मुगल साम्राज्य: शाहजहाँ (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)
शहाबुद्दीन मुहम्मद खुर्रम, जिसे आमतौर पर शाहजहाँ के नाम से जाना जाता है, मुगल साम्राज्य का पांचवां शासक था। उसका शासनकाल (1628-1658 ईस्वी) मुगल वास्तुकला के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है, जिसमें ताजमहल जैसी विश्व प्रसिद्ध इमारतों का निर्माण हुआ।
1. प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक (Early Life and Accession)
- जन्म: 5 जनवरी 1592 ईस्वी को लाहौर में।
- पिता: जहांगीर।
- माता: मारवाड़ के राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई (जोधा बाई)।
- प्रारंभिक नाम: खुर्रम।
- शाहजहाँ की उपाधि: जहांगीर ने उसे दक्कन में उसकी सैन्य सफलताओं के लिए ‘शाहजहाँ’ की उपाधि प्रदान की थी।
- उत्तराधिकार का संघर्ष: जहांगीर की मृत्यु के बाद, खुर्रम ने अपने भाइयों (विशेषकर शहरयार) और नूरजहाँ के गुट को पराजित कर 1628 ईस्वी में आगरा में राज्याभिषेक करवाया।
- पत्नी: अर्जुमंद बानो बेगम, जिसे बाद में ‘मुमताज महल’ के नाम से जाना गया।
2. सैन्य अभियान और विद्रोह (Military Campaigns and Rebellions)
शाहजहाँ ने साम्राज्य का विस्तार जारी रखा और कुछ विद्रोहों का दमन किया।
- बुंदेला विद्रोह (1628 ईस्वी): जुझार सिंह बुंदेला के विद्रोह का दमन किया।
- दक्कन अभियान:
- शाहजहाँ ने दक्कन में अपनी नीति जारी रखी।
- उसने अहमदनगर का विलय (1633 ईस्वी) मुगल साम्राज्य में किया।
- बीजापुर और गोलकुंडा ने मुगलों की अधीनता स्वीकार की।
- यह अभियान औरंगजेब के नेतृत्व में चलाए गए थे।
- पुर्तगालियों के खिलाफ अभियान (1632 ईस्वी): हुगली में पुर्तगालियों को पराजित किया, क्योंकि वे व्यापारिक एकाधिकार और धार्मिक उत्पीड़न कर रहे थे।
- मध्य एशियाई अभियान (1646-1647 ईस्वी):
- कंधार पर पुनः अधिकार करने और मध्य एशिया में अपने पैतृक क्षेत्रों को जीतने का प्रयास किया, लेकिन यह अभियान विफल रहा।
- कंधार मुगलों के हाथ से निकल गया।
3. कला और स्थापत्य का स्वर्ण युग (Golden Age of Art and Architecture)
शाहजहाँ का शासनकाल मुगल वास्तुकला के चरमोत्कर्ष का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें सफेद संगमरमर और ‘पित्रा ड्यूरा’ तकनीक का व्यापक उपयोग हुआ।
- ताजमहल (आगरा):
- अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में निर्मित।
- 1631-1653 ईस्वी के बीच निर्मित।
- पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना, जिसमें बहुमूल्य पत्थरों से ‘पित्रा ड्यूरा’ (पच्चीकारी) का सुंदर काम किया गया है।
- इसे विश्व के सात अजूबों में से एक माना जाता है।
- लाल किला (दिल्ली):
- शाहजहाँ द्वारा अपनी नई राजधानी शाहजहाँनाबाद (पुरानी दिल्ली) में निर्मित।
- लाल बलुआ पत्थर से निर्मित।
- इसमें दीवान-ए-आम (आम लोगों के लिए), दीवान-ए-खास (विशेष लोगों के लिए) और रंग महल जैसी संरचनाएँ शामिल हैं।
- जामा मस्जिद (दिल्ली):
- भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक, लाल किले के सामने स्थित।
- मोती मस्जिद (आगरा किला):
- पूरी तरह से सफेद संगमरमर से निर्मित।
- मयूर सिंहासन (Peacock Throne):
- शाहजहाँ द्वारा निर्मित एक भव्य सिंहासन, जिसमें बहुमूल्य रत्न जड़े हुए थे।
- इसमें प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा जड़ा हुआ था।
- बाद में नादिर शाह इसे ईरान ले गया।
- शाहजहाँनाबाद (दिल्ली):
- शाहजहाँ द्वारा 1639 ईस्वी में स्थापित नई राजधानी।
- यह मुगल साम्राज्य की भव्यता का प्रतीक था।
4. धार्मिक नीति (Religious Policy)
शाहजहाँ की धार्मिक नीति अकबर की तुलना में कम उदार थी।
- वह एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था और उसने इस्लामी सिद्धांतों पर अधिक जोर दिया।
- उसने तीर्थयात्रा कर को पुनः लागू करने का प्रयास किया, हालांकि इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका।
- उसने कुछ हिंदू मंदिरों को नष्ट करने का आदेश दिया (जैसे बनारस में)।
- हालांकि, उसने पूरी तरह से असहिष्णुता नहीं अपनाई और कुछ हिंदू अधिकारियों को उच्च पदों पर बनाए रखा।
5. साहित्य और शिक्षा (Literature and Education)
- साहित्य:
- फारसी साहित्य का विकास जारी रहा।
- दारा शिकोह (शाहजहाँ का पुत्र) एक महान विद्वान था, जिसने उपनिषदों और अन्य संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया (जैसे ‘सिर्र-ए-अकबर’)।
- उसके दरबार में कई कवि और लेखक थे।
- शिक्षा: मदरसे और मकतब शिक्षा के केंद्र थे।
6. उत्तराधिकार का संघर्ष और मृत्यु (War of Succession and Death)
शाहजहाँ के अंतिम वर्ष उसके पुत्रों के बीच हुए उत्तराधिकार के क्रूर संघर्ष से चिह्नित थे।
- पुत्र: दारा शिकोह (सबसे बड़ा और उदार), औरंगजेब (कट्टर और महत्वाकांक्षी), शुजा और मुराद बख्श।
- संघर्ष के युद्ध:
- धर्मत का युद्ध (1658 ईस्वी): औरंगजेब और मुराद की संयुक्त सेना ने दारा शिकोह को पराजित किया।
- सामूगढ़ का युद्ध (1658 ईस्वी): औरंगजेब ने दारा शिकोह को निर्णायक रूप से पराजित किया।
- देवराई का युद्ध (1659 ईस्वी): दारा शिकोह की अंतिम हार और गिरफ्तारी।
- शाहजहाँ को कैद: औरंगजेब ने 1658 ईस्वी में शाहजहाँ को आगरा के किले में कैद कर लिया।
- मृत्यु: 22 जनवरी 1666 ईस्वी को आगरा के किले में कैद में ही उसकी मृत्यु हो गई। उसे ताजमहल में मुमताज महल के बगल में दफनाया गया।
7. निष्कर्ष (Conclusion)
शाहजहाँ का शासनकाल मुगल साम्राज्य के चरमोत्कर्ष और भव्यता का प्रतीक था, विशेषकर उसकी वास्तुकला की उपलब्धियों के कारण। ताजमहल जैसी अमर कृतियों ने उसे विश्व इतिहास में एक अद्वितीय स्थान दिलाया। हालांकि, उसके अंतिम वर्षों में हुए उत्तराधिकार के संघर्ष और उसकी धार्मिक नीति में बदलाव ने भविष्य में मुगल साम्राज्य के लिए चुनौतियाँ पैदा कीं, लेकिन उसकी कलात्मक विरासत आज भी भारतीय संस्कृति का एक अविस्मरणीय हिस्सा है।