Gyan Pragya
No Result
View All Result
BPSC: 71st Combined Pre Exam - Last Date: 30-06-2025 | SSC: Combined Graduate Level (CGL) - 14582 Posts - Last Date: 04-07-2025
  • Current Affairs
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Hindi
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

पाषाण युग (Stone Age)

पाषाण युग (Stone Age) – समग्र नोट्स

पाषाण युग मानव इतिहास का वह प्रारंभिक काल है जब मनुष्य अपने जीवन-यापन के लिए मुख्यतः पत्थरों से बने औजारों का उपयोग करता था। यह मानव सभ्यता के विकास की नींव रखता है।

1. परिचय (Introduction)

पाषाण युग (Stone Age) मानव इतिहास का सबसे लंबा और प्रारंभिक चरण है, जो लगभग 2.5 मिलियन वर्ष पूर्व से शुरू होकर लगभग 1000 ईसा पूर्व तक चला। इस काल में मनुष्य अपने जीवन-यापन, शिकार, रक्षा और अन्य दैनिक गतिविधियों के लिए पत्थरों से बने औजारों पर निर्भर था। इस युग को मुख्य रूप से पत्थरों के औजारों के प्रकार और मानव जीवन शैली में आए परिवर्तनों के आधार पर तीन प्रमुख चरणों में विभाजित किया गया है।

2. पाषाण युग का वर्गीकरण (Classification of Stone Age)

पाषाण युग को तीन मुख्य कालों में बांटा गया है:

2.1. पुरापाषाण काल (Paleolithic Age / Old Stone Age)

यह पाषाण युग का सबसे लंबा और प्रारंभिक चरण है। ‘पेलियो’ का अर्थ है ‘पुराना’ और ‘लिथोस’ का अर्थ है ‘पत्थर’।

  • समय सीमा: लगभग 2.5 मिलियन वर्ष पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व तक।
  • जीवन शैली: इस काल का मनुष्य मुख्यतः शिकारी और खाद्य संग्राहक (Hunter-Gatherer) था। वे भोजन की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे।
  • औजार: इस काल के औजार मोटे, अपरिष्कृत और अनगढ़ पत्थर के बने होते थे, जैसे हस्त-कुल्हाड़ी (Hand-axes), विदारणी (Cleavers) और खंडक (Choppers)।
  • आग का उपयोग: इस काल में मनुष्य ने आग का उपयोग करना सीख लिया था, हालांकि उसका नियंत्रित उपयोग संभवतः बाद में आया।
  • निवास: वे मुख्य रूप से गुफाओं और चट्टानी आश्रयों में रहते थे।

पुरापाषाण काल के उप-विभाजन:

  • निम्न पुरापाषाण काल (Lower Paleolithic Age):
    • समय: 2.5 मिलियन वर्ष पूर्व से 100,000 ईसा पूर्व तक।
    • विशेषताएँ: हस्त-कुल्हाड़ी और विदारणी जैसे औजार प्रमुख थे।
    • प्रमुख स्थल: सोहन घाटी (पंजाब, पाकिस्तान), भीमबेटका (मध्य प्रदेश), पल्लवरम (तमिलनाडु)।
  • मध्य पुरापाषाण काल (Middle Paleolithic Age):
    • समय: 100,000 ईसा पूर्व से 40,000 ईसा पूर्व तक।
    • विशेषताएँ: इस काल में शल्क (Flakes) आधारित औजारों का विकास हुआ, जैसे छेदनियाँ (Borers) और खुरचनी (Scrapers)।
    • प्रमुख स्थल: नर्मदा घाटी, तुंगभद्रा घाटी, नेवासा (महाराष्ट्र)।
  • उच्च पुरापाषाण काल (Upper Paleolithic Age):
    • समय: 40,000 ईसा पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व तक।
    • विशेषताएँ: इस काल में फलक (Blades) और ब्यूरिन (Burins) जैसे पतले और लंबे औजारों का उपयोग बढ़ा। हड्डियों के औजार भी मिलने लगे। आधुनिक मानव (होमो सेपियन्स) का उदय इसी काल में हुआ। गुफा चित्रकला (जैसे भीमबेटका में) के साक्ष्य भी मिलते हैं।
    • प्रमुख स्थल: भीमबेटका, बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश), पटणे (महाराष्ट्र)।

2.2. मध्यपाषाण काल (Mesolithic Age / Middle Stone Age)

यह पुरापाषाण और नवपाषाण काल के बीच का संक्रमण काल है। ‘मेसो’ का अर्थ है ‘मध्य’।

  • समय सीमा: लगभग 10,000 ईसा पूर्व से 6,000 ईसा पूर्व तक। (यह क्षेत्रीय भिन्नता के साथ बदल सकता है)।
  • जीवन शैली: मनुष्य अभी भी शिकारी और संग्राहक था, लेकिन पशुपालन की शुरुआत के प्रारंभिक साक्ष्य मिलते हैं। मछली पकड़ना भी एक महत्वपूर्ण गतिविधि थी।
  • औजार: इस काल की सबसे बड़ी विशेषता सूक्ष्म पाषाण औजार (Microliths) हैं, जो बहुत छोटे (1-5 सेमी) और ज्यामितीय आकार के होते थे। इनका उपयोग तीर-कमान और भाले जैसे संयुक्त औजारों में किया जाता था।
  • जलवायु परिवर्तन: इस काल में जलवायु गर्म और शुष्क होने लगी, जिससे वनस्पति और जीव-जंतुओं में बदलाव आया।
  • कला: गुफा चित्रों में जानवरों के साथ-साथ मानव गतिविधियों (शिकार, नृत्य) का चित्रण भी मिलता है।

प्रमुख मध्यपाषाण कालीन स्थल:

  • आदमगढ़ (मध्य प्रदेश): पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य।
  • बागोर (राजस्थान): पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य।
  • लंगनाज (गुजरात): मानव कंकाल और सूक्ष्म पाषाण औजार।
  • सराय नाहर राय (उत्तर प्रदेश): युद्ध और सामूहिक कब्रों के साक्ष्य।

2.3. नवपाषाण काल (Neolithic Age / New Stone Age)

यह पाषाण युग का अंतिम और सबसे क्रांतिकारी चरण है। ‘नियो’ का अर्थ है ‘नया’।

  • समय सीमा: लगभग 6,000 ईसा पूर्व से 1,000 ईसा पूर्व तक। (यह क्षेत्रीय भिन्नता के साथ बदल सकता है)।
  • नवपाषाण क्रांति (Neolithic Revolution): इस काल में मानव जीवन में एक बड़ा बदलाव आया, जिसे ‘नवपाषाण क्रांति’ कहा जाता है। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं:
    • कृषि का आरंभ: मनुष्य ने खेती करना सीख लिया, जिससे खाद्य उत्पादन संभव हुआ। जौ, गेहूँ, चावल जैसी फसलों की खेती शुरू हुई।
    • स्थायी बस्तियाँ: कृषि के कारण मनुष्य ने एक स्थान पर बसना शुरू कर दिया, जिससे स्थायी गाँव और समुदाय विकसित हुए।
    • पशुपालन का विकास: पशुओं को पालतू बनाना और उनका उपयोग दूध, मांस, ऊन और कृषि कार्यों के लिए करना व्यापक हो गया।
  • औजार: इस काल के औजार पॉलिश किए गए पत्थर के बने होते थे, जो अधिक धारदार और प्रभावी थे। हड्डियों के औजारों का भी उपयोग होता था।
  • मृदभांड (Pottery): भोजन पकाने और भंडारण के लिए मिट्टी के बर्तन (मृदभांड) बनाना शुरू हुआ।
  • पहिए का आविष्कार: पहिए का आविष्कार इसी काल की महत्वपूर्ण देन है, जिसने परिवहन और कुम्हारी में क्रांति ला दी।
  • सामाजिक संगठन: स्थायी जीवन और कृषि के कारण सामाजिक संरचना अधिक जटिल हुई।

प्रमुख नवपाषाण कालीन स्थल:

  • मेहरगढ़ (पाकिस्तान, बलूचिस्तान): भारतीय उपमहाद्वीप में कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य (लगभग 7000 ईसा पूर्व)।
  • बुर्जहोम (जम्मू और कश्मीर): गर्त-आवास (Pit-dwellings) और पालतू कुत्तों को मालिक के साथ दफनाने के साक्ष्य।
  • गुफकराल (जम्मू और कश्मीर): ‘कुम्हार की गुफा’ के रूप में जाना जाता है, कृषि और पशुपालन के साक्ष्य।
  • चिरांद (बिहार): हड्डी के औजारों की प्रचुरता।
  • कोल्डीहवा (उत्तर प्रदेश): चावल की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य।
  • पय्यमपल्ली (तमिलनाडु): कृषि और पशुपालन के साक्ष्य।

3. पाषाण युग की प्रमुख विशेषताएँ (Key Characteristics of Stone Age)

  • औजारों का विकास: मोटे और अपरिष्कृत पत्थर के औजारों से शुरू होकर सूक्ष्म पाषाण औजारों और अंततः पॉलिश किए गए तथा धारदार औजारों तक का क्रमिक विकास।
  • जीवन शैली में परिवर्तन: घुमंतू शिकारी-संग्राहक जीवन से अर्ध-स्थायी और फिर स्थायी कृषि-आधारित जीवन शैली की ओर संक्रमण।
  • बस्तियों का विकास: प्राकृतिक गुफाओं और चट्टानी आश्रयों से झोपड़ियों और फिर स्थायी ग्रामीण बस्तियों का निर्माण।
  • आग का उपयोग: भोजन पकाने, प्रकाश और सुरक्षा के लिए आग का बढ़ता उपयोग।
  • कला और संस्कृति: शैल चित्रकला (भीमबेटका), प्रारंभिक धार्मिक विश्वासों और अनुष्ठानों का विकास।
  • सामाजिक संगठन: छोटे, समतावादी समूहों से बड़े और अधिक संरचित समुदायों का उदय।
  • कृषि और पशुपालन: मानव इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण नवाचार, जिसने खाद्य सुरक्षा और जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा दिया।

4. भारत में प्रमुख पाषाण कालीन स्थल (Important Stone Age Sites in India)

  • भीमबेटका (मध्य प्रदेश): पुरापाषाण और मध्यपाषाण काल के शैल चित्र और चट्टानी आश्रय।
  • मेहरगढ़ (पाकिस्तान, बलूचिस्तान): नवपाषाण काल का महत्वपूर्ण स्थल, कृषि और पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य।
  • बुर्जहोम (जम्मू और कश्मीर): नवपाषाण गर्त-आवास और विशिष्ट दफन प्रथाएँ।
  • चिरांद (बिहार): नवपाषाण काल के हड्डी के औजारों के लिए प्रसिद्ध।
  • कोल्डीहवा (उत्तर प्रदेश): नवपाषाण काल में चावल की खेती के प्रारंभिक साक्ष्य।
  • आदमगढ़ (मध्य प्रदेश): मध्यपाषाण काल में पशुपालन के प्रारंभिक साक्ष्य।
  • बागोर (राजस्थान): मध्यपाषाण काल का सबसे बड़ा स्थल, पशुपालन के साक्ष्य।
  • लंगनाज (गुजरात): मध्यपाषाण काल के मानव कंकाल और सूक्ष्म पाषाण औजार।
  • हंसगी (कर्नाटक): पुरापाषाण काल के औजार और बस्तियों के साक्ष्य।
  • पल्लवरम (तमिलनाडु): भारत में पहली पुरापाषाण हस्त-कुल्हाड़ी की खोज का स्थल।

5. महत्व (Significance)

पाषाण युग का महत्व इस बात में निहित है कि इसने मानव सभ्यता के विकास की नींव रखी:

  • कृषि का आरंभ: जिसने खाद्य उत्पादन को सुनिश्चित किया और स्थायी बस्तियों को जन्म दिया।
  • पशुपालन: जिसने मानव को भोजन, श्रम और सुरक्षा के नए स्रोत प्रदान किए।
  • स्थायी जीवन शैली: जिसने समुदायों, सामाजिक संरचनाओं और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा दिया।
  • तकनीकी नवाचार: औजारों के विकास, आग के नियंत्रित उपयोग और पहिए के आविष्कार ने मानव जीवन को आसान बनाया और भविष्य के तकनीकी विकास का मार्ग प्रशस्त किया।
  • मानव अनुकूलन: इस युग ने दर्शाया कि कैसे मानव ने बदलते पर्यावरण और चुनौतियों के अनुकूल खुद को ढाला और जीवित रहने के लिए नई रणनीतियाँ विकसित कीं।
SendShare
Previous Post

वन्यजीव और प्रजातियां (Wildlife and Species)

Next Post

ताम्रपाषाण युग (Chalcolithic Age)

Related Posts

History

मुगल साम्राज्य का पतन (Decline of Mughal Empire)

May 26, 2025

मुगल साम्राज्य का पतन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) औरंगजेब की मृत्यु (1707 ईस्वी) के बाद मुगल साम्राज्य का तेजी से पतन...

History

भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization)

May 26, 2025

भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization) स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक...

History

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (Hyderabad, Junagarh, Kashmir Issues)

May 26, 2025

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू-कश्मीर...

Next Post

ताम्रपाषाण युग (Chalcolithic Age)

उत्पत्ति और विस्तार (Origin and Extent)

नगर नियोजन और वास्तुकला (Town Planning and Architecture)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhnd

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025
Polity

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025
Quiz

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025
uncategorized

Protected: test

May 25, 2025
Placeholder Square Image

Visit Google.com for more information.

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025

Protected: test

May 25, 2025

हिंदी लोकोक्तियाँ और उनके प्रयोग

May 24, 2025

मुहावरे और उनके अर्थ

May 24, 2025
  • Contact us
  • Disclaimer
  • Register
  • Login
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Home
  • Hindi
  • History
  • Geography
  • General Science
  • Uttarakhand
  • Economics
  • Environment
  • Static Gk
  • Quiz
  • Polity
  • Computer
  • Login
  • Contact us
  • Privacy Policy

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.