मुगल साम्राज्य: जहांगीर (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)
नूरुद्दीन मुहम्मद सलीम, जिसे आमतौर पर जहांगीर के नाम से जाना जाता है, मुगल साम्राज्य का चौथा शासक था। उसका शासनकाल (1605-1627 ईस्वी) कला, विशेषकर चित्रकला के विकास और मुगल साम्राज्य के विस्तार के लिए जाना जाता है, हालांकि उसे अपने पुत्रों के विद्रोहों का भी सामना करना पड़ा।
1. प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक (Early Life and Accession)
- जन्म: 30 अगस्त 1569 ईस्वी को फतेहपुर सीकरी में, सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से।
- पिता: अकबर।
- राज्याभिषेक: 24 अक्टूबर 1605 ईस्वी को आगरा में, ‘नूरुद्दीन मुहम्मद जहांगीर बादशाही गाजी’ की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा।
- खुसरो का विद्रोह (1606 ईस्वी):
- जहांगीर के सबसे बड़े पुत्र खुसरो ने अपने पिता के खिलाफ विद्रोह कर दिया।
- खुसरो को सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जुन देव का समर्थन प्राप्त था, जिसके कारण जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव को फांसी दिलवा दी।
- खुसरो को पराजित कर कैद कर लिया गया।
2. नूरजहाँ का प्रभाव (Influence of Nur Jahan)
जहांगीर के शासनकाल में उसकी पत्नी नूरजहाँ का अत्यधिक प्रभाव रहा।
- नूरजहाँ का प्रारंभिक जीवन:
- बचपन का नाम मेहरून्निसा।
- वह फारस के रहने वाले गियास बेग की पुत्री थी।
- उसका पहला विवाह शेर अफगान से हुआ था।
- विवाह और उपाधियाँ:
- 1611 ईस्वी में जहांगीर ने मेहरून्निसा से विवाह किया और उसे ‘नूरमहल’ तथा ‘नूरजहाँ’ की उपाधियाँ प्रदान कीं।
- नूरजहाँ बुद्धिमान, शिक्षित और राजनीति में पारंगत थी।
- नूरजहाँ गुट:
- नूरजहाँ ने अपने पिता गियास बेग (इत्माद-उद-दौला), भाई आसफ खान और राजकुमार खुर्रम (शाहजहाँ) के साथ मिलकर एक शक्तिशाली गुट बनाया, जिसने शाही प्रशासन पर गहरा प्रभाव डाला।
- जहांगीर के अंतिम वर्षों में नूरजहाँ का प्रभाव इतना बढ़ गया था कि वह पर्दे के पीछे से शासन करती थी।
3. सैन्य अभियान और विद्रोह (Military Campaigns and Rebellions)
जहांगीर ने अपने साम्राज्य का विस्तार जारी रखा, लेकिन उसे आंतरिक विद्रोहों का भी सामना करना पड़ा।
- मेवाड़ अभियान:
- 1615 ईस्वी में राजकुमार खुर्रम (शाहजहाँ) के नेतृत्व में मेवाड़ के राणा अमर सिंह (राणा प्रताप के पुत्र) के साथ एक संधि हुई, जिससे लंबे समय से चला आ रहा संघर्ष समाप्त हुआ।
- दक्कन अभियान:
- अहमदनगर के वजीर मलिक अंबर के खिलाफ संघर्ष जारी रहा।
- राजकुमार खुर्रम ने दक्कन में कुछ सफलताएँ प्राप्त कीं, जिसके कारण जहांगीर ने उसे ‘शाहजहाँ’ की उपाधि प्रदान की।
- खुर्रम का विद्रोह (1622-1625 ईस्वी):
- राजकुमार खुर्रम ने जहांगीर के खिलाफ विद्रोह कर दिया, क्योंकि उसे लगा कि नूरजहाँ उसे उत्तराधिकार से वंचित कर रही है।
- यह विद्रोह मुगल साम्राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन इसे महाबत खान जैसे सेनापतियों की मदद से दबा दिया गया।
- महाबत खान का विद्रोह (1626 ईस्वी):
- महाबत खान ने जहांगीर और नूरजहाँ को बंदी बना लिया, लेकिन नूरजहाँ ने अपनी बुद्धिमत्ता से जहांगीर को छुड़ा लिया।
4. न्याय की जंजीर (Chain of Justice)
जहांगीर को उसकी न्यायप्रियता के लिए याद किया जाता है।
- उसने आगरा के किले के शाहबुर्ज और यमुना-तट पर स्थित पत्थर के खंभे में एक सोने की जंजीर लगवाई थी, जिसमें लगभग 60 घंटियाँ थीं।
- कोई भी व्यक्ति जिसे न्याय की आवश्यकता होती थी, वह इस जंजीर को खींचकर सीधे सुल्तान से संपर्क कर सकता था।
- यह उसकी न्याय प्रदान करने की इच्छा का प्रतीक था।
5. कला और स्थापत्य (Art and Architecture)
जहांगीर का शासनकाल मुगल चित्रकला का स्वर्ण युग माना जाता है।
- चित्रकला:
- जहांगीर स्वयं एक उत्तम चित्रकार और कला का पारखी था।
- उसके दरबार में मंसूर (पशु-पक्षी चित्रकार), बिशनदास (व्यक्ति चित्रकार) और मनोहर जैसे प्रसिद्ध चित्रकार थे।
- चित्रों में प्राकृतिक दृश्यों, पशु-पक्षियों और दरबार के दृश्यों को प्राथमिकता दी गई।
- अल्बम चित्रकला का विकास हुआ।
- स्थापत्य कला:
- अकबर के मकबरे का निर्माण सिकंदरा में पूरा करवाया।
- इत्माद-उद-दौला का मकबरा (आगरा): नूरजहाँ द्वारा अपने पिता गियास बेग के लिए निर्मित। यह पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना पहला मुगल मकबरा था और इसमें ‘पित्रा ड्यूरा’ (Pietra Dura) तकनीक का पहली बार बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया।
- लाहौर में जहांगीर का मकबरा (नूरजहाँ द्वारा निर्मित)।
6. साहित्य और धर्म (Literature and Religion)
- साहित्य:
- जहांगीर स्वयं एक विद्वान था और उसने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहांगीरी’ (फारसी में) लिखी, जिसे बाद में मौतबिंद खान ने पूरा किया।
- फारसी साहित्य का विकास जारी रहा।
- धर्म:
- जहांगीर अकबर की धार्मिक सहिष्णुता की नीति का पालन करता रहा, लेकिन कुछ मामलों में वह कट्टर भी था (जैसे गुरु अर्जुन देव को फांसी)।
- उसने विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के विद्वानों से चर्चा की।
7. विदेशी यात्री (Foreign Travelers)
जहांगीर के शासनकाल में कई यूरोपीय यात्री भारत आए।
- कैप्टन विलियम हॉकिन्स (1608-1611 ईस्वी):
- इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के दूत के रूप में भारत आया।
- वह सूरत में एक अंग्रेजी कारखाना स्थापित करने की अनुमति प्राप्त करने में विफल रहा।
- सर थॉमस रो (1615-1619 ईस्वी):
- इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में जहांगीर के दरबार में आया।
- उसने मुगलों के साथ व्यापारिक समझौते करने में सफलता प्राप्त की।
- उसका ‘जर्नल ऑफ द मिशन टू द मुगल एम्पायर’ भारत के इतिहास में एक मूल्यवान स्रोत है।
8. मृत्यु और विरासत (Death and Legacy)
- मृत्यु: 28 अक्टूबर 1627 ईस्वी को लाहौर के पास। उसे लाहौर में दफनाया गया।
- विरासत:
- जहांगीर का शासनकाल मुगल साम्राज्य के स्थायित्व और समृद्धि का काल था।
- उसने कला, विशेषकर चित्रकला को अभूतपूर्व संरक्षण दिया, जिससे मुगल चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँची।
- उसकी न्यायप्रियता और प्रशासनिक व्यवस्था ने साम्राज्य को मजबूत बनाए रखा।
- हालांकि, नूरजहाँ के बढ़ते प्रभाव और राजकुमारों के विद्रोहों ने बाद में मुगल साम्राज्य के लिए चुनौतियाँ पैदा कीं।
9. निष्कर्ष (Conclusion)
जहांगीर का शासनकाल मुगल साम्राज्य के लिए एक संक्रमणकालीन लेकिन महत्वपूर्ण दौर था। उसने अकबर की नीतियों को जारी रखा और साम्राज्य को मजबूत बनाए रखा। उसकी कला और साहित्य के प्रति गहरी रुचि, विशेषकर चित्रकला के क्षेत्र में, ने मुगल संस्कृति को एक नई ऊँचाई प्रदान की। हालांकि, उसके अंतिम वर्षों में आंतरिक संघर्षों ने सिर उठाया, लेकिन उसने अपने उत्तराधिकारी शाहजहाँ के लिए एक समृद्ध और विस्तृत साम्राज्य छोड़ा।