प्रारंभिक मध्यकालीन काल: तुर्क आक्रमण (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)
भारत पर मुस्लिम आक्रमणों की दूसरी और अधिक निर्णायक लहर तुर्कों द्वारा शुरू हुई, जो 10वीं शताब्दी के अंत से 12वीं शताब्दी ईस्वी तक चली। अरब आक्रमणों के विपरीत, तुर्क आक्रमणों का उद्देश्य केवल लूटपाट नहीं था, बल्कि भारत में स्थायी मुस्लिम शासन स्थापित करना भी था।
1. तुर्क आक्रमण के कारण (Causes of Turk Invasions)
तुर्कों के भारत पर आक्रमण के कई कारण थे, जो अरबों से अधिक व्यापक थे:
- इस्लाम का प्रसार और जिहाद की भावना:
- तुर्क शासक इस्लाम के कट्टर अनुयायी थे और इस्लाम के प्रसार को अपना धार्मिक कर्तव्य मानते थे।
- मूर्तिपूजा को समाप्त करना और ‘गाजी’ (धर्मयोद्धा) बनना उनकी प्रेरणा का एक हिस्सा था।
- आर्थिक उद्देश्य:
- भारत की अकूत धन-संपत्ति, विशेषकर मंदिरों और समृद्ध शहरों की संपत्ति को लूटना।
- इस धन का उपयोग मध्य एशिया में अपने साम्राज्य के विस्तार और सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए करना।
- राजनीतिक उद्देश्य:
- भारत में स्थायी मुस्लिम राज्य स्थापित करना (विशेषकर मुहम्मद गोरी के मामले में)।
- अपने साम्राज्यों का विस्तार करना और क्षेत्रीय प्रभुत्व स्थापित करना।
- भारत की राजनीतिक स्थिति:
- भारत में राजनीतिक एकता का अभाव और कई छोटे-छोटे राजपूत राज्यों के बीच आपसी संघर्ष।
- राजपूतों की पुरानी सैन्य रणनीतियाँ और हथियारों की कमी, जो तुर्कों की तेज गति वाली घुड़सवार सेना और बेहतर युद्ध तकनीकों का सामना नहीं कर सकीं।
- सामाजिक और आर्थिक कारकों के आधार पर भेदभाव भी एकता में बाधा था।
2. महमूद गजनवी (Mahmud of Ghazni) (लगभग 998-1030 ईस्वी)
महमूद गजनवी भारत पर आक्रमण करने वाला पहला प्रमुख तुर्क शासक था।
- पृष्ठभूमि: वह गजनी (आधुनिक अफगानिस्तान में) के गजनवी वंश का शासक था।
- उद्देश्य: उसका मुख्य उद्देश्य भारत की धन-संपत्ति को लूटना था, न कि स्थायी साम्राज्य स्थापित करना। उसने भारत पर लगभग 17 बार आक्रमण किए।
- प्रमुख आक्रमण:
- पहला आक्रमण (1000-1001 ईस्वी): सीमावर्ती क्षेत्रों पर। उसने हिंदूशाही शासक जयपाल को पराजित किया।
- छठा आक्रमण (1008-1009 ईस्वी): आनंदपाल (जयपाल का पुत्र) को वहिंद के युद्ध में पराजित किया।
- 12वां आक्रमण (1018 ईस्वी): कन्नौज पर आक्रमण किया और प्रतिहार शासक राज्यपाल को पराजित किया।
- 16वां आक्रमण (1025-1026 ईस्वी): सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण।
- यह महमूद का सबसे प्रसिद्ध और विनाशकारी आक्रमण था।
- उसने गुजरात के काठियावाड़ स्थित प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर को लूटा और नष्ट कर दिया।
- इस समय काठियावाड़ का शासक चालुक्य वंश का भीमदेव प्रथम था।
- महमूद ने मंदिर से भारी मात्रा में धन लूटा।
- अंतिम आक्रमण (1027 ईस्वी): सिंध के जाटों के खिलाफ।
- प्रभाव:
- महमूद के आक्रमणों ने भारत की राजनीतिक दुर्बलता को उजागर किया।
- पंजाब गजनवी साम्राज्य का अंग बन गया।
- राजपूत राजाओं की सैनिक शक्ति को गहरा आघात लगा।
- इन आक्रमणों ने बाद के तुर्की आक्रमणकारियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
- दरबारी विद्वान:
- अल-बरूनी: ‘किताब-उल-हिंद’ (तहकीक-ए-हिंद) का लेखक, जिसने भारत के समाज, धर्म और विज्ञान का विस्तृत विवरण दिया।
- फिरदौसी: ‘शाहनामा’ का लेखक।
- उत्वी: ‘किताब-उल-यामिनी’ का लेखक।
3. मुहम्मद गोरी (Muhammad of Ghor) (लगभग 1175-1206 ईस्वी)
मुहम्मद गोरी का उद्देश्य भारत में स्थायी मुस्लिम साम्राज्य स्थापित करना था, जो महमूद गजनवी से भिन्न था।
- पृष्ठभूमि: वह अफगानिस्तान के गोर (घुरिद) वंश का शासक था।
- उद्देश्य: भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना करना।
- प्रमुख आक्रमण और युद्ध:
- पहला आक्रमण (1175 ईस्वी): मुल्तान पर। उसने मुल्तान को जीत लिया।
- दूसरा आक्रमण (1178 ईस्वी): गुजरात पर। उसे चालुक्य शासक भीमदेव द्वितीय ने आबू पर्वत के पास पराजित किया। यह गोरी की भारत में पहली बड़ी हार थी।
- तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ईस्वी):
- मुहम्मद गोरी और चौहान शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय के बीच।
- गोरी पराजित हुआ और उसे भागना पड़ा।
- तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ईस्वी):
- मुहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान तृतीय के बीच।
- इस बार गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को निर्णायक रूप से पराजित किया और उसे बंदी बना लिया (बाद में मार दिया गया)।
- यह युद्ध भारत में तुर्की शासन की स्थापना का मील का पत्थर साबित हुआ।
- चंदावर का युद्ध (1194 ईस्वी):
- मुहम्मद गोरी और कन्नौज के गहड़वाल शासक जयचंद के बीच।
- गोरी ने जयचंद को पराजित कर मार डाला और कन्नौज पर अधिकार कर लिया।
- उसके सेनापतियों (जैसे कुतुबुद्दीन ऐबक) ने भारत में आगे की विजयें जारी रखीं।
- मृत्यु: 1206 ईस्वी में सिंधु नदी के किनारे खोखरों द्वारा उसकी हत्या कर दी गई।
4. तुर्क आक्रमणों का महत्व और भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना (Significance of Turk Invasions and Establishment of Muslim Rule in India)
तुर्क आक्रमणों ने भारतीय इतिहास की दिशा बदल दी।
- स्थायी मुस्लिम शासन की नींव:
- मुहम्मद गोरी की विजयों ने भारत में स्थायी मुस्लिम शासन की नींव रखी, जो महमूद गजनवी के लूटपाट वाले आक्रमणों से भिन्न था।
- गोरी ने अपने विजित प्रदेशों के शासन को संचालित करने के लिए सैनिक गवर्नरों की नियुक्ति की (जैसे कुतुबुद्दीन ऐबक)।
- राजपूत शक्ति का अंत:
- तराइन के द्वितीय युद्ध और चंदावर के युद्ध ने उत्तर भारत में राजपूत शक्ति को निर्णायक रूप से समाप्त कर दिया।
- राजपूतों की आपसी फूट और पुरानी सैन्य रणनीतियाँ उनकी हार का प्रमुख कारण बनीं।
- दिल्ली सल्तनत की स्थापना:
- 1206 ईस्वी में मुहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद, उसके सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की, जिससे भारत में एक नए युग की शुरुआत हुई।
- यह भारत में एक सुसंगठित मुस्लिम साम्राज्य की शुरुआत थी।
- सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन:
- इस्लाम का प्रसार और भारतीय समाज पर इसका प्रभाव बढ़ा।
- नई प्रशासनिक और सैन्य प्रणालियों का आगमन हुआ।
- भारतीय और इस्लामी संस्कृतियों का मिश्रण शुरू हुआ, जिससे एक नई ‘इंडो-इस्लामिक’ संस्कृति का विकास हुआ।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
तुर्क आक्रमण, विशेषकर महमूद गजनवी और मुहम्मद गोरी के नेतृत्व में, भारतीय इतिहास में एक युग-परिवर्तनकारी घटना थी। जहां महमूद गजनवी ने भारत की धन-संपत्ति को लूटा और उसकी राजनीतिक कमजोरियों को उजागर किया, वहीं मुहम्मद गोरी ने स्थायी मुस्लिम शासन की नींव रखी। इन आक्रमणों ने उत्तर भारत में राजपूत शक्ति का अंत किया और दिल्ली सल्तनत की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में एक नए राजनीतिक और सांस्कृतिक अध्याय की शुरुआत हुई।