Gyan Pragya
No Result
View All Result
  • Hindi
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Current Affairs
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

अशोक और बौद्ध धर्म का प्रसार (Ashoka and Spread of Buddhism)

सम्राट अशोक (अशोक महान) भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण शासकों में से एक हैं। उनके शासनकाल को मौर्य साम्राज्य के चरमोत्कर्ष और बौद्ध धर्म के वैश्विक प्रसार के लिए जाना जाता है। उनका जीवन, विशेषकर कलिंग युद्ध के बाद का परिवर्तन, एक शासक के नैतिक और आध्यात्मिक विकास का एक असाधारण उदाहरण है।

1. सम्राट अशोक का प्रारंभिक जीवन और शासन (Early Life and Rule of Emperor Ashoka)

  • शासनकाल: लगभग 273/268 ईसा पूर्व – 232 ईसा पूर्व।
  • परिचय: अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य के पोते और बिंदुसार के पुत्र थे। उन्हें अपने प्रारंभिक जीवन में एक क्रूर और महत्वाकांक्षी शासक के रूप में जाना जाता था, जिसे ‘चंडाशोक’ कहा जाता था।
  • सिंहासनारोहण: बौद्ध ग्रंथों के अनुसार, अशोक ने सिंहासन प्राप्त करने के लिए अपने कई भाइयों की हत्या की।
  • साम्राज्य का विस्तार: अपने शासनकाल के प्रारंभिक वर्षों में, अशोक ने अपने पूर्वजों की विस्तारवादी नीति जारी रखी और मौर्य साम्राज्य को लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप तक फैलाया।

2. कलिंग युद्ध और अशोक का हृदय परिवर्तन (Kalinga War and Ashoka’s Transformation)

  • कलिंग युद्ध (लगभग 261 ईसा पूर्व):
    • यह अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी। कलिंग (आधुनिक ओडिशा) एक स्वतंत्र राज्य था जो मगध के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था।
    • अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया और उसे जीत लिया।
    • युद्ध का प्रभाव: कलिंग युद्ध अत्यंत विनाशकारी था। अशोक के 13वें शिलालेख के अनुसार, इस युद्ध में लगभग 1 लाख लोग मारे गए, 1.5 लाख लोग बंदी बनाए गए, और कई गुना अधिक लोग घायल हुए।
    • इस भयानक नरसंहार और उसके बाद के दुख को देखकर अशोक का हृदय परिवर्तित हो गया। उन्होंने युद्ध और हिंसा की नीति को त्यागने का निर्णय लिया।
  • धम्म विजय (Conquest by Dhamma):
    • कलिंग युद्ध के बाद, अशोक ने ‘भेरीघोष’ (युद्ध का डंका) की नीति को त्यागकर ‘धम्मघोष’ (धर्म का डंका) की नीति अपनाई।
    • यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें एक सैन्य विजेता से एक आध्यात्मिक शासक में बदल दिया।

3. अशोक द्वारा बौद्ध धर्म अपनाना और उसका प्रसार (Ashoka’s Embrace and Spread of Buddhism)

  • बौद्ध धर्म में दीक्षा: कलिंग युद्ध के बाद, अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया। बौद्ध परंपरा के अनुसार, उन्हें उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु ने दीक्षा दी थी।
  • बौद्ध धर्म का संरक्षण:
    • अशोक ने बौद्ध धर्म को राजकीय संरक्षण दिया, लेकिन उन्होंने इसे राज्य धर्म घोषित नहीं किया। उनका ‘धम्म’ एक नैतिक संहिता थी जो सभी धर्मों के लिए स्वीकार्य थी।
    • उन्होंने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अपने साम्राज्य में फैलाने के लिए अथक प्रयास किए।
  • धम्म की नीति (Policy of Dhamma):
    • अशोक का ‘धम्म’ किसी विशेष धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करता था, बल्कि यह सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों का एक समूह था। इसके मुख्य सिद्धांत थे:
      • अहिंसा: सभी जीवित प्राणियों के प्रति अहिंसा।
      • सत्य: सत्य बोलना।
      • दान: दान करना।
      • सहनशीलता: सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता।
      • माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान: बड़ों का आदर करना।
      • दासों और सेवकों के प्रति दया: उनके साथ अच्छा व्यवहार करना।
  • धम्म का प्रसार (Spread of Dhamma):
    • शिलालेख और स्तंभ लेख: अशोक ने अपने धम्म के सिद्धांतों को पत्थरों पर उत्कीर्ण करवाया और उन्हें पूरे साम्राज्य में स्थापित किया। ये शिलालेख और स्तंभ लेख अशोक के शासनकाल और धम्म की नीति के बारे में जानकारी के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
    • धम्म महामात्रों की नियुक्ति: उन्होंने ‘धम्म महामात्र’ नामक अधिकारियों की नियुक्ति की, जिनका कार्य धम्म का प्रचार करना और लोगों के नैतिक उत्थान में सहायता करना था।
    • बौद्ध संगीति: अशोक ने पाटलिपुत्र में तीसरी बौद्ध संगीति का आयोजन किया (लगभग 250 ईसा पूर्व), जिसका उद्देश्य बौद्ध धर्म में उत्पन्न मतभेदों को दूर करना और बौद्ध धर्मग्रंथों को व्यवस्थित करना था।
    • विदेशों में बौद्ध धर्म का प्रसार:
      • उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए मिशनरियों को विदेशों में भेजा।
      • उन्होंने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका भेजा।
      • उन्होंने पश्चिम एशिया, मिस्र और पूर्वी यूरोप के यूनानी राज्यों में भी दूत भेजे।
    • स्तूपों और विहारों का निर्माण: अशोक ने बड़ी संख्या में स्तूपों और बौद्ध विहारों का निर्माण करवाया, जिससे बौद्ध धर्म के केंद्र स्थापित हुए।

4. अशोक का मूल्यांकन (Evaluation of Ashoka)

  • अशोक को भारतीय इतिहास में एक महान शासक के रूप में याद किया जाता है।
  • उन्होंने युद्ध की नीति को त्यागकर शांति और अहिंसा का मार्ग अपनाया, जो विश्व इतिहास में अद्वितीय है।
  • उनके ‘धम्म’ की नीति ने समाज में नैतिक मूल्यों और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया।
  • उन्होंने बौद्ध धर्म को एक विश्व धर्म बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है, जो उनकी विरासत का प्रतीक है।

5. निष्कर्ष (Conclusion)

सम्राट अशोक का जीवन और उनके कार्य भारतीय इतिहास के एक स्वर्णिम अध्याय का प्रतिनिधित्व करते हैं। कलिंग युद्ध के बाद उनका हृदय परिवर्तन और ‘धम्म’ की नीति का पालन, उन्हें एक आदर्श शासक और मानवता के प्रतीक के रूप में स्थापित करता है। बौद्ध धर्म के प्रसार में उनकी भूमिका ने न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया के धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार दिया।

Previous Post

चंद्रगुप्त मौर्य और कौटिल्य का अर्थशास्त्र (Chandragupta Maurya and Kautilya’s Arthashastra)

Next Post

Quiz Stone Age

Next Post

Quiz Stone Age

Topic-wise History Quiz in Hindi

Chalcolithic Age

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Contact us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Quiz
  • Static Gk
  • Polity
  • Hindi
  • Geography
  • Economics
  • General Science
  • Uttarakhand
  • History
  • Environment
  • Computer
  • Contact us

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.