भारतीय संविधान एक अनूठा दस्तावेज है जिसे संविधान सभा द्वारा 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों में तैयार किया गया था और 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें विभिन्न देशों के सर्वोत्तम प्रावधानों को शामिल किया गया है, जबकि भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप अनुकूलित किया गया है।
1. सबसे लंबा लिखित संविधान (Longest Written Constitution)
भारतीय संविधान अपनी विशालता और व्यापकता के लिए जाना जाता है।
- विस्तृत दस्तावेज: मूल रूप से, इसमें एक प्रस्तावना, 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीं। वर्तमान में, इसमें एक प्रस्तावना, लगभग 25 भाग, 470 से अधिक अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ हैं।
- कारण:
- भारत की विशालता और विविधता (भाषाएँ, धर्म, क्षेत्र)।
- केंद्र और राज्यों दोनों के लिए एक ही संविधान।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (भारत सरकार अधिनियम, 1935 का प्रभाव)।
- संविधान सभा में कानूनी विशेषज्ञों का प्रभुत्व।
2. विभिन्न स्रोतों से लिया गया (Drawn from Various Sources)
भारतीय संविधान को ‘उधार का थैला’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें विभिन्न देशों के संविधानों से प्रावधान लिए गए हैं।
- भारत सरकार अधिनियम, 1935: संघीय योजना, राज्यपाल का कार्यालय, न्यायपालिका, लोक सेवा आयोग, आपातकालीन प्रावधान, प्रशासनिक विवरण (लगभग दो-तिहाई प्रावधान)।
- ब्रिटेन: संसदीय सरकार, कानून का शासन, विधायी प्रक्रिया, एकल नागरिकता, कैबिनेट प्रणाली, रिट, द्विसदनीयता।
- अमेरिका: मौलिक अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, न्यायिक समीक्षा, राष्ट्रपति का महाभियोग, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाना, उपराष्ट्रपति का पद।
- आयरलैंड: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP), राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका, राज्यसभा के लिए सदस्यों का नामांकन।
- कनाडा: एक मजबूत केंद्र के साथ संघ, केंद्र द्वारा राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति, सर्वोच्च न्यायालय का सलाहकार क्षेत्राधिकार, अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास।
- ऑस्ट्रेलिया: समवर्ती सूची, व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक।
- जर्मनी (वीमर संविधान): आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन।
- सोवियत संघ (USSR): मौलिक कर्तव्य, प्रस्तावना में न्याय (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक) का आदर्श।
- फ्रांस: गणतंत्रात्मक ढाँचा, प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श।
- दक्षिण अफ्रीका: संविधान संशोधन की प्रक्रिया, राज्यसभा सदस्यों का चुनाव।
- जापान: कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया।
3. कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण (Blend of Rigidity and Flexibility)
भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया न तो बहुत कठोर है और न ही बहुत लचीली।
- कठोरता: कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए संसद के विशेष बहुमत और राज्यों के अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है (अनुच्छेद 368)।
- लचीलापन: कुछ प्रावधानों में संशोधन संसद के साधारण बहुमत से किया जा सकता है (अनुच्छेद 368 के बाहर)।
4. संघीय प्रणाली के साथ एकात्मक झुकाव (Federal System with Unitary Bias)
भारत में एक संघीय ढाँचा है, लेकिन केंद्र सरकार अधिक शक्तिशाली है।
- संघीय विशेषताएँ: दो सरकारें (केंद्र और राज्य), शक्तियों का विभाजन (सातवीं अनुसूची), लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, स्वतंत्र न्यायपालिका, द्विसदनीयता।
- एकात्मक विशेषताएँ: मजबूत केंद्र, एकल संविधान, एकल नागरिकता, आपातकालीन प्रावधान, राज्यपाल की नियुक्ति, अखिल भारतीय सेवाएँ, संसद की राज्यों की सीमाओं को बदलने की शक्ति।
- के.सी. व्हेयर ने भारतीय संविधान को ‘अर्ध-संघीय’ (Quasi-Federal) बताया।
5. संसदीय सरकार का स्वरूप (Parliamentary Form of Government)
भारत ने ब्रिटिश मॉडल पर आधारित संसदीय प्रणाली को अपनाया है।
- नाममात्र और वास्तविक कार्यपालिका: राष्ट्रपति नाममात्र का प्रमुख होता है, जबकि प्रधान मंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है।
- सामूहिक उत्तरदायित्व: मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
- दोहरी सदस्यता: मंत्री विधायिका और कार्यपालिका दोनों के सदस्य होते हैं।
- प्रधान मंत्री का नेतृत्व।
- निचले सदन का विघटन।
6. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
संविधान के भाग III में निहित ये अधिकार नागरिकों को राज्य के हस्तक्षेप के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- अनुच्छेद 12-35: समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
- न्यायोचित: इनके उल्लंघन पर व्यक्ति न्यायालय जा सकता है।
- ‘भारत का मैग्ना कार्टा’ कहा जाता है।
7. राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy – DPSP)
संविधान के भाग IV में निहित ये सिद्धांत कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए राज्य को दिशानिर्देश प्रदान करते हैं।
- अनुच्छेद 36-51: सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने का लक्ष्य।
- गैर-न्यायोचित: इन्हें न्यायालयों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है।
- कानून बनाते समय राज्य का कर्तव्य है कि वह इन सिद्धांतों को लागू करे।
8. मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties)
संविधान के भाग IV-A में निहित ये नागरिकों की राष्ट्र के प्रति नैतिक और नागरिक जिम्मेदारियाँ हैं।
- 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए (स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर)।
- वर्तमान में 11 मौलिक कर्तव्य हैं (11वां कर्तव्य 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया)।
- ये भी गैर-न्यायोचित हैं।
9. धर्मनिरपेक्ष राज्य (Secular State)
भारतीय संविधान एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करता है।
- प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया।
- राज्य का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।
- सभी धर्मों को समान सम्मान और सुरक्षा प्रदान की जाती है।
- व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है (अनुच्छेद 25-28)।
10. स्वतंत्र और एकीकृत न्यायपालिका (Independent and Integrated Judiciary)
भारतीय न्यायपालिका संविधान की संरक्षक है।
- स्वतंत्रता: न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है।
- एकीकृत: सर्वोच्च न्यायालय शीर्ष पर है, उसके बाद उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय आते हैं।
- न्यायिक समीक्षा: न्यायपालिका के पास कानूनों और कार्यकारी कार्यों की संवैधानिकता की समीक्षा करने की शक्ति है।
11. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise)
भारत में सभी वयस्क नागरिकों को मतदान का अधिकार है।
- मतदान की आयु: मूल रूप से 21 वर्ष थी, जिसे 61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1989 द्वारा घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया।
12. एकल नागरिकता (Single Citizenship)
भारत में नागरिकता केवल देश की है, राज्यों की नहीं।
- यह राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देती है।
13. स्वतंत्र निकाय (Independent Bodies)
संविधान ने कुछ स्वतंत्र निकायों की स्थापना की है।
- चुनाव आयोग: स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG): सार्वजनिक वित्त का संरक्षक।
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC): केंद्रीय सेवाओं के लिए भर्ती।
14. आपातकालीन प्रावधान (Emergency Provisions)
संविधान में देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए आपातकालीन प्रावधान हैं।
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)।
- राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल – अनुच्छेद 356)।
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)।
15. त्रि-स्तरीय सरकार (Three-tier Government)
भारत में सरकार के तीन स्तर हैं।
- केंद्र सरकार।
- राज्य सरकारें।
- स्थानीय स्वशासन (पंचायती राज और नगरपालिकाएँ): 73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संवैधानिक दर्जा दिया गया।
16. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय संविधान एक असाधारण दस्तावेज है जो भारत के अद्वितीय सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संदर्भ को दर्शाता है। यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें विभिन्न देशों के सर्वोत्तम प्रावधानों को शामिल किया गया है, जबकि भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप अनुकूलित किया गया है। कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण, संघीय प्रणाली के साथ एकात्मक झुकाव, संसदीय सरकार, मौलिक अधिकार, DPSP, मौलिक कर्तव्य, धर्मनिरपेक्षता, स्वतंत्र न्यायपालिका, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, एकल नागरिकता और आपातकालीन प्रावधान जैसी इसकी प्रमुख विशेषताएँ भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित करती हैं। यह संविधान भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा का आधार है।