Gyan Pragya
No Result
View All Result
BPSC: 71st Combined Pre Exam - Last Date: 30-06-2025 | SSC: Combined Graduate Level (CGL) - 14582 Posts - Last Date: 04-07-2025
  • Current Affairs
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Hindi
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement)

स्थायी बंदोबस्त (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में लागू की गई एक महत्वपूर्ण भू-राजस्व प्रणाली थी। इसे 1793 ईस्वी में लॉर्ड कॉर्नवॉलिस द्वारा बंगाल, बिहार और उड़ीसा के क्षेत्रों में लागू किया गया था। इस प्रणाली ने भारत की कृषि अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना पर गहरा और दीर्घकालिक प्रभाव डाला।

1. स्थायी बंदोबस्त की पृष्ठभूमि (Background of Permanent Settlement)

स्थायी बंदोबस्त को लागू करने के पीछे कई कारण और परिस्थितियाँ थीं।

  • राजस्व संग्रह की समस्या:
    • प्लासी (1757) और बक्सर (1764) के युद्धों के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी (राजस्व एकत्र करने का अधिकार) प्राप्त हुई।
    • प्रारंभ में, कंपनी ने इजारेदारी प्रथा (वार्षिक नीलामी) के माध्यम से राजस्व एकत्र करने का प्रयास किया, लेकिन यह प्रणाली अस्थिर और अक्षम साबित हुई, जिससे राजस्व संग्रह में अनिश्चितता बनी रही।
  • बंगाल का अकाल (1770):
    • इस भीषण अकाल ने बंगाल की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया और कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आई।
    • कंपनी को राजस्व संग्रह में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
  • ब्रिटिश अधिकारियों का दृष्टिकोण:
    • सर जॉन शोर और जेम्स ग्रांट जैसे ब्रिटिश अधिकारियों ने भू-राजस्व प्रणाली में सुधार के लिए विभिन्न सुझाव दिए।
    • लॉर्ड कॉर्नवॉलिस का मानना था कि एक स्थिर और निश्चित राजस्व प्रणाली कंपनी के लिए राजस्व सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देगी।
    • उसे फ्रांस के फिजियोक्रेट्स (Physiocrats) के विचारों से भी प्रेरणा मिली, जो कृषि को अर्थव्यवस्था का आधार मानते थे।

2. स्थायी बंदोबस्त की विशेषताएँ (Features of Permanent Settlement)

यह प्रणाली जमींदारों को भूमि का मालिक बनाने और राजस्व को स्थायी रूप से निर्धारित करने पर आधारित थी।

  • जमींदारों को भूमि का मालिक बनाना:
    • इस प्रणाली के तहत, जमींदारों को भूमि का वास्तविक मालिक (भू-स्वामी) घोषित किया गया।
    • इससे पहले, जमींदार केवल राजस्व एकत्र करने वाले एजेंट थे, न कि भूमि के मालिक।
  • राजस्व की स्थायी दर:
    • भू-राजस्व की दर स्थायी रूप से निर्धारित कर दी गई थी और भविष्य में इसमें कोई वृद्धि नहीं की जानी थी।
    • यह राजस्व जमींदारों को कंपनी को देना होता था।
    • निर्धारित राजस्व का लगभग 10/11 भाग कंपनी को और 1/11 भाग जमींदार अपने पास रखते थे।
  • सूर्यास्त कानून (Sunset Law):
    • यदि जमींदार निर्धारित तिथि के सूर्यास्त तक राजस्व का भुगतान करने में विफल रहता था, तो उसकी जमींदारी जब्त कर ली जाती थी और नीलाम कर दी जाती थी।
    • यह कानून जमींदारों पर समय पर राजस्व भुगतान का दबाव बनाए रखने के लिए था।
  • किसानों से सीधा संबंध नहीं:
    • कंपनी का किसानों से कोई सीधा संबंध नहीं था।
    • किसानों को जमींदारों के अधीन ‘रैयत’ (काश्तकार) माना गया और उनके अधिकार असुरक्षित थे।
  • लागू क्षेत्र: बंगाल, बिहार, उड़ीसा, बनारस और उत्तरी मद्रास के कुछ हिस्सों में लागू किया गया।

3. स्थायी बंदोबस्त के उद्देश्य (Objectives of Permanent Settlement)

ब्रिटिश ने इस प्रणाली को कई उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लागू किया था।

  • राजस्व की निश्चितता: कंपनी के लिए निश्चित और स्थिर राजस्व सुनिश्चित करना, ताकि उसे भविष्य के लिए योजना बनाने में मदद मिल सके।
  • कृषि उत्पादन को बढ़ावा: जमींदारों को भूमि का मालिक बनाकर उन्हें कृषि में निवेश करने और उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • एक वफादार वर्ग का निर्माण: जमींदारों का एक ऐसा वर्ग बनाना जो ब्रिटिश शासन के प्रति वफादार हो और संकट के समय कंपनी का समर्थन करे।
  • प्रशासनिक दक्षता: राजस्व संग्रह की जिम्मेदारी जमींदारों को सौंपकर कंपनी के प्रशासनिक बोझ को कम करना।
  • ब्रिटिश पूंजी का निवेश: ब्रिटिश पूंजी को भारत में कृषि और व्यापार में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना।

4. स्थायी बंदोबस्त के परिणाम (Consequences of Permanent Settlement)

इस प्रणाली के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के परिणाम हुए, लेकिन नकारात्मक प्रभाव अधिक थे।

  • सकारात्मक परिणाम (कंपनी के लिए):
    • राजस्व की निश्चितता: कंपनी को एक निश्चित और स्थिर आय प्राप्त हुई।
    • वफादार जमींदार वर्ग: जमींदारों का एक वफादार वर्ग उभरा जिसने ब्रिटिश शासन को स्थिरता प्रदान की।
    • प्रशासनिक सुविधा: कंपनी का प्रशासनिक बोझ कम हुआ।
  • नकारात्मक परिणाम (किसानों और अर्थव्यवस्था के लिए):
    • किसानों का शोषण: किसानों को जमींदारों की दया पर छोड़ दिया गया। जमींदारों ने किसानों से मनमाना लगान वसूला और उन्हें बेदखल करने का अधिकार प्राप्त कर लिया।
    • कृषि का पतन: जमींदारों ने अक्सर कृषि में निवेश नहीं किया, जिससे कृषि उत्पादन में गिरावट आई और किसानों की स्थिति बदतर हुई।
    • भूमिहीनता में वृद्धि: राजस्व का भुगतान न कर पाने के कारण कई किसान अपनी जमीन से बेदखल हो गए और भूमिहीन मजदूर बन गए।
    • जमींदारों का प्रारंभिक संकट: शुरुआत में, कई जमींदार सूर्यास्त कानून के कारण राजस्व का भुगतान नहीं कर पाए और उनकी जमींदारी नीलाम हो गई। बाद में, नए जमींदार उभरे।
    • ग्रामीण समाज में परिवर्तन: इसने ग्रामीण समाज में एक नया सामाजिक वर्ग (जमींदार) बनाया, जिसने कृषि संबंधों को जटिल बना दिया।
    • राजस्व में वृद्धि का अभाव: कंपनी को भविष्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि से होने वाले लाभ का हिस्सा नहीं मिला, क्योंकि राजस्व स्थायी रूप से निर्धारित था।

5. निष्कर्ष (Conclusion)

स्थायी बंदोबस्त ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में लागू की गई एक दूरगामी भू-राजस्व प्रणाली थी। यद्यपि इसने कंपनी के लिए राजस्व की निश्चितता सुनिश्चित की और एक वफादार वर्ग का निर्माण किया, लेकिन इसने किसानों का व्यापक शोषण किया, कृषि उत्पादन को प्रभावित किया और ग्रामीण समाज में असमानता को बढ़ाया। इस प्रणाली ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद की प्रकृति को उजागर किया और भारत में अन्य भू-राजस्व प्रणालियों (जैसे रैयतवाड़ी और महलवाड़ी) के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।

SendShare
Previous Post

सहायक संधि और व्यपगत सिद्धांत (Subsidiary Alliance and Doctrine of Lapse)

Next Post

रैयतवाड़ी व्यवस्था (Ryotwari System)

Related Posts

History

मुगल साम्राज्य का पतन (Decline of Mughal Empire)

May 26, 2025

मुगल साम्राज्य का पतन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) औरंगजेब की मृत्यु (1707 ईस्वी) के बाद मुगल साम्राज्य का तेजी से पतन...

History

भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization)

May 26, 2025

भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization) स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक...

History

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (Hyderabad, Junagarh, Kashmir Issues)

May 26, 2025

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू-कश्मीर...

Next Post

रैयतवाड़ी व्यवस्था (Ryotwari System)

महालवाड़ी व्यवस्था (Mahalwari System)

औद्योगीकरण का प्रभाव (Impact on Peasants and Artisans)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhnd

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025
Polity

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025
Quiz

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025
uncategorized

Protected: test

May 25, 2025
Placeholder Square Image

Visit Google.com for more information.

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025

Protected: test

May 25, 2025

हिंदी लोकोक्तियाँ और उनके प्रयोग

May 24, 2025

मुहावरे और उनके अर्थ

May 24, 2025
  • Contact us
  • Disclaimer
  • Register
  • Login
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Home
  • Hindi
  • History
  • Geography
  • General Science
  • Uttarakhand
  • Economics
  • Environment
  • Static Gk
  • Quiz
  • Polity
  • Computer
  • Login
  • Contact us
  • Privacy Policy

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.