मौर्य साम्राज्य का परिचय (Introduction to Mauryan Empire)
भारतीय इतिहास में मौर्य साम्राज्य का उदय एक युगांतकारी घटना थी। इसने पहली बार भारतीय उपमहाद्वीप के एक बड़े हिस्से को एक एकल राजनीतिक इकाई के तहत एकजुट किया, जिससे एक केंद्रीकृत प्रशासन और एक समृद्ध सांस्कृतिक युग की नींव रखी गई।
1. परिचय (Introduction)
- स्थापना: मौर्य साम्राज्य की स्थापना लगभग 322 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी।
- पृष्ठभूमि: यह साम्राज्य नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को पराजित करके और सिकंदर के आक्रमण के बाद उत्पन्न हुई राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाकर स्थापित किया गया था। चंद्रगुप्त मौर्य को उनके गुरु और सलाहकार कौटिल्य (चाणक्य) ने इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- अवधि: मौर्य साम्राज्य ने लगभग 322 ईसा पूर्व से 185 ईसा पूर्व तक शासन किया, जो लगभग 137 वर्षों तक चला।
- भौगोलिक विस्तार: यह भारतीय इतिहास का पहला ऐसा साम्राज्य था जिसने उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कर्नाटक तक, और पश्चिम में अफगानिस्तान व बलूचिस्तान से लेकर पूर्व में बंगाल तक एक विशाल क्षेत्र को कवर किया।
- राजधानी: इस साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) थी।
2. मौर्य साम्राज्य का महत्व (Significance of the Mauryan Empire)
मौर्य साम्राज्य का भारतीय इतिहास पर गहरा और स्थायी प्रभाव पड़ा:
2.1. राजनीतिक एकीकरण (Political Unification)
- यह भारत का पहला विशाल साम्राज्य था जिसने विभिन्न महाजनपदों और छोटे राज्यों को एक केंद्रीकृत शासन के तहत लाया।
- इसने एक मजबूत और कुशल प्रशासनिक प्रणाली की नींव रखी, जो बाद के साम्राज्यों के लिए एक मॉडल बनी।
2.2. आर्थिक समृद्धि (Economic Prosperity)
- एक एकीकृत साम्राज्य ने व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा दिया। सुरक्षित व्यापार मार्ग और एक समान मुद्रा प्रणाली ने आर्थिक विकास को गति दी।
- कृषि का व्यवस्थित विकास हुआ, जिससे कृषि अधिशेष बढ़ा।
2.3. सामाजिक और सांस्कृतिक विकास (Social and Cultural Development)
- मौर्य काल में कला और वास्तुकला का अभूतपूर्व विकास हुआ, विशेषकर अशोक के स्तंभ, स्तूप और गुफा वास्तुकला।
- बौद्ध धर्म का प्रसार: सम्राट अशोक के संरक्षण में बौद्ध धर्म भारत और विदेशों में फैला, जिससे यह एक विश्व धर्म बन गया।
- सामाजिक व्यवस्था में स्थिरता आई।
2.4. प्रशासन और कानून (Administration and Law)
- कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ ने एक विस्तृत प्रशासनिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रणाली का वर्णन किया, जो मौर्य प्रशासन की दक्षता को दर्शाता है।
- एक सुसंगठित न्याय प्रणाली और कानून का शासन स्थापित किया गया।
2.5. विदेशी संबंध (Foreign Relations)
- मौर्य शासकों ने पश्चिमी दुनिया (यूनानी शासकों) के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। मेगस्थनीज का भारत आना और उसकी ‘इंडिका’ मौर्यकालीन समाज और प्रशासन की जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत है।
3. प्रमुख शासक (Major Rulers)
- चंद्रगुप्त मौर्य (322-298 ईसा पूर्व): साम्राज्य के संस्थापक। उन्होंने सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर को हराया।
- बिंदुसार (298-273 ईसा पूर्व): चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र। उन्होंने साम्राज्य का विस्तार जारी रखा।
- अशोक (273/268-232 ईसा पूर्व): मौर्य साम्राज्य के सबसे महान शासक। कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया और ‘धम्म’ की नीति का प्रचार किया।
4. निष्कर्ष (Conclusion)
मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास में एक अभूतपूर्व काल का प्रतिनिधित्व करता है। इसने भारत को राजनीतिक एकता, आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक विकास के एक नए स्तर पर पहुँचाया। इसका प्रभाव न केवल तत्कालीन भारत पर पड़ा, बल्कि इसने भविष्य के साम्राज्यों और भारतीय सभ्यता के विकास के लिए एक मजबूत नींव भी रखी।