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गठबंधन राजनीति

गठबंधन राजनीति (Coalition Politics) एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था है जहाँ कोई भी एक राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत हासिल नहीं कर पाता है, और इसलिए दो या दो से अधिक दल मिलकर सरकार बनाते हैं। भारत में, 1989 के बाद से केंद्र और राज्यों दोनों में गठबंधन सरकारों का दौर देखा गया है, जो भारतीय राजनीति की एक महत्वपूर्ण विशेषता बन गई है।

1. गठबंधन राजनीति की अवधारणा (Concept of Coalition Politics)

गठबंधन राजनीति विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं और हितों वाले दलों को एक साथ लाती है।

  • परिभाषा: गठबंधन सरकार तब बनती है जब किसी भी एक दल को विधायिका में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, और विभिन्न दल मिलकर सरकार बनाने के लिए सहमत होते हैं।
  • उद्देश्य:
    • सरकार बनाना और राजनीतिक स्थिरता प्रदान करना।
    • विभिन्न सामाजिक, क्षेत्रीय और आर्थिक हितों का प्रतिनिधित्व करना।
    • किसी एक दल की निरंकुशता को रोकना।
  • गठबंधन के प्रकार:
    • चुनाव-पूर्व गठबंधन: चुनाव से पहले ही दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं (जैसे NDA, UPA)।
    • चुनाव-पश्चात गठबंधन: चुनाव के बाद जब किसी को बहुमत नहीं मिलता तो दल मिलकर सरकार बनाते हैं।

2. भारत में गठबंधन राजनीति का उदय (Rise of Coalition Politics in India)

भारत में गठबंधन राजनीति का उदय कई कारकों का परिणाम था, विशेषकर 1989 के बाद।

  • एकल-दल प्रभुत्व का अंत: 1989 के बाद कांग्रेस के एकल-दल प्रभुत्व का अंत हुआ, और किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलना मुश्किल हो गया।
  • क्षेत्रीय दलों का उदय: भाषाई पुनर्गठन और क्षेत्रीय आकांक्षाओं के कारण विभिन्न राज्यों में शक्तिशाली क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ, जिन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी शुरू कर दी।
  • सामाजिक विविधता: भारत की विशाल सामाजिक, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता ने विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले कई दलों को जन्म दिया।
  • दल-बदल: दल-बदल की प्रवृत्ति ने भी राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ाया, जिससे गठबंधन की आवश्यकता महसूस हुई।
  • आर्थिक उदारीकरण: 1991 के आर्थिक सुधारों ने भी राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दिया।

3. गठबंधन राजनीति के गुण (Merits of Coalition Politics)

गठबंधन राजनीति के कुछ सकारात्मक पहलू हैं जो इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए फायदेमंद बनाते हैं।

  • अधिक प्रतिनिधित्व: यह विभिन्न सामाजिक समूहों, क्षेत्रों और विचारधाराओं को सरकार में प्रतिनिधित्व प्रदान करती है, जिससे लोकतंत्र अधिक समावेशी बनता है।
  • निरंकुशता पर रोक: कोई भी एक दल निरंकुश नहीं हो पाता, क्योंकि उसे गठबंधन के अन्य सहयोगियों के हितों और विचारों का सम्मान करना पड़ता है।
  • सर्वसम्मति निर्माण: विभिन्न दलों के बीच आम सहमति बनाने की आवश्यकता होती है, जिससे बेहतर और अधिक संतुलित नीतियाँ बन सकती हैं।
  • स्थिरता (कुछ हद तक): यदि गठबंधन मजबूत और स्थिर हो, तो यह राजनीतिक स्थिरता प्रदान कर सकता है, खासकर जब किसी एक दल को बहुमत न मिले।
  • उत्तरदायित्व: गठबंधन में शामिल सभी दल सरकार की नीतियों और निर्णयों के लिए सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं।

4. गठबंधन राजनीति के दोष (Demerits of Coalition Politics)

गठबंधन राजनीति की अपनी चुनौतियाँ और नकारात्मक पहलू भी हैं।

  • अस्थिरता: गठबंधन सरकारें अक्सर अस्थिर होती हैं और ‘गठबंधन धर्म’ का पालन न करने पर गिर सकती हैं, जिससे बार-बार चुनाव होते हैं।
  • नीतियों में निरंतरता का अभाव: विभिन्न दलों के अलग-अलग एजेंडे होने के कारण नीतियों में निरंतरता का अभाव हो सकता है, जिससे दीर्घकालिक विकास प्रभावित होता है।
  • ब्लैकमेल की राजनीति: छोटे दल बड़े दलों को समर्थन के लिए ब्लैकमेल कर सकते हैं, जिससे नीति निर्माण में बाधा आती है।
  • साझा न्यूनतम कार्यक्रम का अभाव: कई बार गठबंधन दल बिना किसी स्पष्ट साझा न्यूनतम कार्यक्रम के सत्ता में आते हैं, जिससे सरकार की दिशा अस्पष्ट रहती है।
  • निर्णय लेने में देरी: विभिन्न दलों के बीच सहमति बनाने में समय लगता है, जिससे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में देरी हो सकती है।
  • भ्रष्टाचार: सत्ता में बने रहने के लिए समझौते और सौदेबाजी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकती है।
  • जवाबदेही में कमी: कई बार सरकार की जवाबदेही अस्पष्ट हो जाती है, क्योंकि कोई भी एक दल पूरी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता।

5. भारत में गठबंधन सरकारों का अनुभव (Experience of Coalition Governments in India)

भारत ने केंद्र और राज्यों दोनों में विभिन्न प्रकार के गठबंधन देखे हैं।

  • प्रारंभिक दौर (1977-1989): 1977 में जनता पार्टी की सरकार और 1989 में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार जैसे कुछ प्रारंभिक गठबंधन।
  • स्थिर गठबंधन युग (1998-2014): राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) जैसे बड़े चुनाव-पूर्व गठबंधन बने, जिन्होंने अपेक्षाकृत स्थिर सरकारें दीं।
  • वर्तमान परिदृश्य: 2014 और 2019 के चुनावों में एक दल को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद, गठबंधन राजनीति अभी भी भारतीय राजनीतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है।
  • राज्यों में गठबंधन: राज्यों में गठबंधन सरकारें केंद्र से भी पहले से आम रही हैं।

6. निष्कर्ष (Conclusion)

गठबंधन राजनीति भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था की एक अपरिहार्य विशेषता बन गई है, विशेषकर एकल-दल प्रभुत्व के युग की समाप्ति के बाद। यह एक ओर विभिन्न सामाजिक और क्षेत्रीय हितों को प्रतिनिधित्व प्रदान करती है और निरंकुशता पर रोक लगाती है, वहीं दूसरी ओर यह राजनीतिक अस्थिरता, नीतियों में निरंतरता के अभाव और निर्णय लेने में देरी जैसी चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करती है। भारत का अनुभव बताता है कि मजबूत नेतृत्व, साझा न्यूनतम कार्यक्रम और ‘गठबंधन धर्म’ का पालन करने से गठबंधन सरकारें भी स्थिरता और प्रभावी शासन प्रदान कर सकती हैं। भारतीय राजनीति के भविष्य में भी गठबंधन सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहेगी।

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