Gyan Pragya
No Result
View All Result
BPSC: 71st Combined Pre Exam - Last Date: 30-06-2025 | SSC: Combined Graduate Level (CGL) - 14582 Posts - Last Date: 04-07-2025
  • Current Affairs
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Hindi
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

बहमनी साम्राज्य (Bahmani Empire)

बहमनी साम्राज्य (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

बहमनी साम्राज्य (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

दिल्ली सल्तनत के कमजोर पड़ने और मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दक्षिण भारत में हुए विद्रोहों के परिणामस्वरूप, दक्कन में एक शक्तिशाली मुस्लिम साम्राज्य का उदय हुआ – बहमनी साम्राज्य। यह साम्राज्य 1347 ईस्वी से 1527 ईस्वी तक अस्तित्व में रहा और विजयनगर साम्राज्य के साथ लगातार संघर्ष में रहा।

1. उद्भव और प्रमुख शासक (Origin and Prominent Rulers)

  • संस्थापक: अलाउद्दीन हसन बहमन शाह (हसन गंगू) (1347-1358 ईस्वी)।
    • वह मुहम्मद बिन तुगलक के खिलाफ विद्रोह करने वाले अफगान अमीरों में से एक था।
    • उसने 3 अगस्त 1347 ईस्वी को गुलबर्गा में अपनी राजधानी स्थापित की और ‘अलाउद्दीन हसन बहमन शाह’ की उपाधि धारण की।
  • राजधानी: प्रारंभिक राजधानी गुलबर्गा थी, जिसे बाद में बीदर (अहमद शाह वली द्वारा) स्थानांतरित कर दिया गया।
  • प्रमुख शासक:
    • मुहम्मद शाह प्रथम (1358-1375 ईस्वी):
      • अलाउद्दीन बहमन शाह का पुत्र।
      • उसने विजयनगर और वारंगल के खिलाफ कई युद्ध लड़े।
      • उसने प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की।
    • फिरोज शाह बहमनी (1397-1422 ईस्वी):
      • बहमनी साम्राज्य का सबसे उल्लेखनीय शासक में से एक।
      • उसने दौलताबाद के पास एक वेधशाला का निर्माण करवाया।
      • उसने बड़े पैमाने पर प्रशासन में हिंदुओं को शामिल किया।
      • वह कला और स्थापत्य का संरक्षक था।
    • अहमद शाह वली (1422-1436 ईस्वी):
      • उसने अपनी राजधानी गुलबर्गा से हटाकर बीदर में स्थापित की और इसका नाम ‘मुहम्मदाबाद’ रखा।
      • वह एक सूफी संत था और उसने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई।
    • अलाउद्दीन हुमायूं शाह (1458-1461 ईस्वी):
      • उसके शासनकाल में महमूद गवां (एक ईरानी व्यापारी) को ‘मलिक-उल-तुज्जर’ (सौदागरों का मुखिया) की उपाधि दी गई और वह प्रधानमंत्री बना।
    • मुहम्मद शाह तृतीय (1463-1482 ईस्वी):
      • उसके शासनकाल में महमूद गवां ने साम्राज्य को अपनी शक्ति के चरम पर पहुँचाया।
      • महमूद गवां ने प्रशासनिक सुधार किए और सैन्य शक्ति को मजबूत किया।
      • उसे दक्कनी और अफकी गुटों के बीच संघर्ष के कारण फांसी दे दी गई, जिससे साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।

2. प्रशासन (Administration)

बहमनी साम्राज्य का प्रशासन दिल्ली सल्तनत से प्रभावित था, जिसमें केन्द्रीयकृत और प्रांतीय व्यवस्था दोनों शामिल थीं।

  • सुल्तान: राज्य का सर्वोच्च प्रमुख।
  • मंत्रिपरिषद: सुल्तान को सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होती थी, जिसमें वजीर (प्रधानमंत्री), पेशवा (वजीर का सहायक), आरिज-ए-मुमालिक (सैन्य मंत्री) आदि शामिल थे।
  • प्रांतीय प्रशासन: साम्राज्य को चार प्रांतों (‘तरफ’ या ‘अतराफ’) में विभाजित किया गया था:
    • गुलबर्गा, दौलताबाद, बीदर और बरार।
    • प्रत्येक प्रांत का प्रमुख ‘तरफदार’ या ‘हकीम’ होता था, जो सैन्य और नागरिक दोनों शक्तियों का प्रयोग करता था।
  • सैन्य व्यवस्था: एक मजबूत सेना थी, जिसमें घुड़सवार सेना, पैदल सेना और तोपखाना शामिल था। फिरोज शाह बहमनी ने सेना में हिंदुओं को भी शामिल किया।
  • न्याय व्यवस्था: इस्लामी कानून (शरिया) पर आधारित थी।
  • राजस्व: भू-राजस्व आय का मुख्य स्रोत था।

3. समाज (Society)

बहमनी समाज एक महानगरीय समाज था, जिसमें विभिन्न जातीय और धार्मिक समूह शामिल थे।

  • जातीय विभाजन:
    • अफाकी (विदेशी): फारसी, तुर्क, अरब और अफ्रीकी मूल के मुसलमान, जो उच्च पदों पर थे।
    • दक्कनी (स्थानीय): भारतीय मूल के मुसलमान, जो स्थानीय हिंदू धर्म से परिवर्तित हुए थे।
    • इन दोनों गुटों के बीच लगातार संघर्ष बहमनी साम्राज्य के पतन का एक प्रमुख कारण बना।
  • धार्मिक सहिष्णुता:
    • शासक मुस्लिम थे, लेकिन उन्होंने हिंदुओं और अन्य धार्मिक समुदायों के प्रति सामान्यतः सहिष्णुता दिखाई।
    • फिरोज शाह बहमनी ने प्रशासन में हिंदुओं को शामिल किया।
    • हालांकि, कुछ शासक अधिक कट्टर भी थे।
  • सूफी प्रभाव: सूफी संतों का समाज पर गहरा प्रभाव था, और उनके खानकाह (निवास) धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के केंद्र थे।

4. आर्थिक जीवन (Economic Life)

बहमनी साम्राज्य का आर्थिक जीवन कृषि और व्यापार पर आधारित था।

  • कृषि: मुख्य आधार थी, जिसमें सिंचाई सुविधाओं का विकास किया गया।
  • व्यापार:
    • आंतरिक और बाहरी व्यापार दोनों महत्वपूर्ण थे।
    • प्रमुख बंदरगाह: दाभोल और गोवा (बाद में पुर्तगालियों द्वारा कब्जा कर लिया गया)।
    • मुख्य निर्यात: कपड़ा, मसाले, अनाज।
    • मुख्य आयात: घोड़े (अरब और फारस से), हथियार, कीमती धातुएँ।
    • फारस की खाड़ी और लाल सागर के देशों के साथ व्यापारिक संबंध थे।
  • उद्योग: वस्त्र उद्योग, धातु कार्य, आभूषण निर्माण।
  • मुद्रा: सोने और चांदी के सिक्के प्रचलन में थे।

5. कला और स्थापत्य (Art and Architecture)

बहमनी स्थापत्य कला फारसी, तुर्की और स्थानीय दक्कनी शैलियों का एक सुंदर मिश्रण थी।

  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • विशाल गुंबद, ऊंचे मेहराब, और मजबूत दीवारें।
    • फारसी शैली से प्रभावित ईंट और प्लास्टर का उपयोग।
    • मकबरों और मस्जिदों का निर्माण।
  • प्रमुख संरचनाएँ:
    • गुलबर्गा किला और जामा मस्जिद: गुलबर्गा में स्थित, जामा मस्जिद अपनी अनूठी छत और मेहराबों के लिए प्रसिद्ध है।
    • बीदर किला: अहमद शाह वली द्वारा निर्मित, यह अपनी मजबूत दीवारों और सुंदर महलों के लिए जाना जाता है।
    • महमूद गवां मदरसा (बीदर): 1472 ईस्वी में निर्मित, यह इस्लामी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था और फारसी स्थापत्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
    • अष्टुर कब्रें (बीदर): बहमनी शासकों के शाही मकबरे, जो अपनी सजावट और गुंबदों के लिए प्रसिद्ध हैं।
    • गोल गुंबज (बीजापुर): हालांकि यह बहमनी साम्राज्य के विघटन के बाद बीजापुर सल्तनत द्वारा निर्मित किया गया था, यह बहमनी स्थापत्य परंपराओं का एक महत्वपूर्ण विस्तार है।

6. साहित्य और धर्म (Literature and Religion)

बहमनी शासकों ने फारसी और अरबी साहित्य को संरक्षण दिया, और इस काल में दक्कनी उर्दू का विकास हुआ।

  • साहित्य:
    • फारसी और अरबी भाषाएँ दरबारी भाषाएँ थीं और इनमें महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों की रचना हुई।
    • दक्कनी उर्दू: इस काल में उर्दू भाषा का एक क्षेत्रीय रूप, दक्कनी उर्दू, विकसित हुआ, जिसने बाद में दक्षिण भारतीय साहित्य को प्रभावित किया।
    • कुछ शासक स्वयं विद्वान और कवि थे (जैसे फिरोज शाह बहमनी)।
  • धर्म:
    • इस्लाम राज्य का धर्म था, लेकिन सूफी संतों का प्रभाव व्यापक था।
    • सूफी आंदोलन: चिश्ती, कादिरी और शत्तारी जैसे सूफी संप्रदायों ने दक्कन में अपनी जड़ें जमाईं और स्थानीय आबादी को आकर्षित किया।
    • धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई गई, हालांकि कुछ अपवाद भी थे।

7. पतन (Decline)

बहमनी साम्राज्य का पतन 15वीं शताब्दी के अंत से शुरू हुआ और 16वीं शताब्दी के प्रारंभ तक यह विघटित हो गया।

  • आंतरिक संघर्ष:
    • अफाकी और दक्कनी गुटों के बीच लगातार संघर्ष और प्रतिद्वंद्विता, जिसने साम्राज्य को कमजोर किया।
    • महमूद गवां की हत्या (1482 ईस्वी) इस संघर्ष का एक महत्वपूर्ण बिंदु था, जिसने साम्राज्य को विभाजित कर दिया।
  • कमजोर उत्तराधिकारी: महमूद गवां के बाद के सुल्तान अयोग्य और कमजोर थे।
  • प्रांतीय गवर्नरों का उदय: विभिन्न प्रांतों के गवर्नरों ने अपनी स्वतंत्रता घोषित करना शुरू कर दिया।
  • विजयनगर साम्राज्य के साथ संघर्ष: विजयनगर के साथ लगातार युद्धों ने भी बहमनी साम्राज्य के संसाधनों को समाप्त कर दिया।
  • विघटन: 1518 ईस्वी तक, बहमनी साम्राज्य पांच स्वतंत्र दक्कन सल्तनतों में विघटित हो गया:
    • बीजापुर (आदिलशाही)
    • गोलकुंडा (कुतुबशाही)
    • अहमदनगर (निजामशाही)
    • बरार (इमादशाही)
    • बीदर (बरीदशाही)

8. निष्कर्ष (Conclusion)

बहमनी साम्राज्य दक्षिण भारत में एक महत्वपूर्ण मुस्लिम शक्ति था, जिसने लगभग दो शताब्दियों तक शासन किया। इसने दक्कन में इस्लामी संस्कृति, प्रशासन और स्थापत्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि, आंतरिक गुटबाजी और कमजोर नेतृत्व के कारण इसका अंत हुआ, लेकिन इसके विघटन से उत्पन्न पांच दक्कन सल्तनतों ने अपने-अपने क्षेत्रों में कला, संस्कृति और प्रशासन के विकास को जारी रखा, जिससे दक्षिण भारत के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा।

SendShare
Previous Post

विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire)

Next Post

बाबर और साम्राज्य की स्थापना (Babur and Foundation of the Empire)

Related Posts

History

मुगल साम्राज्य का पतन (Decline of Mughal Empire)

May 26, 2025

मुगल साम्राज्य का पतन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) औरंगजेब की मृत्यु (1707 ईस्वी) के बाद मुगल साम्राज्य का तेजी से पतन...

History

भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization)

May 26, 2025

भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization) स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक...

History

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (Hyderabad, Junagarh, Kashmir Issues)

May 26, 2025

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू-कश्मीर...

Next Post

बाबर और साम्राज्य की स्थापना (Babur and Foundation of the Empire)

हुमायूं (Humayun)

अकबर (Akbar)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhnd

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025
Polity

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025
Quiz

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025
uncategorized

Protected: test

May 25, 2025
Placeholder Square Image

Visit Google.com for more information.

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025

Protected: test

May 25, 2025

हिंदी लोकोक्तियाँ और उनके प्रयोग

May 24, 2025

मुहावरे और उनके अर्थ

May 24, 2025
  • Contact us
  • Disclaimer
  • Register
  • Login
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Home
  • Hindi
  • History
  • Geography
  • General Science
  • Uttarakhand
  • Economics
  • Environment
  • Static Gk
  • Quiz
  • Polity
  • Computer
  • Login
  • Contact us
  • Privacy Policy

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.