मुगल साम्राज्य: अकबर (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)
जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर, जिसे आमतौर पर अकबर महान के नाम से जाना जाता है, मुगल साम्राज्य का तीसरा और सबसे महान शासक था। उसका शासनकाल (1556-1605 ईस्वी) मुगल साम्राज्य के सुदृढ़ीकरण और विस्तार का काल था, जिसने इसे भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे शक्तिशाली राजनीतिक इकाई बना दिया।
1. प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक (Early Life and Accession)
- जन्म: 15 अक्टूबर 1542 ईस्वी को अमरकोट (सिंध) में, हुमायूं के निर्वासन काल के दौरान।
- पिता: हुमायूं।
- राज्याभिषेक: 14 फरवरी 1556 ईस्वी को कलानौर (पंजाब) में, हुमायूं की आकस्मिक मृत्यु के बाद। उस समय अकबर की आयु मात्र 13 वर्ष थी।
- संरक्षक: बैरम खान, हुमायूं का वफादार सेनापति और अकबर का संरक्षक (अतालीक)। उसने अकबर के प्रारंभिक शासनकाल (1556-1560 ईस्वी) में साम्राज्य का संचालन किया।
2. बैरम खान का संरक्षण और पेटीकोट सरकार (Regency of Bairam Khan and Petticoat Government)
अकबर के प्रारंभिक शासनकाल में बैरम खान का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा।
- बैरम खान का प्रभाव (1556-1560 ईस्वी):
- बैरम खान ने अकबर को राज्याभिषेक के बाद की चुनौतियों से निपटने में मदद की और मुगल साम्राज्य को स्थिरता प्रदान की।
- उसने पानीपत का द्वितीय युद्ध जीतकर मुगल सत्ता को पुनः स्थापित किया।
- उसे ‘खान-ए-खाना’ की उपाधि दी गई थी।
- पेटीकोट सरकार / पर्दा शासन (1560-1562 ईस्वी):
- बैरम खान के प्रभाव को कम करने के बाद, अकबर पर उसकी धाय माँ माहम अनगा और उसके परिवार का प्रभाव बढ़ गया।
- इस अवधि को कुछ इतिहासकारों द्वारा ‘पेटीकोट सरकार’ या ‘पर्दा शासन’ कहा जाता है।
- 1562 ईस्वी में अकबर ने व्यक्तिगत रूप से शासन की बागडोर संभाली।
3. पानीपत का द्वितीय युद्ध (Second Battle of Panipat) (5 नवंबर 1556 ईस्वी)
यह युद्ध भारत में मुगल साम्राज्य की वास्तविक पुनर्स्थापना का निर्णायक युद्ध था।
- पक्ष: मुगल सेना (नेतृत्व बैरम खान ने किया) बनाम हेमचंद्र विक्रमादित्य (हेमू)।
- हेमू: शेरशाह सूरी के एक उत्तराधिकारी आदिल शाह सूरी का हिंदू सेनापति, जिसने दिल्ली और आगरा पर कब्जा कर लिया था और ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की थी।
- परिणाम:
- मुगल सेना की निर्णायक विजय हुई।
- हेमू पराजित हुआ और मारा गया।
- महत्व: इस युद्ध ने भारत में मुगल सत्ता को स्थायी रूप से स्थापित किया और अफगान खतरे को समाप्त कर दिया।
4. सैन्य अभियान और साम्राज्य विस्तार (Military Campaigns and Expansion)
अकबर ने एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया, जिसमें उसने विभिन्न क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की।
- मालवा विजय (1561 ईस्वी): बाज बहादुर को पराजित किया।
- गोंडवाना विजय (1564 ईस्वी): रानी दुर्गावती को पराजित किया।
- राजपूत नीति: अकबर ने राजपूतों के साथ ‘सुलह-ए-कुल’ (सार्वभौमिक शांति) की नीति अपनाई, जिसमें मित्रता, विवाह संबंध और सैन्य गठबंधन शामिल थे।
- आमेर के राजा भारमल की पुत्री हरखा बाई (जोधा बाई) से विवाह किया।
- चित्तौड़ विजय (1568 ईस्वी): राणा उदय सिंह को पराजित किया।
- रणथंभौर विजय (1569 ईस्वी): राजपूतों से संधि की।
- हल्दीघाटी का युद्ध (1576 ईस्वी): राणा प्रताप (मेवाड़) के खिलाफ, जिसमें राणा प्रताप को पराजित किया गया, लेकिन वे कभी मुगलों के अधीन नहीं हुए।
- गुजरात विजय (1572-73 ईस्वी):
- यह एक महत्वपूर्ण विजय थी, जिसने मुगलों को समुद्री व्यापार तक पहुंच प्रदान की।
- इस विजय की स्मृति में फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा बनवाया गया।
- बंगाल और बिहार विजय (1574-76 ईस्वी): दाऊद खान कर्रानी को पराजित किया।
- कश्मीर विजय (1586 ईस्वी): कश्मीर को मुगल साम्राज्य में मिलाया।
- सिंध और बलूचिस्तान विजय (1591 ईस्वी):
- कंधार विजय (1595 ईस्वी): सफावी साम्राज्य से कंधार पर पुनः अधिकार किया।
- दक्षिण भारत अभियान:
- अकबर प्रथम मुगल शासक था जिसने दक्षिण भारत पर ध्यान केंद्रित किया।
- उसने खानदेश, अहमदनगर और बरार के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की।
- अहमदनगर में चाँद बीबी ने मुगलों का बहादुरी से सामना किया।
5. अकबर का व्यक्तित्व और विरासत (Akbar’s Personality and Legacy)
- एक महान शासक और प्रशासक: अकबर ने एक विशाल और विविध साम्राज्य को एकीकृत किया और एक कुशल प्रशासनिक प्रणाली स्थापित की।
- धार्मिक सहिष्णुता: उसने सभी धर्मों के प्रति उदारता दिखाई और ‘सुलह-ए-कुल’ की नीति अपनाई।
- कला और साहित्य का संरक्षक:
- उसके दरबार में कई विद्वान, कवि, संगीतकार और कलाकार थे (जैसे तानसेन, बीरबल, अबुल फजल)।
- उसने ‘अकबरनामा’ और ‘आइन-ए-अकबरी’ जैसी महत्वपूर्ण कृतियों को संरक्षण दिया, जिन्हें अबुल फजल ने लिखा था।
- उसने एक अनुवाद विभाग की स्थापना की, जहाँ संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया गया।
- स्थापत्य कला: फतेहपुर सीकरी (बुलंद दरवाजा, पंच महल, जोधाबाई का महल), आगरा का किला, लाहौर का किला।
- मृत्यु: 27 अक्टूबर 1605 ईस्वी को आगरा में। उसे सिकंदरा (आगरा के पास) में दफनाया गया।
- विरासत: अकबर का शासनकाल मुगल साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है। उसने एक मजबूत, धर्मनिरपेक्ष और एकीकृत साम्राज्य की नींव रखी, जिसने भारत के इतिहास को गहराई से प्रभावित किया।
6. निष्कर्ष (Conclusion)
अकबर भारतीय इतिहास के सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक था। उसकी सैन्य विजयों, प्रशासनिक सुधारों, धार्मिक सहिष्णुता और कला एवं साहित्य के प्रति संरक्षण ने मुगल साम्राज्य को एक अद्वितीय ऊँचाई पर पहुँचाया। उसने एक ऐसा साम्राज्य बनाया जो न केवल विशाल था, बल्कि सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और समावेशी भी था, जिसकी विरासत आज भी भारत में देखी जा सकती है।