Gyan Pragya
No Result
View All Result
BPSC: 71st Combined Pre Exam - Last Date: 30-06-2025 | SSC: Combined Graduate Level (CGL) - 14582 Posts - Last Date: 04-07-2025
  • Current Affairs
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Hindi
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

बंगाल में द्वैध शासन (Dual Administration in Bengal)

बंगाल में द्वैध शासन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

बंगाल में द्वैध शासन (Dual Administration in Bengal) एक ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था थी जिसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1765 ईस्वी में इलाहाबाद की संधि के बाद बंगाल में लागू किया था। यह प्रणाली रॉबर्ट क्लाइव द्वारा शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य कंपनी के लिए अधिकतम लाभ सुनिश्चित करना था, जबकि प्रशासनिक जिम्मेदारियों से बचना था।

1. द्वैध शासन की पृष्ठभूमि (Background of Dual Administration)

द्वैध शासन की शुरुआत प्लासी और बक्सर के युद्धों में ब्रिटिश की विजय के बाद हुई।

  • प्लासी का युद्ध (1757): इस युद्ध ने ब्रिटिश को बंगाल में राजनीतिक प्रभाव दिया और मीर जाफर को कठपुतली नवाब बनाया। कंपनी को व्यापारिक रियायतें और धन प्राप्त हुआ।
  • बक्सर का युद्ध (1764): यह युद्ध ब्रिटिश के लिए निर्णायक सैन्य विजय थी, जिसने भारतीय शासकों के संयुक्त मोर्चे को पराजित किया। इस विजय ने ब्रिटिश को बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर वास्तविक नियंत्रण प्रदान किया।
  • इलाहाबाद की संधि (1765):
    • बक्सर के युद्ध के बाद, रॉबर्ट क्लाइव ने मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय और अवध के नवाब शुजा-उद-दौला के साथ दो अलग-अलग संधियाँ कीं।
    • मुगल सम्राट के साथ संधि: कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की ‘दीवानी’ (राजस्व एकत्र करने का अधिकार) प्राप्त हुई। इसके बदले में मुगल सम्राट को 26 लाख रुपये की वार्षिक पेंशन दी गई।
    • बंगाल के नवाब के साथ व्यवस्था: नवाब को ‘निजामत’ (प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार) सौंपे गए, लेकिन उसे कंपनी द्वारा निर्धारित एक निश्चित राशि (53 लाख रुपये प्रति वर्ष) प्राप्त होती थी।

2. द्वैध शासन की प्रकृति (Nature of Dual Administration)

यह प्रणाली शक्ति और जिम्मेदारी के अलगाव पर आधारित थी।

  • दीवानी अधिकार (Revenue Collection):
    • यह अधिकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पास था।
    • कंपनी अब बंगाल, बिहार और उड़ीसा से सीधे राजस्व एकत्र कर सकती थी।
    • कंपनी ने राजस्व एकत्र करने के लिए दो भारतीय उप-दीवान (बंगाल के लिए मुहम्मद रजा खान और बिहार के लिए शिताब राय) नियुक्त किए।
  • निजामत अधिकार (Administrative and Judicial Functions):
    • यह अधिकार औपचारिक रूप से बंगाल के नवाब के पास था।
    • नवाब कानून और व्यवस्था, न्याय प्रशासन और सैन्य रक्षा के लिए जिम्मेदार था।
    • हालांकि, नवाब के पास इन कार्यों को करने के लिए न तो पर्याप्त धन था और न ही वास्तविक शक्ति, क्योंकि सेना और वित्त कंपनी के नियंत्रण में थे।
  • शक्ति बिना जिम्मेदारी, जिम्मेदारी बिना शक्ति:
    • कंपनी के पास राजस्व एकत्र करने की शक्ति थी, लेकिन उसे बंगाल के प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी पड़ी।
    • नवाब के पास प्रशासन की जिम्मेदारी थी, लेकिन उसके पास उसे पूरा करने के लिए कोई शक्ति या संसाधन नहीं थे।

3. द्वैध शासन के परिणाम (Consequences of Dual Administration)

यह प्रणाली बंगाल के लिए विनाशकारी साबित हुई।

  • व्यापक आर्थिक शोषण:
    • कंपनी ने बंगाल से अत्यधिक राजस्व एकत्र किया, जिससे किसानों और आम जनता पर भारी बोझ पड़ा।
    • कंपनी के अधिकारियों ने निजी व्यापार के लिए दस्तकों का दुरुपयोग जारी रखा, जिससे भारतीय व्यापारियों को नुकसान हुआ।
    • बंगाल से धन का बहिर्गमन (Drain of Wealth) हुआ, जिससे प्रांत की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई।
  • प्रशासनिक अराजकता और कानून व्यवस्था का पतन:
    • नवाब के पास वास्तविक शक्ति न होने के कारण, कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई।
    • न्याय प्रशासन ठप पड़ गया, जिससे अपराधों में वृद्धि हुई।
  • कंपनी के अधिकारियों का भ्रष्टाचार:
    • कंपनी के अधिकारी निजी लाभ के लिए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त थे।
    • उन्होंने भारतीय व्यापारियों और किसानों का शोषण किया, जिससे कंपनी को तो लाभ हुआ, लेकिन बंगाल की जनता को भारी नुकसान हुआ।
  • बंगाल का अकाल (1770):
    • द्वैध शासन की नीतियों ने 1770 के भीषण बंगाल अकाल को और गंभीर बना दिया।
    • कंपनी ने राजस्व संग्रह में कोई ढील नहीं दी, जिससे लाखों लोगों की भूख से मृत्यु हो गई।
  • कृषि का विनाश: अत्यधिक भू-राजस्व और कंपनी के शोषण के कारण कृषि उत्पादन में गिरावट आई।
  • औद्योगिक और व्यापारिक गिरावट: कंपनी की नीतियों ने बंगाल के पारंपरिक उद्योगों और व्यापार को भी नष्ट कर दिया।

4. द्वैध शासन का अंत (End of Dual Administration)

इस प्रणाली की विनाशकारी प्रकृति के कारण इसे अंततः समाप्त करना पड़ा।

  • समाप्ति का वर्ष: 1772 ईस्वी।
  • समाप्त करने वाला: वॉरेन हेस्टिंग्स, जो उस समय बंगाल का गवर्नर जनरल था।
  • कारण:
    • बंगाल में उत्पन्न हुई व्यापक अराजकता और आर्थिक दुर्दशा।
    • कंपनी के अधिकारियों के बढ़ते भ्रष्टाचार और कंपनी को होने वाले वित्तीय नुकसान।
    • ब्रिटिश संसद में इस प्रणाली की कड़ी आलोचना।
  • परिणाम: द्वैध शासन की समाप्ति के बाद, कंपनी ने बंगाल का सीधा प्रशासन अपने हाथों में ले लिया, जिससे ब्रिटिश शासन की वास्तविक नींव और मजबूत हुई।

5. निष्कर्ष (Conclusion)

बंगाल में द्वैध शासन भारतीय इतिहास में एक अंधेरा अध्याय था, जिसने बंगाल की जनता को अपार कष्ट दिए और प्रांत की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया। यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सत्ता लोलुपता और शोषणकारी नीतियों का एक स्पष्ट उदाहरण था, जहाँ कंपनी ने बिना किसी जिम्मेदारी के शक्ति का उपभोग किया। इस प्रणाली की समाप्ति ने ब्रिटिश प्रशासन को अधिक केंद्रीकृत किया और भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का मार्ग प्रशस्त किया।

SendShare
Previous Post

बक्सर का युद्ध (Battle of Buxar)

Next Post

सहायक संधि और व्यपगत सिद्धांत (Subsidiary Alliance and Doctrine of Lapse)

Related Posts

History

मुगल साम्राज्य का पतन (Decline of Mughal Empire)

May 26, 2025

मुगल साम्राज्य का पतन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) औरंगजेब की मृत्यु (1707 ईस्वी) के बाद मुगल साम्राज्य का तेजी से पतन...

History

भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization)

May 26, 2025

भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization) स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक...

History

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (Hyderabad, Junagarh, Kashmir Issues)

May 26, 2025

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू-कश्मीर...

Next Post

सहायक संधि और व्यपगत सिद्धांत (Subsidiary Alliance and Doctrine of Lapse)

स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement)

रैयतवाड़ी व्यवस्था (Ryotwari System)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhnd

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025
Polity

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025
Quiz

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025
uncategorized

Protected: test

May 25, 2025
Placeholder Square Image

Visit Google.com for more information.

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025

Protected: test

May 25, 2025

हिंदी लोकोक्तियाँ और उनके प्रयोग

May 24, 2025

मुहावरे और उनके अर्थ

May 24, 2025
  • Contact us
  • Disclaimer
  • Register
  • Login
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Home
  • Hindi
  • History
  • Geography
  • General Science
  • Uttarakhand
  • Economics
  • Environment
  • Static Gk
  • Quiz
  • Polity
  • Computer
  • Login
  • Contact us
  • Privacy Policy

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.