Gyan Pragya
No Result
View All Result
Loading...
  • Hindi
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Current Affairs
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

भारत में राजनीतिक संस्कृति का विकास (Evolution of Political Culture in India)

भारत में राजनीतिक संस्कृति का विकास (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

राजनीतिक संस्कृति (Political Culture) किसी समाज में राजनीति के प्रति लोगों के दृष्टिकोण, विश्वासों, मूल्यों और अभिवृत्तियों का एक समूह है। यह एक राष्ट्र की राजनीतिक प्रणाली के कामकाज को आकार देती है। भारत में, राजनीतिक संस्कृति का विकास एक जटिल प्रक्रिया रही है, जो पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों के बीच बातचीत से प्रभावित है।

1. राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा (Concept of Political Culture)

राजनीतिक संस्कृति एक समाज में राजनीतिक प्रणाली के प्रति लोगों के साझा मनोवैज्ञानिक अभिविन्यास को दर्शाती है।

1.1. परिभाषा

  • राजनीतिक संस्कृति में किसी समाज के सदस्यों के राजनीतिक प्रणाली के प्रति ज्ञान, भावनाएँ और मूल्यांकन शामिल होते हैं। यह राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित करती है।
  • यह एक समाज की सामूहिक राजनीतिक पहचान और उसके राजनीतिक जीवन के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाती है।

1.2. राजनीतिक संस्कृति के प्रकार (गेब्रियल आमंड और सिडनी वर्बा के अनुसार)

  • पैरॉकियल संस्कृति (Parochial Culture): लोग राजनीतिक प्रणाली के बारे में बहुत कम जानते हैं और इसमें उनकी भागीदारी भी सीमित होती है। वे स्थानीय समुदायों और परंपराओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • सब्जेक्ट संस्कृति (Subject Culture): लोग सरकार के प्रति जागरूक होते हैं और कानूनों का पालन करते हैं, लेकिन वे राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते हैं। वे सरकार को एक ‘विषय’ के रूप में देखते हैं।
  • पार्टिसिपेंट संस्कृति (Participant Culture): लोग राजनीतिक प्रणाली के बारे में जागरूक होते हैं, सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, और सरकार को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। वे स्वयं को राजनीतिक प्रक्रिया में एक ‘भागीदार’ के रूप में देखते हैं।

2. भारत में राजनीतिक संस्कृति का विकास: चरण (Evolution of Political Culture in India: Phases)

भारतीय राजनीतिक संस्कृति ने स्वतंत्रता-पूर्व से लेकर वर्तमान तक विभिन्न चरणों में विकास किया है।

2.1. स्वतंत्रता-पूर्व चरण (Pre-Independence Phase)

  • औपनिवेशिक विरासत: ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीय राजनीतिक संस्कृति मुख्य रूप से सब्जेक्ट संस्कृति की थी, जहाँ लोग सरकार के आदेशों का पालन करते थे, लेकिन सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते थे।
  • राष्ट्रवादी आंदोलन का प्रभाव: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य राष्ट्रवादी आंदोलनों ने लोगों में राजनीतिक चेतना जगाई और उन्हें अधिकारों और स्वशासन की मांग करने के लिए प्रेरित किया, जिससे पार्टिसिपेंट संस्कृति के बीज बोए गए।
  • गांधीवादी प्रभाव: महात्मा गांधी के नेतृत्व में जन आंदोलनों ने आम जनता को राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल किया, जिससे राजनीतिक भागीदारी की भावना बढ़ी।

2.2. प्रारंभिक स्वतंत्रता-पश्चात चरण (Initial Post-Independence Phase) – 1950s-1960s

  • लोकतांत्रिक मूल्यों का आत्मसात: संविधान के लागू होने के साथ, भारत ने लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और न्याय जैसे मूल्यों को अपनाया।
  • कांग्रेस का प्रभुत्व: इस अवधि में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभुत्व था, जिससे एक ‘एकल-दल प्रभुत्व प्रणाली’ विकसित हुई।
  • पैरॉकियल और सब्जेक्ट तत्वों का सह-अस्तित्व: शहरी शिक्षित वर्ग में पार्टिसिपेंट संस्कृति विकसित हो रही थी, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी पैरॉकियल और सब्जेक्ट तत्वों का प्रभाव था।
  • नेहरूवादी समाजवाद: पंचवर्षीय योजनाओं और मिश्रित अर्थव्यवस्था के माध्यम से विकास पर जोर दिया गया।

2.3. परिवर्तन का चरण (Phase of Transformation) – 1970s-1980s

  • कांग्रेस के प्रभुत्व में कमी: कांग्रेस के प्रभुत्व में गिरावट आई और क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ।
  • आपातकाल का प्रभाव (1975-77): आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र पर गहरा प्रभाव डाला और नागरिकों में अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता बढ़ाई। इसने राजनीतिक संस्कृति में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया।
  • जाति और वर्ग की राजनीति का उदय: जाति और वर्ग पहचान राजनीति में अधिक प्रमुख हो गई।
  • क्षेत्रवाद का बढ़ना: भाषाई राज्यों के गठन के बाद क्षेत्रवाद की भावना बढ़ी।

2.4. गठबंधन राजनीति और बहु-दलीय प्रणाली का चरण (Phase of Coalition Politics and Multi-Party System) – 1990s-2000s

  • गठबंधन सरकारों का उदय: केंद्र में गठबंधन सरकारों का दौर शुरू हुआ, जिससे राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी लेकिन विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व भी बढ़ा।
  • आर्थिक उदारीकरण (1991): LPG सुधारों ने आर्थिक संस्कृति को प्रभावित किया, जिससे बाजार-उन्मुख दृष्टिकोण बढ़ा।
  • जागरूकता और भागीदारी में वृद्धि: मीडिया के प्रसार, शिक्षा और सूचना के अधिकार (RTI) जैसे कानूनों ने नागरिकों में राजनीतिक जागरूकता और भागीदारी को बढ़ाया।
  • सिविल समाज का बढ़ता प्रभाव: नागरिक समाज संगठनों (CSOs) ने विभिन्न मुद्दों पर सरकार पर दबाव डालना शुरू किया।

2.5. वर्तमान चरण (Current Phase) – 2010s से वर्तमान

  • मजबूत बहुमत वाली सरकारें: 2014 और 2019 के बाद केंद्र में मजबूत बहुमत वाली सरकारें बनीं, जिससे नीति निर्माण में गति आई।
  • डिजिटल नागरिकता: सोशल मीडिया और ई-गवर्नेंस के माध्यम से नागरिकों की भागीदारी और जुड़ाव बढ़ा है।
  • पहचान की राजनीति: जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा पर आधारित पहचान की राजनीति अभी भी प्रमुख है।
  • राष्ट्रवाद का बढ़ता प्रभाव: राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय पहचान पर जोर बढ़ा है।
  • ध्रुवीकरण: राजनीतिक और सामाजिक ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति।
  • जवाबदेही की मांग: नागरिक सरकार से अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।

3. राजनीतिक संस्कृति को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Political Culture)

कई कारक भारतीय राजनीतिक संस्कृति को आकार देते हैं।

  • संविधान: लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी मूल्य।
  • इतिहास: स्वतंत्रता संग्राम, औपनिवेशिक विरासत।
  • सामाजिक संरचना: जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र, वर्ग।
  • आर्थिक विकास: गरीबी, असमानता, उदारीकरण।
  • शिक्षा और साक्षरता: राजनीतिक जागरूकता।
  • मीडिया: सूचना का प्रसार और राय का निर्माण।
  • राजनीतिक दल और दबाव समूह: विचारधाराएँ और कार्यप्रणाली।
  • वैश्वीकरण: वैश्विक विचारों और प्रवृत्तियों का प्रभाव।

4. निष्कर्ष (Conclusion)

भारत में राजनीतिक संस्कृति का विकास एक गतिशील और बहुआयामी प्रक्रिया रही है, जो औपनिवेशिक विरासत, राष्ट्रवादी आंदोलन, लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्थापना, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों और वैश्विक प्रभावों से आकार लेती है। यह पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों के बीच एक जटिल सह-अस्तित्व को दर्शाती है। स्वतंत्रता-पूर्व की सब्जेक्ट संस्कृति से लेकर वर्तमान की अधिक जागरूक और मांग-उन्मुख पार्टिसिपेंट संस्कृति तक, भारत ने एक लंबा सफर तय किया है। हालांकि, जातिवाद, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और राजनीति के अपराधीकरण जैसी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। एक स्वस्थ और परिपक्व लोकतांत्रिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए निरंतर शिक्षा, संस्थागत सुधार और नागरिक भागीदारी आवश्यक है, ताकि भारत का लोकतंत्र और अधिक मजबूत हो सके।

Previous Post

राजनेता और सिविल सेवकों के बीच संबंध (Relationship between Politicians and Civil Servants)

Next Post

राजनीतिक समाजीकरण के एजेंसियाँ (Agencies of Political Socialization)

Next Post

राजनीतिक समाजीकरण के एजेंसियाँ (Agencies of Political Socialization)

भारत में प्रशासनिक प्रणाली का विकास और विस्तार (Development and Expansion of Administrative System in India)

संघ राज्य क्षेत्रों और निर्दिष्ट क्षेत्रों का प्रशासन (Administration of Union Territories and Specified Areas)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Contact us
  • Disclaimer
  • Terms of Service
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Quiz
  • Static Gk
  • Polity
  • Hindi
  • Geography
  • Economics
  • General Science
  • Uttarakhand
  • History
  • Environment
  • Computer
  • Contact us

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.