-जाते रहते हैं, क्या कहलाते हैं?
उत्तर: D) संचारी भाव
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संचारी भावों की संख्या कितनी मानी गई है?
उत्तर: C) 33
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भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र में कितने रस माने हैं?
उत्तर: B) 8
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बाद में किस रस को मान्यता मिली, जिससे रसों की संख्या 9 हो गई?
उत्तर: C) शांत
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निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘कहत नटत रीझत खिझत, मिलत खिलत लजियात। भरे भौन में करत हैं, नैनन ही सों बात॥’
उत्तर: B) संयोग शृंगार
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निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘निसि दिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पै, जब ते स्याम सिधारे॥’
उत्तर: B) वियोग शृंगार
-
निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘विंध्य के वासी उदासी तपोव्रत धारी महा बिनु नारि दुखारे। गौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनिवृंद सुखारे॥’
उत्तर: C) हास्य रस
-
निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘ऐ मेरे दोस्त! लौट के आजा, बिन तेरे जिंदगी अधूरी है।’
उत्तर: C) करुण रस
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निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे। सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे॥’
उत्तर: C) रौद्र रस
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निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥’
उत्तर: C) वीर रस
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निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय। विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाय॥’
उत्तर: B) भयानक रस
-
निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘सिर पर बैठ्यो काग, आँखि दोउ खात निकारत। खींचत जीभहिं स्यार, अतिहि आनंद उर धारत॥’
उत्तर: B) बीभत्स रस
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निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘अखिल भुवन चर अचर सब, हरि मुख में लखि मातु। चकित भई गदगद वचन, विकसित दृग पुलकातु॥’
उत्तर: B) अद्भुत रस
-
निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘मन रे तन कागद का पुतला। लागै बूँद बिनसि जाय छिन में, गरब करै क्या इतना॥’
उत्तर: B) शांत रस
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निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी? कितिक बार मोहि दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी॥’
उत्तर: B) वात्सल्य रस
-
निम्न पंक्ति में कौन सा रस है: ‘पायो जी मैंने राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायो॥’
उत्तर: B) भक्ति रस
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नायक-नायिका के प्रेम का वर्णन किस रस में होता है?
उत्तर: C) शृंगार रस
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संतान के प्रति प्रेम किस रस का स्थायी भाव है?
उत्तर: B) वत्सल
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ईश्वर के प्रति प्रेम किस रस का स्थायी भाव है?
उत्तर: D) देव विषयक रति
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करुण रस और वियोग शृंगार में मुख्य अंतर क्या है?
उत्तर: B) करुण में पुनर्मिलन की संभावना नहीं होती, वियोग में होती है।
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स्थायी भाव और संचारी भाव में मुख्य अंतर क्या है?
उत्तर: B) स्थायी भाव मूल होते हैं, संचारी भाव अस्थायी।
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काव्य में रस का क्या महत्व है?
उत्तर: B) पाठक या श्रोता को आनंद की अनुभूति कराना।
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‘रति’ स्थायी भाव से किस रस की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: C) शृंगार
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‘शोक’ स्थायी भाव से किस रस की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: C) करुण
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‘उत्साह’ स्थायी भाव से किस रस की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: A) वीर
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‘भय’ स्थायी भाव से किस रस की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: B) भयानक
-
‘जुगुप्सा’ स्थायी भाव से किस रस की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: B) बीभत्स
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‘विस्मय’ स्थायी भाव से किस रस की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: B) अद्भुत
-
‘निर्वेद’ स्थायी भाव से किस रस की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: B) शांत
-
‘वत्सल’ स्थायी भाव से किस रस की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: B) वात्सल्य
-
‘देव विषयक रति’ स्थायी भाव से किस रस की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: B) भक्ति
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निम्न में से कौन सा रस का अंग नहीं है?
उत्तर: D) अलंकार
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‘रौद्र’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: C) क्रोध
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‘शांत’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: B) वैराग्य
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‘भयानक’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: B) डर
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‘बीभत्स’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: C) घृणा
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‘अद्भुत’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: B) आश्चर्य
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‘वीर’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: C) उत्साह
-
‘करुण’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: C) दुःख
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‘हास्य’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: B) हँसी
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‘शृंगार’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: C) प्रेम
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‘वात्सल्य’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: B) संतान प्रेम
-
‘भक्ति’ रस का संबंध किससे है?
उत्तर: B) ईश्वर प्रेम
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किस रस को ‘रसराज’ कहा जाता है?
उत्तर: B) शृंगार रस
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‘नवरस’ में कौन सा रस शामिल नहीं था, जिसे बाद में जोड़ा गया?
उत्तर: C) शांत
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काव्य में ‘रस’ का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर: C) पाठक को भावनात्मक अनुभव प्रदान करना
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‘आश्रय’ किसे कहते हैं?
उत्तर: B) जिसके हृदय में भाव जागृत हो
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‘विषय’ किसे कहते हैं?
उत्तर: A) जिसके प्रति भाव जागृत हो
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‘उद्दीपन’ का क्या कार्य है?
उत्तर: B) स्थायी भाव को पुष्ट करना
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निम्न में से कौन सा संचारी भाव नहीं है?
उत्तर: D) रति (यह स्थायी भाव है)
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‘रस सिद्धांत’ का प्रवर्तक किसे माना जाता है?
उत्तर: B) भरतमुनि
-
भरतमुनि के अनुसार, ‘शांत रस’ का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: B) शांत रस भरतमुनि द्वारा नहीं माना गया है।
-
‘रस निष्पत्ति’ का अर्थ क्या है?
उत्तर: C) रस की अनुभूति
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‘विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी संयोगद्रस निष्पत्ति:’ यह सूत्र किसका है?
उत्तर: B) भरतमुनि
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‘रति’ स्थायी भाव के कितने भेद होते हैं?
उत्तर: C) 3 (शृंगार, वात्सल्य, भक्ति)
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‘शृंगार रस’ के कितने भेद होते हैं?
उत्तर: B) 2 (संयोग और वियोग)
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निम्न में से कौन सा ‘अनुभाव’ का उदाहरण नहीं है?
उत्तर: D) चिंता (यह संचारी भाव है)
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‘उत्साह’ किस रस का स्थायी भाव है?
उत्तर: B) वीर
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‘शांत रस’ का संबंध किस प्रकार के काव्य से अधिक होता है?
उत्तर: C) दार्शनिक या आध्यात्मिक काव्य
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‘विस्मय’ स्थायी भाव किस रस से संबंधित है?
उत्तर: B) अद्भुत
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‘भक्ति रस’ में किस प्रकार की रति होती है?
उत्तर: B) देव विषयक रति
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‘वात्सल्य रस’ में किस प्रकार की रति होती है?
उत्तर: C) संतान विषयक रति
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‘शोक’ स्थायी भाव किस रस का आधार है?
उत्तर: B) करुण
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‘हास’ स्थायी भाव किस रस का आधार है?
उत्तर: B) हास्य
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‘क्रोध’ स्थायी भाव किस रस का आधार है?
उत्तर: C) रौद्र
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‘भय’ स्थायी भाव किस रस का आधार है?
उत्तर: B) भयानक
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‘जुगुप्सा’ स्थायी भाव किस रस का आधार है?
उत्तर: B) बीभत्स
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‘निर्वेद’ स्थायी भाव किस रस का आधार है?
उत्तर: B) शांत
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‘वात्सल्य’ रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: B) वत्सल
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‘भक्ति’ रस का स्थायी भाव क्या है?
उत्तर: D) देव विषयक रति
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काव्य में ‘रस’ की निष्पत्ति के लिए किन तत्वों का होना आवश्यक है?
उत्तर: C) स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव
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‘रौद्र’ रस का उदाहरण किस प्रकार की पंक्तियों में मिलता है?
उत्तर: C) क्रोध और प्रतिशोध का वर्णन
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‘वीर’ रस का उदाहरण किस प्रकार की पंक्तियों में मिलता है?
उत्तर: B) युद्ध और वीरता का वर्णन
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‘भयानक’ रस का उदाहरण किस प्रकार की पंक्तियों में मिलता है?
उत्तर: C) डर और भय का वर्णन
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‘बीभत्स’ रस का उदाहरण किस प्रकार की पंक्तियों में मिलता है?
उत्तर: C) घृणित वस्तुओं का वर्णन
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‘अद्भुत’ रस का उदाहरण किस प्रकार की पंक्तियों में मिलता है?
उत्तर: C) आश्चर्यजनक घटनाओं का वर्णन
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‘शांत’ रस का उदाहरण किस प्रकार की पंक्तियों में मिलता है?
उत्तर: C) वैराग्य और शांति का वर्णन
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‘वात्सल्य’ रस का उदाहरण किस प्रकार की पंक्तियों में मिलता है?
उत्तर: C) संतान के प्रति प्रेम का वर्णन
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‘भक्ति’ रस का उदाहरण किस प्रकार की पंक्तियों में मिलता है?
उत्तर: C) ईश्वर के प्रति प्रेम का वर्णन
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‘शृंगार’ रस के कितने भेद होते हैं?
उत्तर: B) 2
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‘संयोग शृंगार’ का उदाहरण क्या है?
उत्तर: B) प्रिय से मिलन का आनंद
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‘वियोग शृंगार’ का उदाहरण क्या है?
उत्तर: B) प्रिय के बिछड़ने का दुःख