भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महत्वपूर्ण अधिवेशन
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का गठन 1885 में ए.ओ. ह्यूम द्वारा किया गया था। अपने शुरुआती वर्षों से लेकर स्वतंत्रता तक, कांग्रेस ने कई महत्वपूर्ण अधिवेशन आयोजित किए, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की दिशा निर्धारित की। इन अधिवेशनों में लिए गए प्रमुख निर्णयों और उनके ऐतिहासिक महत्व को नीचे विस्तार से समझाया गया है।
प्रारंभिक चरण (1885-1905)
- 1885, बॉम्बे (पहला अधिवेशन):
- अध्यक्ष: व्योमेश चंद्र बनर्जी
- महत्व: 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
- 1886, कलकत्ता:
- अध्यक्ष: दादाभाई नौरोजी
- महत्व: कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का विलय हुआ।
- 1887, मद्रास:
- अध्यक्ष: बदरुद्दीन तैयबजी (पहले मुस्लिम अध्यक्ष)
- महत्व: कांग्रेस ने ‘जनता को आह्वान’ का नारा दिया और विभिन्न समुदायों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया।
- 1888, इलाहाबाद:
- अध्यक्ष: जॉर्ज यूले (पहले अंग्रेज अध्यक्ष)
- महत्व: जॉर्ज यूले पहले गैर-भारतीय अध्यक्ष थे।
- 1889, बॉम्बे:
- अध्यक्ष: विलियम वेडरबर्न
- महत्व: इसमें 1000 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए।
- 1890, कलकत्ता:
- अध्यक्ष: फ़िरोज़शाह मेहता
- महत्व: इस अधिवेशन में कांग्रेस का विस्तार हुआ और महिला प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
- 1896, कलकत्ता:
- अध्यक्ष: रहमतुल्ला एम. सयानी
- महत्व: पहली बार राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ गाया गया।
- 1905, बनारस:
- अध्यक्ष: गोपाल कृष्ण गोखले
- महत्व: बंगाल विभाजन के खिलाफ औपचारिक रूप से स्वदेशी आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया।
गरमपंथी चरण (1906-1919)
- 1906, कलकत्ता:
- अध्यक्ष: दादाभाई नौरोजी
- महत्व: पहली बार ‘स्वराज’ शब्द का उपयोग किया गया। स्वदेशी, बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा के चार संकल्प पारित किए गए।
- 1907, सूरत:
- अध्यक्ष: रास बिहारी घोष
- महत्व: कांग्रेस नरम दल और गरम दल में विभाजित हो गई।
- 1911, कलकत्ता:
- अध्यक्ष: बिशन नारायण धर
- महत्व: पहली बार राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ गाया गया।
- 1916, लखनऊ:
- अध्यक्ष: अंबिका चरण मजूमदार
- महत्व: गरम दल और नरम दल का पुनर्मिलन हुआ। कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच प्रसिद्ध लखनऊ समझौता (1916) हुआ।
- 1917, कलकत्ता:
- अध्यक्ष: एनी बेसेंट (पहली महिला अध्यक्ष)
- महत्व: कांग्रेस के इतिहास में पहली बार एक महिला ने अध्यक्ष पद संभाला।
- 1919, अमृतसर:
- अध्यक्ष: मोतीलाल नेहरू
- महत्व: जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद की घटनाओं पर चर्चा हुई और कांग्रेस ने संवैधानिक सुधारों की मांग की।
गांधीवादी चरण (1920-1947)
- 1920, नागपुर:
- अध्यक्ष: सी. विजयराघवाचार्य
- महत्व: कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम को अपनाया और गांधीजी के नेतृत्व में एक जन आंदोलन बनने की दिशा में कदम बढ़ाया।
- 1924, बेलगाम:
- अध्यक्ष: महात्मा गांधी (केवल एक बार)
- महत्व: गांधीजी ने पहली और एकमात्र बार कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की।
- 1925, कानपुर:
- अध्यक्ष: सरोजिनी नायडू (पहली भारतीय महिला अध्यक्ष)
- महत्व: इस अधिवेशन में सरोजिनी नायडू ने अध्यक्ष पद संभाला।
- 1929, लाहौर:
- अध्यक्ष: जवाहरलाल नेहरू
- महत्व: पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव पारित किया गया। 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया गया।
- 1931, कराची:
- अध्यक्ष: सरदार वल्लभभाई पटेल
- महत्व: मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम पर प्रस्ताव पारित किया गया। गांधी-इरविन समझौते का समर्थन किया गया।
- 1938, हरिपुरा:
- अध्यक्ष: सुभाष चंद्र बोस
- महत्व: राष्ट्रीय योजना समिति की स्थापना की गई।
- 1939, त्रिपुरी:
- अध्यक्ष: सुभाष चंद्र बोस (बाद में राजेंद्र प्रसाद)
- महत्व: गांधीजी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया को हराकर सुभाष चंद्र बोस अध्यक्ष चुने गए, लेकिन बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
- 1942, बॉम्बे:
- अध्यक्ष: मौलाना अबुल कलाम आजाद
- महत्व: भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया।
ये अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में मील के पत्थर साबित हुए और इन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।