1. परिभाषा
वाक्य पदों या शब्दों का वह व्यवस्थित और सार्थक समूह है, जिससे वक्ता का भाव या विचार पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाए।
मूल तत्व: वाक्य में आकांक्षा, योग्यता, आसत्ति (निकटता) और पदक्रम का होना अनिवार्य है।
2. वाक्य के अंग
प्रत्येक वाक्य के दो अनिवार्य अंग होते हैं:
-
उद्देश्य: वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं। इसमें कर्ता और कर्ता का विस्तार आता है।
उदाहरण: परिश्रमी बालक सफल होता है। (यहाँ ‘परिश्रमी बालक’ उद्देश्य है।) -
विधेय: उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं। इसमें क्रिया, कर्म, और क्रिया-विशेषण आते हैं।
उदाहरण: परिश्रमी बालक सफल होता है। (यहाँ ‘सफल होता है’ विधेय है।)
3. रचना के आधार पर वाक्य भेद
बनावट या रचना की दृष्टि से वाक्यों के तीन भेद हैं:
क. सरल वाक्य
जिन वाक्यों में एक ही उद्देश्य और एक ही मुख्य क्रिया (विधेय) हो, उन्हें सरल वाक्य कहते हैं।
- वर्षा हो रही है।
- मोहन पुस्तक पढ़ता है।
- वह खाना खाकर सो गया। (इसमें ‘खाकर’ पूर्वकालिक क्रिया है, पर मुख्य क्रिया ‘सो गया’ एक ही है।)
ख. संयुक्त वाक्य
जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्य किसी समानाधिकरण योजक (समुच्चयबोधक अव्यय) से जुड़े हों।
पहचान के शब्द (योजक): और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किंतु, परंतु, लेकिन, पर।
- वह सुबह गया और शाम को लौट आया।
- उसने बहुत परिश्रम किया, किंतु सफल न हो सका।
- आप चाय लेंगे या कॉफी?
ग. मिश्र वाक्य
जिन वाक्यों में एक प्रधान उपवाक्य हो और शेष आश्रित उपवाक्य हों जो प्रधान उपवाक्य पर निर्भर हों।
पहचान के शब्द (योजक): कि, जो, जिसे, जिसको, जैसा, वैसा, ज्यों, त्यों, जब, तब, जहाँ, वहाँ, यदि, तो, यद्यपि, तथापि।
- गांधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो।
- वह जो लड़का है, छोटा है।
- यदि परिश्रम करोगे, तो उत्तीर्ण हो जाओगे।
त्वरित पहचान चार्ट
| वाक्य भेद | संरचना | मुख्य पहचान (योजक शब्द) |
|---|---|---|
| सरल वाक्य | 1 उद्देश्य + 1 विधेय | कोई योजक नहीं होता। |
| संयुक्त वाक्य | स्वतंत्र + स्वतंत्र उपवाक्य | और, तथा, एवं, या, अथवा, इसलिए, किंतु, परंतु, लेकिन। |
| मिश्र वाक्य | प्रधान + आश्रित उपवाक्य | कि, जो (और उसके रूप), जब-तब, जैसा-वैसा, यदि-तो, यद्यपि-तथापि। |
4. आश्रित उपवाक्य के भेद (केवल मिश्र वाक्य में)
मिश्र वाक्य में आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं:
-
संज्ञा उपवाक्य: जो उपवाक्य प्रधान वाक्य की क्रिया के कर्म या पूरक का काम करे।
पहचान: यह प्रायः ‘कि’ से शुरू होता है।
उदाहरण: राम ने कहा ‘कि मैं पढूँगा’। -
विशेषण उपवाक्य: जो उपवाक्य प्रधान वाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताए।
पहचान: ‘जो’, ‘जिसने’, ‘जिसे’ आदि।
उदाहरण: वह पेन कहाँ है ‘जो मैंने तुम्हें दिया था’? -
क्रिया-विशेषण उपवाक्य: जो उपवाक्य प्रधान वाक्य की क्रिया की विशेषता (समय, स्थान, रीति) बताए।
पहचान: ‘जब’, ‘जहाँ’, ‘जिधर’, ‘ज्यों’, ‘यदि’।
उदाहरण: ‘जब पानी बरसता है’, तब मेंढक बोलते हैं।
5. अर्थ के आधार पर वाक्य भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य 8 प्रकार के होते हैं:
उदाहरण: गंगा हिमालय से निकलती है।
उदाहरण: मैंने दूध नहीं पिया।
उदाहरण: तुम क्या कर रहे हो?
उदाहरण: यहाँ से चले जाओ।
उदाहरण: नववर्ष मंगलमय हो।
उदाहरण: शायद आज वर्षा हो।
उदाहरण: वाह! क्या छक्का मारा है।
उदाहरण: यदि तुम पढ़ोगे, तो पास हो जाओगे।
6. वाक्य रूपांतरण (महत्वपूर्ण)
वाक्य का अर्थ बदले बिना उसका रूप बदलना वाक्य रूपांतरण कहलाता है।
क. सरल से संयुक्त
- सरल: वह फल खरीदने बाजार गया।
- संयुक्त: उसे फल खरीदने थे, इसलिए वह बाजार गया।
ख. सरल से मिश्र
- सरल: मेहनती व्यक्ति कभी असफल नहीं होता।
- मिश्र: जो व्यक्ति मेहनती होता है, वह कभी असफल नहीं होता।
7. परीक्षा हेतु विशेष सुझाव
- योजक शब्द की पहचान: ‘और’ संयुक्त वाक्य का संकेत है, जबकि ‘कि’, ‘जो’, ‘जब’ मिश्र वाक्य के संकेत हैं।
- क्रिया की गणना: सरल वाक्य में क्रियापद एक से अधिक हो सकते हैं (जैसे- ‘वह पढ़ता चला जा रहा है’), लेकिन मुख्य क्रिया एक ही होती है।
- अल्पविराम का महत्व: मिश्र वाक्य में यदि ‘तौ’, ‘तब’ जैसे योजक लुप्त हों, तो वहाँ अल्पविराम (,) का प्रयोग होता है। उदाहरण: “जैसे ही वह आया, (वैसे ही) मैं चला गया।”
- वाक्य शुद्धिकरण: कर्ता के लिंग और वचन के अनुसार ही क्रिया का प्रयोग करें।
This website is a game-changer! verty good contenet on your site . thanks for sharing