भारत का प्रधान मंत्री (Prime Minister of India) भारत सरकार का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है। वह मंत्रिपरिषद का नेता होता है और भारतीय राजनीतिक प्रणाली में सबसे शक्तिशाली पद धारण करता है। भारत ने ब्रिटिश मॉडल पर आधारित संसदीय प्रणाली को अपनाया है, जहाँ प्रधान मंत्री सरकार का केंद्र बिंदु होता है।
1. संवैधानिक प्रावधान और नियुक्ति (Constitutional Provisions and Appointment)
प्रधान मंत्री का पद भारतीय संविधान के भाग V में उल्लिखित है।
1.1. संवैधानिक प्रावधान
- भारतीय संविधान का भाग V (अनुच्छेद 52 से 78) संघ कार्यपालिका से संबंधित है, जिसमें प्रधान मंत्री और मंत्रिपरिषद भी शामिल हैं।
- अनुच्छेद 74: राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान प्रधान मंत्री होगा।
- अनुच्छेद 75: प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री की सलाह पर की जाएगी।
1.2. नियुक्ति
- राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधान मंत्री नियुक्त करते हैं।
- यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग करके सबसे बड़े दल या गठबंधन के नेता को प्रधान मंत्री नियुक्त कर सकते हैं, और उसे एक महीने के भीतर लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त करने के लिए कह सकते हैं।
- प्रधान मंत्री को संसद के किसी भी सदन का सदस्य होना चाहिए। यदि नियुक्ति के समय वह सदस्य नहीं है, तो उसे 6 महीने के भीतर किसी भी सदन का सदस्य बनना होगा।
1.3. कार्यकाल (Term of Office)
- प्रधान मंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं है। वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है।
- हालांकि, जब तक उसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है, तब तक उसे हटाया नहीं जा सकता।
- लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर उसे इस्तीफा देना पड़ता है।
1.4. शपथ (Oath)
- प्रधान मंत्री राष्ट्रपति के समक्ष पद और गोपनीयता की शपथ लेता है।
2. प्रधान मंत्री की शक्तियाँ और कार्य (Powers and Functions of the Prime Minister)
प्रधान मंत्री सरकार का केंद्र बिंदु होता है और उसके पास व्यापक शक्तियाँ होती हैं।
2.1. मंत्रिपरिषद के संबंध में
- मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है।
- मंत्रियों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश करता है।
- मंत्रियों को विभागों का आवंटन और फेरबदल करता है।
- मंत्रियों को इस्तीफा देने या राष्ट्रपति को उन्हें बर्खास्त करने की सलाह दे सकता है।
- मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है और उनके निर्णयों को प्रभावित करता है।
- अपने इस्तीफे से पूरी मंत्रिपरिषद को भंग कर देता है।
2.2. राष्ट्रपति के संबंध में
- वह राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच संचार का मुख्य माध्यम है।
- वह संघ के मामलों के प्रशासन और विधान के प्रस्तावों से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों से राष्ट्रपति को अवगत कराता है (अनुच्छेद 78)।
- वह विभिन्न महत्वपूर्ण नियुक्तियों (जैसे CAG, मुख्य चुनाव आयुक्त, UPSC अध्यक्ष, राजदूत) के संबंध में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
2.3. संसद के संबंध में
- वह संसद का नेता होता है।
- वह राष्ट्रपति को संसद के सत्र बुलाने और सत्रावसान करने के संबंध में सलाह देता है।
- वह किसी भी समय लोकसभा को भंग करने के लिए राष्ट्रपति को सलाह दे सकता है।
- वह सरकार की नीतियों की घोषणा करता है।
2.4. अन्य शक्तियाँ और कार्य
- नीति आयोग (NITI Aayog) का अध्यक्ष होता है।
- राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का अध्यक्ष होता है।
- राष्ट्रीय एकता परिषद (NIC) का अध्यक्ष होता है।
- अंतर-राज्यीय परिषद (Inter-State Council) का अध्यक्ष होता है।
- राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद (National Water Resources Council) का अध्यक्ष होता है।
- वह देश की विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- वह सत्तारूढ़ दल का नेता होता है।
- वह संकट के समय मुख्य संकट प्रबंधक होता है।
- वह राष्ट्र का राजनीतिक प्रमुख होता है।
3. प्रधान मंत्री की भूमिका (Role of the Prime Minister)
प्रधान मंत्री की भूमिका भारतीय राजनीतिक प्रणाली में केंद्रीय है।
- सरकार का प्रमुख: वह सरकार का प्रमुख होता है और सभी प्रमुख नीतिगत निर्णयों में अंतिम अधिकार रखता है।
- राष्ट्रीय नेता: वह राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों का मुख्य सूत्रधार होता है।
- संसद का नेता: वह संसद में सरकार का प्रतिनिधित्व करता है और विधायी एजेंडे को नियंत्रित करता है।
- मंत्रिपरिषद का नेता: वह मंत्रिपरिषद को एकजुट रखता है और उसके कार्यों का समन्वय करता है।
- राष्ट्र का प्रवक्ता: वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व करता है।
- संकट प्रबंधक: वह किसी भी राष्ट्रीय संकट के दौरान सरकार का नेतृत्व करता है।
4. प्रधान मंत्री के समक्ष चुनौतियाँ (Challenges to the Prime Minister)
प्रधान मंत्री को अपने प्रभावी कामकाज में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- गठबंधन राजनीति: यदि स्पष्ट बहुमत नहीं है, तो गठबंधन सहयोगियों के हितों को संतुलित करना।
- आंतरिक दलगत चुनौतियाँ: अपने ही दल के भीतर असंतोष या गुटबाजी।
- राज्य-केंद्र संबंध: संघीय ढांचे में राज्यों के साथ संबंधों का प्रबंधन।
- नौकरशाही की जड़ता: नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में नौकरशाही की बाधाएँ।
- सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ: गरीबी, बेरोजगारी, असमानता, भ्रष्टाचार जैसी जटिल समस्याओं का समाधान।
- विपक्ष का दबाव: मजबूत विपक्ष द्वारा सरकार की नीतियों की आलोचना और विरोध।
- मीडिया की निगरानी: मीडिया और सार्वजनिक राय का दबाव।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
भारत का प्रधान मंत्री भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख और सरकार का केंद्र बिंदु होता है। राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त, प्रधान मंत्री मंत्रिपरिषद का नेतृत्व करता है और लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होता है। उसके पास व्यापक कार्यकारी, विधायी और वित्तीय शक्तियाँ होती हैं, और वह राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व करता है। यद्यपि गठबंधन राजनीति और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों जैसी बाधाएँ मौजूद हैं, प्रधान मंत्री का पद भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता, नीति निर्माण और विकास को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।