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भारत का स्वर्ण युग (Golden period of India)

गुप्त काल: भारत का स्वर्ण युग (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

गुप्त काल: भारत का स्वर्ण युग (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

गुप्त काल (लगभग 319 ईस्वी – 550 ईस्वी) भारतीय इतिहास में एक ऐसा कालखंड है जिसे ‘भारत का स्वर्ण युग’ (Golden Age of India) कहा जाता है। यह उपाधि इस काल में हुए अभूतपूर्व विकास और समृद्धि को दर्शाती है, विशेषकर कला, विज्ञान, साहित्य, धर्म और प्रशासन के क्षेत्रों में।

1. कला और स्थापत्य में विकास (Developments in Art and Architecture)

गुप्त काल में कला और स्थापत्य ने मौलिक भारतीय शैली का विकास किया, जो विदेशी प्रभावों से मुक्त थी।

  • मंदिर स्थापत्य:
    • ईंट और पत्थर जैसी स्थायी सामग्रियों से मंदिरों का निर्माण शुरू हुआ।
    • मंदिरों को ऊँचे चबूतरों पर बनाया जाता था, जिनमें चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ होती थीं।
    • आरंभिक मंदिरों में सपाट छतें होती थीं, बाद में शिखर का विकास हुआ।
    • उदाहरण: देवगढ़ का दशावतार मंदिर (पहला शिखर युक्त मंदिर), भीतरगाँव का ईंटों का मंदिर, तिगवा का विष्णु मंदिर, एरण का विष्णु मंदिर।
  • मूर्ति कला:
    • मथुरा और सारनाथ कला शैलियों का विकास हुआ।
    • बुद्ध की शांत और आध्यात्मिक मूर्तियाँ बनाई गईं, जिनमें वस्त्रों में पारदर्शिता और शरीर की सुंदरता पर जोर था।
    • हिंदू देवी-देवताओं (विष्णु, शिव, दुर्गा) की मूर्तियों का भी व्यापक निर्माण हुआ।
    • सारनाथ बुद्ध प्रतिमा गुप्तकालीन मूर्ति कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • चित्रकला:
    • अजंता की गुफाएँ (गुफा संख्या 16, 17, 19) और बाघ की गुफाएँ इस काल की चित्रकला के बेहतरीन उदाहरण हैं।
    • चित्रों में धार्मिक (विशेषकर बौद्ध) और दरबारी जीवन का चित्रण मिलता है।
  • धातु कला:
    • मेहरौली का लौह स्तंभ (चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा निर्मित) इसकी धातु विज्ञान की उत्कृष्ट मिसाल है, जो आज भी जंग रहित है।
    • सुल्तानगंज बुद्ध प्रतिमा (तांबे की) धातु कला का एक और अद्भुत उदाहरण है।

2. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विकास (Developments in Science and Technology)

गुप्त काल विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति का साक्षी रहा।

  • गणित और खगोल विज्ञान:
    • आर्यभट्ट: ‘आर्यभट्टीयम्’ और ‘सूर्य सिद्धांत’ के रचयिता।
      • शून्य की अवधारणा और दशमलव प्रणाली का आविष्कार।
      • पाई ($\pi$) का मान ($3.1416$) दिया।
      • पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने और सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने का सिद्धांत।
      • सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के वैज्ञानिक कारण बताए।
    • वराहमिहिर: प्रसिद्ध खगोलशास्त्री, गणितज्ञ और ज्योतिषी।
      • ‘बृहत्संहिता’ (खगोल विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, प्राकृतिक इतिहास), ‘पंचसिद्धान्तिका’ (खगोल विज्ञान के पांच सिद्धांतों का संग्रह) और ‘वृहज्जातक’ (ज्योतिष) जैसी कृतियाँ।
    • ब्रह्मगुप्त: ‘ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त’ के रचयिता, जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की प्रारंभिक अवधारणा दी।
  • चिकित्सा विज्ञान:
    • चरक संहिता और सुश्रुत संहिता का इस काल में पुनरुत्थान और विकास हुआ।
    • शल्य चिकित्सा में प्रगति।
    • धातुओं का चिकित्सा में प्रयोग।
  • धातुकर्म:
    • मेहरौली का लौह स्तंभ इसकी उत्कृष्ट मिसाल है, जो उस समय के उच्च गुणवत्ता वाले लौह उत्पादन को दर्शाता है।

💡 महत्वपूर्ण: गुप्त काल में भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान दिया, विशेषकर दशमलव प्रणाली और शून्य की अवधारणा, जो बाद में अरबों के माध्यम से यूरोप पहुँची।

3. साहित्य में विकास (Developments in Literature)

गुप्त काल को संस्कृत साहित्य के पुनरुत्थान और चरमोत्कर्ष के लिए जाना जाता है।

  • कालिदास: गुप्त काल के सबसे महान कवि और नाटककार। इन्हें ‘भारत का शेक्सपियर’ कहा जाता है।
    • नाटक: ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ (विश्व प्रसिद्ध), ‘विक्रमोर्वशीयम्’, ‘मालविकाग्निमित्रम्’।
    • महाकाव्य: ‘रघुवंशम्’, ‘कुमारसंभवम्’।
    • खंडकाव्य: ‘मेघदूतम्’, ‘ऋतुसंहार’।
  • अन्य प्रमुख साहित्यकार:
    • विशाखदत्त: ‘मुद्राराक्षस’ (चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य पर आधारित) और ‘देवीचंद्रगुप्तम्’ के रचयिता।
    • शूद्रक: ‘मृच्छकटिकम्’ (मिट्टी की गाड़ी) के रचयिता, जो एक सामाजिक नाटक है।
    • भास: ‘स्वप्नवासवदत्तम्’ जैसे नाटकों के लिए प्रसिद्ध।
    • विष्णु शर्मा: ‘पंचतंत्र’ की कहानियों के संकलनकर्ता।
    • अमर सिंह: संस्कृत के प्रसिद्ध कोश ‘अमरकोश’ के रचयिता।
  • पुराणों और स्मृतियों का संकलन:
    • कई पुराणों (जैसे विष्णु पुराण, वायु पुराण) और स्मृतियों (जैसे नारद स्मृति, बृहस्पति स्मृति) को अंतिम रूप दिया गया।

4. धर्म और दर्शन में विकास (Developments in Religion and Philosophy)

गुप्त काल में ब्राह्मणवादी धर्म (हिंदू धर्म) का पुनरुत्थान हुआ, लेकिन साथ ही धार्मिक सहिष्णुता भी बनी रही।

  • हिंदू धर्म का पुनरुत्थान:
    • मूर्ति पूजा का विकास और मंदिरों का निर्माण।
    • विष्णु, शिव और दुर्गा जैसे प्रमुख देवताओं की पूजा लोकप्रिय हुई।
    • अवतारवाद की अवधारणा को बल मिला (विष्णु के दस अवतार)।
    • भागवत धर्म (वैष्णव धर्म) गुप्त शासकों का राजकीय धर्म था।
  • बौद्ध धर्म और जैन धर्म:
    • यद्यपि राजकीय संरक्षण कम था, लेकिन इन धर्मों का अस्तित्व बना रहा।
    • अजंता जैसी गुफाओं में बौद्ध कला का विकास जारी रहा।
  • दर्शन:
    • न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदांत जैसे षड्दर्शनों का विकास और सुदृढ़ीकरण हुआ।

5. अर्थव्यवस्था और व्यापार (Economy and Trade)

गुप्त काल आर्थिक रूप से समृद्ध था, हालांकि उत्तर-गुप्त काल में कुछ गिरावट देखी गई।

  • कृषि: मुख्य आधार। सिंचाई की बेहतर व्यवस्था।
  • व्यापार और वाणिज्य:
    • आंतरिक और बाह्य व्यापार दोनों समृद्ध थे।
    • सोने के सिक्कों (दीनार) का प्रचलन उच्च आर्थिक समृद्धि को दर्शाता है।
    • दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार में वृद्धि हुई।
    • प्रमुख बंदरगाह: भड़ौच, ताम्रलिप्ति।
  • शिल्प और उद्योग: कपड़ा, धातु, हाथीदांत, आभूषण उद्योग उन्नत थे।

6. प्रशासनिक स्थिरता (Administrative Stability)

प्रशासनिक दक्षता और स्थिरता ने इस ‘स्वर्ण युग’ की नींव रखी।

  • हमने पिछले खंड में देखा कि गुप्त प्रशासन विकेन्द्रीकृत होते हुए भी प्रभावी और सुव्यवस्थित था।
  • राजाओं ने न्याय और सुशासन पर जोर दिया, जिससे शांति और व्यवस्था बनी रही।
  • यह स्थिरता ही कला, विज्ञान और साहित्य के विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती थी।

7. निष्कर्ष (Conclusion)

गुप्त काल को ‘स्वर्ण युग’ कहना पूरी तरह से उचित है, क्योंकि इस अवधि में भारतीय सभ्यता ने ज्ञान, कला, विज्ञान और संस्कृति के लगभग हर क्षेत्र में अभूतपूर्व ऊंचाइयों को छुआ। यह वह समय था जब भारत ने वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो आज भी प्रासंगिक है।

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