राष्ट्रकूट वंश (Rashtrakutas)
परिचय
राष्ट्रकूट वंश मध्यकालीन भारत का एक प्रमुख दक्षिण भारतीय राजवंश था, जिसने 753 ईस्वी से 982 ईस्वी तक शासन किया। इनकी राजधानी मान्यखेड़ (Manyakheta) थी। राष्ट्रकूट वंश कला, साहित्य, और स्थापत्य में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध है।
प्रमुख शासक
- ध्रुव धारवर्ष: राष्ट्रकूट वंश के पहले महान शासक, जिन्होंने उत्तरी और दक्षिणी भारत में अपनी शक्ति स्थापित की।
- गोविंद तृतीय: उन्होंने चोल और पल्लव वंशों पर विजय प्राप्त की और राष्ट्रकूट साम्राज्य को मजबूत किया।
- अमोघवर्ष प्रथम: सांस्कृतिक और साहित्यिक प्रगति के लिए प्रसिद्ध, जिन्होंने कन्नड़ साहित्य को बढ़ावा दिया।
राजनीतिक उपलब्धियाँ
- राष्ट्रकूट साम्राज्य पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर दक्षिण में कर्नाटक और पूर्व में ओडिशा तक फैला था।
- उन्होंने त्रिकोणीय संघर्ष (कन्नौज के लिए पाल, प्रतिहार, और राष्ट्रकूटों के बीच) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कला और स्थापत्य
- राष्ट्रकूटों ने एलोरा (Ellora) के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया, जो रॉक-कट (Rock-Cut) स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण है।
- गुफा मंदिरों और मूर्तिकला में राष्ट्रकूट वंश का योगदान अद्वितीय है।
- कन्नड़ और संस्कृत साहित्य को संरक्षण मिला, और इनकी कला धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।
धार्मिक योगदान
- राष्ट्रकूट शासकों ने जैन धर्म, हिंदू धर्म, और बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया।
- कई जैन मंदिर और मूर्तियाँ उनके शासनकाल में निर्मित की गईं।
साम्राज्य का पतन
- राष्ट्रकूट वंश का पतन चोल वंश और होयसल वंश के उदय के कारण हुआ।
- सामंती व्यवस्था, आंतरिक संघर्ष, और उत्तराधिकारी विवाद भी इसके पतन के कारण बने।
राष्ट्रकूट वंश (Rashtrakutas)
यहाँ राष्ट्रकूट वंश से जुड़े 10 महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं:
- राष्ट्रकूट वंश ने 753 ईस्वी से 982 ईस्वी तक दक्षिण भारत पर शासन किया।
- इनकी राजधानी मान्यखेड़ (Manyakheta) थी।
- ध्रुव धारवर्ष ने उत्तर और दक्षिण भारत में अपनी शक्ति स्थापित की।
- गोविंद तृतीय ने चोल और पल्लव वंशों पर विजय प्राप्त की।
- अमोघवर्ष प्रथम कन्नड़ साहित्य के प्रोत्साहन के लिए प्रसिद्ध थे।
- एलोरा के कैलाशनाथ मंदिर राष्ट्रकूट स्थापत्य का अद्वितीय उदाहरण है।
- राष्ट्रकूट शासकों ने जैन धर्म, हिंदू धर्म, और बौद्ध धर्म का संरक्षण किया।
- राष्ट्रकूटों ने त्रिकोणीय संघर्ष में पाल और प्रतिहार वंश से मुकाबला किया।
- राष्ट्रकूट वंश का पतन चोल वंश और होयसल वंश के उदय के कारण हुआ।
- राष्ट्रकूट वंश ने भारतीय कला और स्थापत्य को वैश्विक पहचान दिलाई।
राष्ट्रकूट वंश भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। एलोरा के कैलाशनाथ मंदिर और उनके साहित्यिक योगदान उनकी महानता का प्रमाण हैं। राष्ट्रकूट वंश ने कला, स्थापत्य, और धार्मिक सहिष्णुता में जो योगदान दिया, वह भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करता है।