समसामयिक हिंदी साहित्य से तात्पर्य उस साहित्य से है जो वर्तमान समय में लिखा जा रहा है या हाल के दशकों में लिखा गया है। यह साहित्य आधुनिक जीवन की जटिलताओं, सामाजिक परिवर्तनों, वैश्विक प्रभावों और व्यक्ति की आंतरिक अनुभूतियों को गहराई से अभिव्यक्त करता है। यह नई कविता और उसके बाद की साहित्यिक प्रवृत्तियों का विस्तार है।
1. समसामयिक साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ/विशेषताएँ
यथार्थ का बहुआयामी चित्रण: जीवन के विभिन्न पहलुओं (शहरी, ग्रामीण, दलित, स्त्री, आदिवासी) का सूक्ष्म और वास्तविक चित्रण। आदर्शवाद से दूरी।
भूमंडलीकरण और उपभोक्तावाद का प्रभाव: वैश्विक संस्कृति, बाजारवाद और उपभोक्तावादी जीवनशैली के प्रभावों का चित्रण।
उत्तर-आधुनिकतावादी चेतना: विखंडन, विडंबना, व्यंग्य, और स्थापित मान्यताओं पर प्रश्नचिह्न लगाना।
दलित साहित्य: दलितों के अनुभवों, पीड़ाओं और संघर्षों की सशक्त अभिव्यक्ति। यह एक महत्वपूर्ण और स्वतंत्र धारा के रूप में उभरा है।
स्त्री साहित्य/नारी विमर्श: स्त्री की स्वतंत्रता, पहचान, संघर्ष और समाज में उसकी स्थिति पर केंद्रित लेखन।
आंचलिकता का पुनरुत्थान: क्षेत्रीय बोलियों, संस्कृति और समस्याओं पर आधारित लेखन।
सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार: भ्रष्टाचार, राजनीतिक पतन, सांप्रदायिकता, पर्यावरण प्रदूषण आदि पर तीखा व्यंग्य और आलोचना।
भाषा और शिल्प में प्रयोग: बोलचाल की भाषा, नए बिंब, प्रतीक और कथा कहने के नए तरीके।
विविध विधाओं में लेखन: कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, आलोचना, संस्मरण, यात्रा-वृत्तांत, ब्लॉगिंग आदि सभी विधाओं में सक्रियता।
प्रवासी साहित्य: विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा अपनी जड़ों, पहचान और अनुभवों पर लिखा गया साहित्य।
2. प्रमुख रचनाकार और उनकी रचनाएँ (विभिन्न विधाओं में)
उपन्यासकार
कृष्णा सोबती (1925-2019)
विशेषता: भाषा की विशिष्टता, स्त्री मन का चित्रण, बोल्ड लेखन।
प्रमुख रचनाएँ:
ज़िंदगीनामा (साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार) – पंजाब के ग्रामीण जीवन का यथार्थ चित्रण।
मित्रो मरजानी
डार से बिछुड़ी
निर्मल वर्मा (1929-2005)
विशेषता: आधुनिकता बोध, अकेलेपन, alienation का चित्रण, सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक विश्लेषण।
प्रमुख रचनाएँ:
वे दिन – विदेश में भारतीय छात्रों के जीवन का चित्रण।
लाल टीन की छत
एक चिथड़ा सुख
कमलेश्वर (1932-2007)
विशेषता: शहरी जीवन की विसंगतियाँ, आम आदमी का संघर्ष, पत्रकारिता का प्रभाव।
प्रमुख रचनाएँ:
कितने पाकिस्तान (साहित्य अकादमी पुरस्कार) – विभाजन, इतिहास और धर्म पर आधारित।
डाक बंगला
एक और चंद्रकांता
मनु भंडारी (1931-2021)
विशेषता: स्त्री विमर्श, मध्यवर्गीय जीवन का चित्रण, मनोवैज्ञानिक यथार्थवाद।
प्रमुख रचनाएँ:
आपका बंटी – तलाकशुदा माता-पिता के बच्चे की मनोवैज्ञानिक स्थिति।
महाभोज
एक इंच मुस्कान (राजेंद्र यादव के साथ)
काशीनाथ सिंह (जन्म: 1937)
विशेषता: ग्रामीण जीवन का यथार्थ, व्यंग्य, आंचलिक रंग।
प्रमुख रचनाएँ:
रेहन पर रग्घू (साहित्य अकादमी पुरस्कार) – बनारस के ग्रामीण जीवन और समस्याओं का चित्रण।
अपना मोर्चा
उषा प्रियंवदा (जन्म: 1930)
विशेषता: शहरी मध्यवर्गीय जीवन, अकेलेपन, मानवीय संबंधों की जटिलता।
प्रमुख रचनाएँ:
पचपन खंभे लाल दीवारें
रुकोगी नहीं राधिका
चित्रा मुद्गल (जन्म: 1944)
विशेषता: स्त्री विमर्श, सामाजिक यथार्थ, श्रमिक वर्ग का जीवन।
प्रमुख रचनाएँ:
आवां (व्यास सम्मान) – मुंबई के श्रमिक आंदोलन पर आधारित।
एक जमीन अपनी
कवि
केदारनाथ सिंह (1934-2018)
विशेषता: बिंबों की ताजगी, ग्रामीण परिवेश, मानवीय संवेदना, भाषा की सादगी।
प्रमुख रचनाएँ:
अकाल में सारस (साहित्य अकादमी पुरस्कार)
उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ (ज्ञानपीठ पुरस्कार)
यहाँ से देखो
कुँवर नारायण (1927-2017)
विशेषता: चिंतन प्रधान कविता, आधुनिक संवेदनशीलता, नैतिक मूल्य, मिथकों का आधुनिक संदर्भ में प्रयोग।
प्रमुख रचनाएँ:
चक्रव्यूह
आत्मजयी (प्रबंध काव्य)
कोई दूसरा नहीं (ज्ञानपीठ पुरस्कार)
अशोक वाजपेयी (जन्म: 1941)
विशेषता: सौंदर्य बोध, कला और संस्कृति पर चिंतन, भाषा की सूक्ष्मता।
प्रमुख रचनाएँ:
कहीं नहीं वहीं (साहित्य अकादमी पुरस्कार)
शहर अब भी संभावना है
मंगलेश डबराल (1948-2020)
विशेषता: आम आदमी का दुख, विस्थापन, भूमंडलीकरण का प्रभाव, सहज भाषा।
प्रमुख रचनाएँ:
हम जो देखते हैं (साहित्य अकादमी पुरस्कार)
घर का रास्ता
कहानीकार
ज्ञानरंजन (जन्म: 1936)
विशेषता: आधुनिक संवेदनशीलता, मनोवैज्ञानिक यथार्थ, शहरी जीवन की जटिलता।
प्रमुख रचनाएँ:
पिता
यात्रा
फेंकू
स्वयं प्रकाश (1947-2020)
विशेषता: सामाजिक सरोकार, व्यंग्य, मध्यवर्गीय जीवन का चित्रण।
प्रमुख रचनाएँ:
आदमी जात का आदमी
सूरज कब निकलेगा
आएँगे अच्छे दिन भी
अलका सरावगी (जन्म: 1960)
विशेषता: स्त्री विमर्श, ऐतिहासिक संदर्भ, सामाजिक परिवर्तन।
प्रमुख रचनाएँ:
कलिकथा वाया बाइपास (साहित्य अकादमी पुरस्कार)
शेष कादंबरी
दलित साहित्यकार
ओमप्रकाश वाल्मीकि (1950-2013)
विशेषता: दलित जीवन की पीड़ा, संघर्ष और आक्रोश की सशक्त अभिव्यक्ति।
प्रमुख रचनाएँ:
जूठन (आत्मकथा) – दलित जीवन का मार्मिक चित्रण।
सलाम (कहानी संग्रह)
मोहनदास नैमिशराय (जन्म: 1954)
विशेषता: दलित चेतना, सामाजिक न्याय की वकालत।
प्रमुख रचनाएँ:
अपने-अपने पिंजरे (आत्मकथा)
स्त्री साहित्यकार
मृदुला गर्ग (जन्म: 1938)
विशेषता: स्त्री विमर्श, सामाजिक रूढ़ियों पर व्यंग्य, आधुनिकता बोध।
प्रमुख रचनाएँ:
मिलजुल मन (साहित्य अकादमी पुरस्कार)
चित्तकोबरा
ममता कालिया (जन्म: 1940)
विशेषता: स्त्री मन की जटिलता, शहरी जीवन, व्यंग्य।
प्रमुख रचनाएँ:
दुःखम सुखम (व्यास सम्मान)
एक पत्नी के नोट्स
निष्कर्ष
समसामयिक हिंदी साहित्य अत्यंत विविध और गतिशील है। यह समाज और व्यक्ति के बदलते स्वरूप को गहराई से अभिव्यक्त कर रहा है। दलित साहित्य, स्त्री साहित्य, प्रवासी साहित्य जैसी नई धाराओं ने इसे और अधिक समृद्ध और प्रासंगिक बनाया है, जिससे हिंदी साहित्य की वैश्विक पहचान मजबूत हुई है।