18वीं शताब्दी की शुरुआत में, मुगल साम्राज्य के पतन के साथ, कई क्षेत्रीय शक्तियों का उदय हुआ, जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। इनमें से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र दक्कन में हैदराबाद था, जहाँ निज़ामों का उदय हुआ। हैदराबाद राज्य ने लगभग 1724 ईस्वी से 1948 ईस्वी तक शासन किया और ब्रिटिश भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण रियासतों में से एक था।
1. हैदराबाद में स्वायत्तता का उदय (Rise of Autonomy in Hyderabad)
हैदराबाद में स्वायत्तता का उदय मुगल साम्राज्य की कमजोरियों और एक सक्षम प्रशासक के प्रयासों का परिणाम था।
- मुगल साम्राज्य का पतन: औरंगजेब की मृत्यु (1707 ईस्वी) के बाद कमजोर मुगल शासकों और केंद्रीय सत्ता के कमजोर पड़ने से दक्कन जैसे दूरस्थ प्रांतों को अपनी स्वतंत्रता घोषित करने का अवसर मिला।
- दक्कन की रणनीतिक स्थिति: दक्कन का क्षेत्र व्यापारिक मार्गों और कृषि समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण था।
- योग्य प्रशासक: चिन किलिच खान (निज़ाम-उल-मुल्क) जैसे योग्य प्रशासकों ने दक्कन में स्थिरता स्थापित की।
2. प्रमुख निज़ाम (Prominent Nizams)
हैदराबाद के निज़ामों ने लगभग दो शताब्दियों तक शासन किया, जिसमें उन्होंने आर्थिक और प्रशासनिक सुधार किए।
- निज़ाम-उल-मुल्क आसफ जाह प्रथम (चिन किलिच खान) (1724-1748 ईस्वी):
- हैदराबाद का संस्थापक और पहला स्वतंत्र निज़ाम।
- उसे 1722 ईस्वी में मुगल सम्राट मुहम्मद शाह द्वारा दक्कन का सूबेदार नियुक्त किया गया था।
- उसने 1724 ईस्वी में शुकरखेड़ा के युद्ध में मुगल गवर्नर मुबारिज खान को पराजित कर अपनी स्वतंत्रता स्थापित की।
- उसने मुगल सम्राट को नियमित रूप से राजस्व भेजा, लेकिन व्यवहार में वह स्वतंत्र शासक था।
- उसने प्रशासन को सुव्यवस्थित किया, राजस्व प्रणाली में सुधार किया और कानून व्यवस्था स्थापित की।
- उसने आसफ जाही वंश की नींव रखी।
- नासिर जंग (1748-1750 ईस्वी):
- निज़ाम-उल-मुल्क का पुत्र।
- कर्नाटक युद्धों में ब्रिटिश और फ्रेंच के हस्तक्षेप के कारण राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा।
- मुजफ्फर जंग (1750-1751 ईस्वी):
- नासिर जंग का भतीजा, जिसे फ्रेंच के समर्थन से निज़ाम बनाया गया।
- सलाबत जंग (1751-1762 ईस्वी):
- फ्रेंच के समर्थन से निज़ाम बना।
- उसने फ्रेंच को कई व्यापारिक रियायतें दीं।
- निज़ाम अली खान (आसफ जाह द्वितीय) (1762-1803 ईस्वी):
- उसके शासनकाल में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संबंध महत्वपूर्ण हो गए।
- उसने लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि (1798) को स्वीकार किया, जिससे हैदराबाद भारत में सहायक संधि स्वीकार करने वाला पहला प्रमुख राज्य बना।
- इस संधि के तहत उसे अपनी संप्रभुता ब्रिटिश को सौंपनी पड़ी और ब्रिटिश सेना को अपने राज्य में रखना स्वीकार करना पड़ा।
- मीर उस्मान अली खान (आसफ जाह सप्तम) (1911-1948 ईस्वी):
- हैदराबाद का अंतिम निज़ाम।
- वह अपनी अपार संपत्ति और कला व शिक्षा के संरक्षण के लिए जाना जाता था।
- भारत की स्वतंत्रता के बाद, उसने हैदराबाद को स्वतंत्र रखने का प्रयास किया, लेकिन 1948 में ‘ऑपरेशन पोलो’ के तहत भारतीय सेना द्वारा हैदराबाद का विलय भारत में कर लिया गया।
3. प्रशासन और अर्थव्यवस्था (Administration and Economy)
हैदराबाद के निज़ामों ने एक स्थिर प्रशासन स्थापित किया और प्रांत की आर्थिक समृद्धि को बनाए रखा।
- राजस्व प्रशासन:
- निज़ाम-उल-मुल्क ने राजस्व संग्रह को सुव्यवस्थित किया।
- भू-राजस्व राज्य की आय का मुख्य स्रोत था।
- न्याय व्यवस्था: निज़ामों ने एक सुव्यवस्थित न्याय प्रणाली स्थापित की।
- सैन्य: निज़ामों के पास अपनी सेना थी, लेकिन सहायक संधि के बाद वे ब्रिटिश सेना पर निर्भर हो गए।
- व्यापार और वाणिज्य:
- दक्कन एक समृद्ध कृषि क्षेत्र था।
- यहां से हीरे (गोलकुंडा खानों से), सूती वस्त्र, मसाले और अफीम का व्यापार होता था।
- सांस्कृतिक केंद्र: हैदराबाद निज़ामों के अधीन कला, संगीत, साहित्य और वास्तुकला का एक प्रमुख केंद्र बन गया।
4. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संबंध (Relations with British East India Company)
हैदराबाद के निज़ामों और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच संबंध धीरे-धीरे अधीनता की ओर अग्रसर हुए।
- कर्नाटक युद्धों में भूमिका:
- निज़ाम कर्नाटक युद्धों में ब्रिटिश और फ्रेंच के बीच संघर्ष में शामिल थे।
- प्रारंभ में, उन्होंने फ्रेंच का समर्थन किया, लेकिन बाद में ब्रिटिश प्रभाव बढ़ गया।
- सहायक संधि (1798):
- निज़ाम अली खान ने लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार किया।
- इसने हैदराबाद को ब्रिटिश नियंत्रण में ला दिया और निज़ाम की संप्रभुता समाप्त हो गई।
- हैदराबाद ब्रिटिश भारत की एक रियासत बन गया।
- आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप: ब्रिटिश ने धीरे-धीरे हैदराबाद के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।
- भारत में विलय (1948):
- भारत की स्वतंत्रता के बाद, निज़ाम ने हैदराबाद को स्वतंत्र रखने का प्रयास किया।
- हालांकि, भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन पोलो’ नामक सैन्य कार्रवाई के माध्यम से 1948 में हैदराबाद का भारत में विलय कर लिया।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
हैदराबाद के निज़ामों का उदय मुगल साम्राज्य के पतन के बाद की राजनीतिक अस्थिरता का एक महत्वपूर्ण परिणाम था। निज़ाम-उल-मुल्क आसफ जाह प्रथम ने एक स्वतंत्र राज्य की नींव रखी, जिसने दक्कन में स्थिरता और समृद्धि प्रदान की। हालांकि, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की बढ़ती शक्ति और सहायक संधि को स्वीकार करने के कारण हैदराबाद धीरे-धीरे ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया। भारत की स्वतंत्रता के बाद, हैदराबाद का भारत में विलय एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने भारतीय संघ के एकीकरण को पूरा किया।