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राष्ट्रपति (President of India)

भारत का राष्ट्रपति (President of India) भारत गणराज्य का राज्य प्रमुख और भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है। वह भारतीय राज्य का नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है और भारतीय संविधान के तहत एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद धारण करता है। भारत ने ब्रिटिश मॉडल पर आधारित संसदीय प्रणाली को अपनाया है, जहाँ राष्ट्रपति नाममात्र का प्रमुख होता है और प्रधान मंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है।

1. संवैधानिक प्रावधान और पद (Constitutional Provisions and Office)

राष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान के भाग V में उल्लिखित है।

1.1. संवैधानिक प्रावधान

  • भारतीय संविधान का भाग V (अनुच्छेद 52 से 78) संघ कार्यपालिका से संबंधित है, जिसमें राष्ट्रपति भी शामिल है।
  • अनुच्छेद 52: भारत का एक राष्ट्रपति होगा।
  • अनुच्छेद 53: संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग सीधे या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा।

1.2. राष्ट्रपति का चुनाव (अनुच्छेद 54, 55)

  • राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है, जिसमें शामिल होते हैं:
    • संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य।
    • राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।
    • दिल्ली और पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य (69वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 द्वारा जोड़ा गया)।
  • चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
  • मतदान गुप्त होता है।

1.3. राष्ट्रपति की योग्यताएँ (अनुच्छेद 58)

  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • उसने 35 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो।
  • वह लोकसभा का सदस्य चुने जाने के लिए योग्य होना चाहिए।
  • वह संघ या किसी राज्य सरकार के अधीन या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।

1.4. कार्यकाल (अनुच्छेद 56)

  • राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
  • वह पुन: चुनाव के लिए पात्र होता है (संविधान में कोई सीमा नहीं है)।

1.5. महाभियोग (Impeachment) – अनुच्छेद 61

  • राष्ट्रपति को केवल ‘संविधान के उल्लंघन’ के आधार पर महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है।
  • महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन में शुरू की जा सकती है।
  • प्रस्ताव को सदन की कुल सदस्य संख्या के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना चाहिए।
  • दूसरे सदन द्वारा जांच के बाद, यदि वह भी प्रस्ताव को कुल सदस्य संख्या के दो-तिहाई बहुमत से पारित करता है, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
  • भारत में अभी तक किसी भी राष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं लगाया गया है।

2. राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य (Powers and Functions of the President)

राष्ट्रपति के पास व्यापक शक्तियाँ होती हैं, लेकिन वह मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है।

2.1. कार्यकारी शक्तियाँ (Executive Powers)

  • भारत सरकार के सभी कार्यकारी कार्य उसके नाम पर किए जाते हैं।
  • वह प्रधान मंत्री, मंत्रियों, महान्यायवादी, CAG, मुख्य चुनाव आयुक्त, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, राज्यपालों, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों आदि की नियुक्ति करता है।
  • वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोगों की नियुक्ति कर सकता है।
  • वह अंतर-राज्यीय परिषद का गठन कर सकता है।

2.2. विधायी शक्तियाँ (Legislative Powers)

  • वह संसद के सत्र बुलाता है, सत्रावसान करता है और लोकसभा को भंग कर सकता है।
  • वह संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है (अनुच्छेद 108)।
  • वह संसद में विधेयक पारित होने के बाद उन्हें अपनी सहमति देता है, रोक सकता है या पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है (धन विधेयक और संवैधानिक संशोधन विधेयक को छोड़कर)।
  • वह लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन सदस्यों को नामांकित कर सकता था (104वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2020 द्वारा समाप्त)।
  • वह राज्यसभा में कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान रखने वाले 12 सदस्यों को नामांकित करता है।
  • अध्यादेश जारी करने की शक्ति (अनुच्छेद 123): जब संसद सत्र में न हो, तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है, जिसका वही बल और प्रभाव होता है जो संसद द्वारा पारित अधिनियम का होता है। यह अध्यादेश संसद के अगले सत्र के 6 सप्ताह के भीतर अनुमोदित होना चाहिए।

2.3. वित्तीय शक्तियाँ (Financial Powers)

  • वार्षिक वित्तीय विवरण (केंद्रीय बजट) संसद के समक्ष रखवाता है।
  • धन विधेयक उसकी पूर्व सिफारिश से ही लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
  • वह भारत की आकस्मिक निधि (Contingency Fund of India) से अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने के लिए अग्रिम निकाल सकता है।
  • वह प्रत्येक पांचवें वर्ष वित्त आयोग का गठन करता है।

2.4. न्यायिक शक्तियाँ (Judicial Powers)

  • सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
  • क्षमादान की शक्ति (Pardoning Power – अनुच्छेद 72): वह किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को क्षमा, निलंबित, कम या परिवर्तित कर सकता है, विशेषकर मृत्युदंड के मामलों में।
  • वह सार्वजनिक महत्व के किसी भी कानूनी या तथ्यात्मक प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से सलाह मांग सकता है (अनुच्छेद 143)।

2.5. सैन्य शक्तियाँ (Military Powers)

  • वह भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है।
  • वह सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करता है।

2.6. कूटनीतिक शक्तियाँ (Diplomatic Powers)

  • सभी अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और समझौते उसके नाम पर किए जाते हैं।
  • वह विदेशों में भारतीय राजदूतों और उच्चायुक्तों को भेजता है और विदेशी राजदूतों के परिचय पत्र प्राप्त करता है।

2.7. आपातकालीन शक्तियाँ (Emergency Powers)

  • राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352): युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण।
  • राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल – अनुच्छेद 356): राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण।
  • वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360): भारत या उसके किसी क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा होने पर।

3. राष्ट्रपति की विवेकाधीन शक्तियाँ (Discretionary Powers of the President)

हालांकि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है, उसके पास कुछ विवेकाधीन शक्तियाँ भी होती हैं।

  • जब लोकसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिले, तो प्रधान मंत्री की नियुक्ति।
  • मंत्रिपरिषद द्वारा लोकसभा में विश्वास खोने पर लोकसभा को भंग करना।
  • मंत्रिपरिषद द्वारा पारित विधेयक को एक बार पुनर्विचार के लिए वापस भेजना (44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा)।
  • जेब वीटो (Pocket Veto) का प्रयोग (जब वह किसी विधेयक पर कोई कार्रवाई नहीं करता)।

4. निष्कर्ष (Conclusion)

भारत का राष्ट्रपति भारतीय राज्य का प्रमुख और भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यद्यपि वह नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है और मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है, उसके पास व्यापक कार्यकारी, विधायी, वित्तीय, न्यायिक, सैन्य, कूटनीतिक और आपातकालीन शक्तियाँ होती हैं। राष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान की सर्वोच्चता, देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। वह संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करे।

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